कौशल विकास के साथ झारखंड को श्रम का पावर हाउस बनाने की जरूरत, XLRI की स्टडी
Jharkhand Foundation Day 2025: झारखंड के कौशल विकास तंत्र को बदलने के लिए एस्पिरेशनल स्कीलिंग मॉडल अपनाना होगा. यह मॉडल कहता है कि स्किलिंग का लक्ष्य केवल रोजगार नहीं, बल्कि जीवन को ऊपर उठानेवाला होना चाहिए. इस मॉडल के चार चरण हैं. इस मॉडल से राज्य हर श्रमिक की प्रगति को ट्रैक करेगा, ताकि योजना का लक्ष्य स्पष्ट रहे. प्रशिक्षण से रोजगार. और रोजगार से समाज में नेतृत्व तक. यह मॉडल केवल कौशल नहीं,आकांक्षाओं को ऊंचाई देने की रणनीति है.
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Jharkhand Foundation Day 2025: झारखंड अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे करने जा रहा है. इस मौके पर यह सवाल अहम है कि क्या झारखंड आनेवाले दशक में भारत का ‘स्किल्ड लेबर हब’ बन सकता है? जमशेदपुर स्थित एक्सएलआरआइ के दो विशेषज्ञों डॉ सौरव स्नेव्रत और सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी अतुल कुमार तिवारी ने ‘प्रभात खबर’ के लिए विशेष तौर पर रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में श्रम शक्ति को कौशल विकास के साथ राज्य को श्रम का पावर हाउस बनाने की बात कही गयी है.
- झारखंड को अब गरीबी उन्मूलन से आगे बढ़कर आकांक्षाओं वाले विकास मॉडल की ओर बढ़ना होगा
- अब सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि सम्मानजनक जीवन और अवसरों की उड़ान इसका लक्ष्य होना चाहिए
रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड की सबसे अमूल्य संपत्ति यहां का कोयला और लोहा नहीं, बल्कि यहां की युवा आबादी है. यह वही युवा शक्ति है, जिसने राजधानी रांची से लेकर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोच्चि और सूरत तक मजदूरी और निर्माण की बड़ी दुनिया खड़ी की है. झारखंड की 60% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम है और राज्य की माध्य आयु लगभग 24 वर्ष है. यानी यह भारत के सबसे युवा राज्यों में शामिल है. कई विकसित राज्य पहले ही वृद्धावस्था की ओर बढ़ रहे हैं. वहीं, झारखंड में अगले 20–25 वर्षों तक युवा कार्यबल का प्रवाह जारी रहेगा. यह वह पूंजी है, जो यदि कौशलयुक्त और आत्मविश्वासी बन जाये, तो झारखंड की आर्थिक संरचना बदल सकती है.
पीएलएफस 2022-23 के अनुसार, झारखंड में बेरोजगारी दर 1.7% है, जो राष्ट्रीय औसत 3.2% से कम है. पहली नजर में यह संतोषजनक लगता है. लेकिन, वास्तविकता यह है कि अधिकतर युवाओं को किसी न किसी रूप में काम तो मिल जाता है, मगर काम स्थायी नहीं. शोषण भरा और कम आय वाला होता है. कृषि में अब भी 49% लोग लगे हुए हैं. जबकि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में अवसर बढ़ नहीं पाये हैं. यानि समस्या रोजगार की कमी नहीं, बल्कि बेहतर रोजगार की कमी है.
योजनाओं का बिखराव खत्म करना होगा
झारखंड में कौशल विकास, उद्यमिता और सामाजिक सुरक्षा की अनेक योजनाएं चल रही हैं, जैसे- सक्षम झारखंड कौशल विकास योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, डीडीयू-जीकेवाइ, जेएसएलपीएस व जोहार आधारित उद्यमिता, पीएम श्रम योगी, ई-श्रम, स्टार्टअप नीति आदि. लेकिन, यह सब बिखरा हुआ है. एक वन स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाना होगा, जहां प्रशिक्षण, रोजगार, पलाया, ऋण, बीमा, पेंशन सब कुछ एक ही पोर्टल से जुड़ेगा.
