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झारखंड: अंडों के गणित में उलझा आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों का पोषाहार

कई सुदूर इलाके के आंगनबाड़ी केंद्रों में स्थानीय स्तर पर अंडे की उपलब्धता संभव भी न हो. वहीं, बड़े सप्लायर से अंडे की आपूर्ति आंगनबाड़ी केंद्रों तक कराना भी खर्चीला है.

रांची : झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों व महिलाओं के पोषाहार में अंडा शामिल करने की योजना अधर में लटकी हुई है. वर्ष 2019 में ही सरकार की घोषणा थी कि आंगनबाड़ी केंद्रों में सप्ताह में पांच दिन अंडों का वितरण किया जायेगा. राज्य के 38432 आंगनबाड़ी केंद्रों में इस योजना को पहुंचाना था. लेकिन, इस मामले में पेच फंसा है. विभाग तय नहीं कर पा रहा है कि अंडों की खरीद सहायिकाओं के माध्यम से की जाये या सप्लायर का चयन किया जाये. सेविका-सहायिका के जरिये खरीद में विभाग को वित्तीय अनियमितता की आशंका है.

विभाग को अंदेशा है कि बिना खरीद के भी फर्जीवाड़ा हो सकता है. वहीं, कई सुदूर इलाके के आंगनबाड़ी केंद्रों में स्थानीय स्तर पर अंडे की उपलब्धता संभव भी न हो. वहीं, बड़े सप्लायर से अंडे की आपूर्ति आंगनबाड़ी केंद्रों तक कराना भी खर्चीला है. सुदूर इलाके में इसे पहुंचाने का खर्च विभाग को अलग से वहन करना होगा. इससे बाजार दर पर अंडे की लागत काफी ज्यादा होगी. विभाग इससे बचने का प्रयास कर रहा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार, वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश की जा रही है. प्रमंडल स्तर पर सप्लायर खोजे जायेंगे. ऐसे सप्लायर को काम देने पर विचार हो रहा है कि जिनके पास अपना उत्पादन केंद्र हो. विभागीय सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार की भी गाइड लाइन है कि बच्चों को अंडा दिया जाये. इसमें केंद्र सरकार का अंशदान 60 प्रतिशत है.

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