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झारखंड के 92 में 81 सरकारी कॉलेज प्रभारी के भरोसे, सिर्फ 11 में नियमित प्राचार्य

झारखंड में कई वर्ष तक यूजीसी एक्ट में संशोधन नहीं होने के कारण नियुक्ति प्रक्रिया अटकी रही. सरकार ने यूजीसी एक्ट 2018 के तहत नियुक्ति करने का निर्णय लिया. राज्यपाल से एक्ट स्वीकृत भी हो गये हैं, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं हो सकी है.

संजीव सिंह, रांची :

झारखंड में उच्च शिक्षा का हाल बेहाल है. कई विश्वविद्यालयों में कुलपति, अधिकारी, कर्मचारी तथा शिक्षकों की कमी है. राज्य के 92 अंगीभूत (सरकारी) कॉलेजों में मात्र 11 में ही नियमित प्राचार्य हैं. 81 कॉलेज प्रभारी प्राचार्य/प्रोफेसर इंचार्ज के भरोसे चल रहे हैं. इन कॉलेजों में मॉडल कॉलेज व डिग्री कॉलेज भी शामिल है. वर्ष 1994 में यहां के कॉलेजों में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग से नियमित प्राचार्य की नियुक्ति की गयी थी. उक्त सभी सेवानिवृत्त हो गये. झारखंड बनने के बाद वर्ष 2017 में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) से प्राचार्य के 47 रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गयी. जिसमें सिर्फ 24 पदों पर ही बहाली हो सकी. रिजर्व कैटोगरी के उम्मीदवार नहीं मिलने के कारण पद रिक्त रह गये. जबकि ओबीसी में क्रीमी लेयर तथा शिक्षकों को समय पर रीडर में प्रोन्नति नहीं मिलने के कारण कई प्राचार्य के पद रिक्त रह गये. कई प्रोफेसर आवेदन ही नहीं कर सके.

तकनीकी पेच में 24 में से मात्र चार ही प्राचार्य नियुक्त किये गये. वह भी कुछ साल ही पद संभाल पाये. इसके बाद पद छोड़ दिया. इन प्राचार्यों में डॉ नैनी सक्सेना, डॉ अनिल कुमार डेल्टा, डॉ मिथिलेश कुमार सिंह, डॉ बीके सिन्हा शामिल हैं. जबकि कोल्हान विवि में एक उम्मीदवार ने योगदान ही नहीं किया. इतना ही नहीं वर्ष 2017 में ही नियुक्त कई प्राचार्य अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इनमें डॉ रेणुका ठाकुर, डॉ वीएस तिवारी, डॉ राणा प्रताप सिंह, डॉ मेदिता चंद्रा, डॉ बीके सिन्हा, डॉ पुष्पा रानी, डॉ नीरजा दुबे, डॉ सुधीर सिंह व अन्य शामिल हैं. वर्तमान में नियमित प्राचार्य के रूप में रांची विवि में डॉ मनोज कुमार, डॉ बीपी वर्मा, डॉ शमशुन नेहार शामिल हैं. जबकि कोल्हान विवि चाईबासा में डॉ अमर सिंह, डॉ वैद्यनाथ प्रसाद, डॉ एसपी महालिक हैं. इसी प्रकार नीलांबर-पीतांबर विवि मेदिनीनगर में डॉ आइजे खलखो, विनोबा भावे विवि हजारीबाग में डॉ विमल मिश्रा, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विवि धनबाद में डॉ शर्मिला रानी तथा सिदो-कान्हू मुर्मू विवि दुमका में डॉ बसंत गुप्ता व एक अन्य प्राचार्य हैं.

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राज्य में यूजीसी एक्ट 2018 के तहत नियुक्ति की जानी है

झारखंड में कई वर्ष तक यूजीसी एक्ट में संशोधन नहीं होने के कारण नियुक्ति प्रक्रिया अटकी रही. सरकार ने यूजीसी एक्ट 2018 के तहत नियुक्ति करने का निर्णय लिया. राज्यपाल से एक्ट स्वीकृत भी हो गये हैं, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं हो सकी है. इस बीच राज्यपाल सह कुलाधिपति ने झारखंड के विवि में शिक्षकों, प्राचार्य की नियुक्ति के लिए झारखंड राज्य विवि सेवा आयोग के गठन की बात कही है. इसके लिए राज्य सरकार को दिशा-निर्देश भी दे चुके हैं. उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा प्रक्रिया भी शुरू की गयी, लेकिन अब तक मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है. राज्य सरकार ने लगभग प्रत्येक जिला में मॉडल कॉलेज व डिग्री कॉलेज भी खोला है, लेकिन संचालन के लिए न तो प्राचार्य हैं अौर न ही शिक्षक, अधिकारी व कर्मचारी.

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