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झाविमो में थी तानाशाही इसलिए भाजपा में विलय
दलबदल. बोले विधायक अमर बाउरी के गवाह रांची : दलबदल मामले में 10वीं अनुसूची के तहत आरोपी छह बागी विधायकों में से एक अमर बाउरी के दो गवाह बुधवार को स्पीकर दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण में हाजिर हुए. स्पीकर द्वारा की गयी सुनवाई में प्रतिवादी (आरोपी विधायक) द्वारा पेश किये गये गवाहों की गवाही हुई. […]
दलबदल. बोले विधायक अमर बाउरी के गवाह
रांची : दलबदल मामले में 10वीं अनुसूची के तहत आरोपी छह बागी विधायकों में से एक अमर बाउरी के दो गवाह बुधवार को स्पीकर दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण में हाजिर हुए. स्पीकर द्वारा की गयी सुनवाई में प्रतिवादी (आरोपी विधायक) द्वारा पेश किये गये गवाहों की गवाही हुई. बोकारो चंदनक्यारी के प्रखंड स्तर के झाविमो के पदाधिकारी रहे भोलानाथ मुखर्जी और विनोद गोराई की गवाही रिकॉर्ड की गयी.
दोनों ही गवाहों का कहना था कि छह विधायकों और पार्टी नेताओं की उपस्थिति में आठ फरवरी 2015 को झाविमो का भाजपा में विलय का सर्वसम्मति से फैसला हुआ. गवाहों का कहना था कि पार्टी में तानाशाही चल रही थी. कार्यकर्ताओं में असंतोष था, इसलिए भाजपा में विलय का फैसला लिया गया. गवाहों ने बताया कि बैठक की अध्यक्षता विधायक जानकी यादव ने की थी. गवाहों का वादी (बाबूलाल मरांडी-प्रदीप यादव) की ओर से अधिवक्ता आरएन सहाय ने क्रॉस एग्जामिन किया.
प्रवीण सिंह को बताया झाविमो का अध्यक्ष
क्रॉस एग्जामिन में गवाह घिरे. वादी ने पूछा कि क्या आठ फरवरी की बैठक में बाबूलाल मरांडी थे.गवाहों ने बताया कि बैठक में नहीं थे. एक गवाह विनोद गाेराई से जब पूछा गया कि आप 2013 से 2015 तक झाविमो में थे. किसान मोरचा के प्रखंड अध्यक्ष थे, बतायें कि झाविमो के अध्यक्ष कौन हैं. गोराई ने कहा : नहीं मालूम. प्रवीण सिंह झाविमो के अध्यक्ष हैं. उसने बताया कि पार्टी में दो नेताओं की ही चलती है. यह पूछा गया कि प्रदीप यादव बैठक में थे, तो उसने कहा नहीं मालूम. वादी पक्ष की ओर से गवाह से पूछा गया कि झाविमो का संविधान है. हर पार्टी का संविधान होता है. विलय की क्या प्रक्रिया है.
गवाह की ओर से कहा गया कि नहीं मालूम. वादी की ओर क्रॉस एग्जामिन में कई सवाल पूछे गये. वादी की ओर से स्पीकर श्री उरांव से आग्रह किया गया कि 78 गवाहों की गवाही में समय लेंगे. सभी गवाहों की गवाही लिखित रूप से एक साथ ले लिया जाये.
उलझे दोनों के वकील
एक गवाह विनोद गोराई की गवाही के दौरान वादी और प्रतिवादी के अधिवक्ता उलझ गये. वादी के अधिवक्ता क्रॉस एग्जामिन कर रहे थे. गवाह से कहा कि आपने लिख कर दिया है विधायक विलय के पक्ष में थे. अभी कह रहे हैं कि पार्टी में विलय में सहमति बनी. कौन सही है. आप झूठी गवाही दे रहे हैं. उधर प्रतिवादी के अधिवक्ता लिखित गवाही को पढ़ने लगे. इसका वादी के अधिवक्ता ने विरोध किया. बाद में स्पीकर श्री उरांव के हस्तक्षेप के बाद दोनों शांत हुए.
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