Political News : निर्धारित समय में नहीं हो सका निकाय चुनाव, राज्य निर्वाचन आयुक्त की भी नियुक्ति नहीं
उच्च न्यायालय की ओर से दिया गया चार महीने का समय 16 मई को हो चुका पूरा
रांची. झारखंड में नगर निकाय चुनाव कराने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया चार महीने का समय 16 मई को पूरा हो गया. निर्धारित तिथि में राज्य सरकार चुनाव नहीं करा सकी. इस बीच 24 मार्च को राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल भी पूरा हो गया. 25 मार्च से राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद भी खाली है. फिलहाल, राज्य में नगर निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया ठप हो गयी है. ट्रिपल टेस्ट पूरा, लेकिन तैयारियों पर लगा ब्रेक राज्य के नगर निकाय चुनाव में आरक्षण निर्धारित करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा ट्रिपल टेस्ट पूरा कर लिया गया है. लेकिन, राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद रिक्त रहने की वजह से चुनाव की तैयारियों पर ब्रेक लग गया है. आयोग द्वारा निकायों में मतदाता सूची के प्रकाशन, वार्डों और बूथों का गठन, इवीएम की उपलब्धता जैसी चुनाव पूर्व तैयारियां अधूरी रह गयी हैं. आयुक्त के नहीं होने की वजह से जिलों में की गयी तैयारियों की न तो समीक्षा हो रही है और न ही कोई निर्देश दिया जा रहा है. राज्य को उठाना पड़ रहा है आर्थिक नुकसान संविधान के 74वें संशोधन में शहरी निकायों में चुनाव नहीं कराना स्थानीय निकायों को कमजोर करना माना गया है. बावजूद राज्य के 13 नगर निकायों में वर्ष 2020 से ही चुनाव लंबित है. वहीं, 35 अन्य शहरी निकायों का कार्यकाल वर्ष 2023 के मार्च-अप्रैल महीने में समाप्त हुआ था. उसके बाद से निकायों में जनता का प्रतिनिधित्व नहीं है. निकाय चुनाव नहीं होने की वजह से राज्य सरकार को लगातार आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. चुनाव में देरी के कारण वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र सरकार द्वारा राज्य को दिया जानेवाला अनुदान नहीं मिल रहा है. यहां यह उल्लेखनीय है कि शहरी निकायों के विकास के लिए आयोग से लगभग 1600 करोड़ रुपये पर झारखंड का दावा है.
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