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एस्पिरेशनल स्किलिंग मॉडल जीवन उन्नति का चार स्तंभ
झारखंड के कौशल विकास तंत्र को बदलने के लिए एस्पिरेशनल स्कीलिंग मॉडल अपनाना होगा. यह मॉडल कहता है कि स्किलिंग का लक्ष्य केवल रोजगार नहीं, बल्कि जीवन को ऊपर उठानेवाला होना चाहिए. इस मॉडल के चार चरण हैं. इस मॉडल से राज्य हर श्रमिक की प्रगति को ट्रैक करेगा, ताकि योजना का लक्ष्य स्पष्ट रहे. प्रशिक्षण से रोजगार. और रोजगार से समाज में नेतृत्व तक. यह मॉडल केवल कौशल नहीं,आकांक्षाओं को ऊंचाई देने की रणनीति है.
| चरण | श्रमिक की स्थिति | परिणाम |
|---|---|---|
| पहला चरण | बुनियादी कौशल व नौकरी | न्यूनतम आय व स्थिरता |
| दूसरा चरण | संगठित क्षेत्र में बदलाव | सामाजिक सुरक्षा व बेहतर जीवन |
| तीसरा चरण | बचत व संपत्ति निर्माण | परिवार की प्रगति |
| चौथा चरण | उद्यमिता व नेतृत्व | समाज में सम्मान व योगदान |
अगले 5 वर्षों में राज्य इन बिंदुओं पर ध्यान देना होगा
संस्थागत सुधार
- 25 श्रम चौकों को मॉडल लेबर स्कवायर बनाना
- स्किल्ड झारखंड डिजिटल प्लेटफार्म संचालित करना
- जहां श्रम जाता है, उन राज्यों से संपर्क में रहना
कौशल और रोजगार नवाचार
- हर साल 25,000 युवाओं को अप्रेंटिशिपि एक्सलरेटर
- रिकोजिनेशन ऑफ प्रायर लर्निंग का विस्तार
आदिवासी और महिला सशक्तिकरण
- ट्राइबल स्किल एंड लैंग्वेज सेल
- महिला केंद्रित स्किल कॉरिडोर
- सामुदायिक नेतृत्व से प्रशिक्षण
मॉनिटरिंग और पारदर्शिता
- आउटकम बेस्ड भुगतान व्यवस्था
- एस्पिरेशनल स्किलिंग रिपोर्ट कार्ड
2035 तक के लक्ष्य
- 2.5 लाख युवा प्रशिक्षित और 70% को स्थायी रोजगार
- 24 मॉडल लेबर का स्क्वायर का पूर्ण संचालन
- एक लाख श्रमिकों का आरपीएल प्रमाणन
- 40% महिलाओं की भागीदारी
- 5 प्रमुख श्रम गंतव्यों से समझौता
आदिवासी समाज : झारखंड की आत्मा और विकास का केंद्र
झारखंड का 26.2 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी समुदाय है. उनकी भाषा, संस्कृति और सामाजिक संरचना को ध्यान में रखकर ही प्रशिक्षण व रोजगार मॉडल बनाना होगा. रिपोर्ट कहती है कि स्थानीय भाषाओं में प्रशिक्षण दिया जाये, – प्रशिक्षक उसी समुदाय से हों, लड़कियों व महिलाओं के लिए सुरक्षित प्रशिक्षण वातावरण हो, आदिवासी युवक-युवतियों के कौशल को आधुनिक अर्थव्यवस्था से जोड़ना ही झारखंड की सच्ची प्रगति होगी.
उद्योगों के नये आयाम : जंगलों और खदानों से आगे
माइग्रेशन को रोकना समाधान नहीं है, बल्कि इसे गवर्न, मैनेज और सुरक्षित बनाना होगा. झारखंड की अर्थव्यवस्था पारंपरिक रूप से खनन आधारित रही है, लेकिन अब अर्थव्यवस्था बदल रही है. यदि इन्हें कौशल विकास और माइग्रेशन प्रबंधन के साथ जोड़ा जाये, तो झारखंड के युवाओं को यहां ही सम्मानजनक रोजगार मिलेगा. यहां निम्न क्षेत्रों में रोजगार तेजी से बढ़ सकता है-
- नवीकरणीय ऊर्जा व सोलर मैन्युफैक्चरिंग
- पर्यटन और आदिवासी संस्कृति आधारित रोजगार
- बांस, लाख और वनोपज आधारित उद्योग
- लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स
- कपड़ा, जूता व हस्तशिल्प निर्माण
- निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्य
Jharkhand Foundation Day 2025: इन चीजों की जरूरत पर दिया बल
रिपोर्ट कहती है कि श्रमिकों का कौशल पंजीकरण, नौकरी और राज्य सरकार से संपर्क, बीमा व स्वास्थ्य सुविधा, शिकायत सहायता प्रणाली जरूरी है, ताकि कोई भी श्रमिक बाहर जाकर असहाय न हो. और जो लौटकर आये, उन्हें राज्य उन्नत कौशल, उद्यमिता प्रोत्साहन देकर स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान का अवसर दे.
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