दरअसल, सीएचसी के चिकित्सकों या स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया गया है. महिला का प्रसव बाबा अस्पताल में ही हुआ है. पर महिला को प्रसव लाभ के रूप में मिलने वाली छह हजार रुपये की सरकारी सहायता उसे गलत तरीके से देने या फिर हड़प लेने के लिए उसकी सीएचसी में भी फरजी डिलिवरी दिखा दी गयी है. सीएचसी से उस महिला का बाकायदा डिस्चार्ज टिकट भी काटा गया है.
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एक ही महिला ने दो दिनों में दो बच्चे जने!
रांची: जिस महिला ने 29 अप्रैल को सुखदेव नगर, रातू रोड के बाबा अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया था, उसने फिर से 30 अप्रैल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) रातू में भी एक बच्ची को जन्म दे दिया. यह मामला सरकारी अस्पतालों में हो रही गड़बड़ी का खुलासा करता है. दरअसल, सीएचसी के […]
रांची: जिस महिला ने 29 अप्रैल को सुखदेव नगर, रातू रोड के बाबा अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया था, उसने फिर से 30 अप्रैल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) रातू में भी एक बच्ची को जन्म दे दिया. यह मामला सरकारी अस्पतालों में हो रही गड़बड़ी का खुलासा करता है.
दरअसल, सीएचसी के चिकित्सकों या स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया गया है. महिला का प्रसव बाबा अस्पताल में ही हुआ है. पर महिला को प्रसव लाभ के रूप में मिलने वाली छह हजार रुपये की सरकारी सहायता उसे गलत तरीके से देने या फिर हड़प लेने के लिए उसकी सीएचसी में भी फरजी डिलिवरी दिखा दी गयी है. सीएचसी से उस महिला का बाकायदा डिस्चार्ज टिकट भी काटा गया है.
रातू के चिकित्सा प्रभारी पर गड़बड़ी का आरोप : इस मामले में रातू इलाके की सहिया ने सीएचसी, रातू के चिकित्सा प्रभारी डॉ सुजीत कश्यप पर ही गड़बड़ी का आरोप लगाया है. लिखा गया है कि अपने चहेते लोगों को लाभान्वित कराने के लिए चिकित्सा प्रभारी ने ऐसा किया है. स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी को दिये ज्ञापन में सहिया मंजू देवी ने यह भी कहा है कि चिकित्सा प्रभारी सहिया लोगों को ठीक से भुगतान नहीं करते हैं. उनका मानदेय या प्रोत्साहन राशि काट लेते हैं. यह अारोप भी लगाया गया है कि करीब अाठ वर्ष से यहीं पदस्थापित डॉ सुजीत की सीएचसी के पास में ही निजी क्लिनिक है. वह मरीजों को वहीं बुलाकर इलाज करते हैं.
यह सच है कि मेरी क्लिनिक है. पर अाप पता कर लें, कोई मरीज यदि कह दे कि मैं उसे अपने क्लिनिक में बुलाता हूं, तो मुझे चौराहे पर जूते से मारा जाये. एक ही महिला की दो जगह डिलिवरी की मुझे जानकारी नहीं है. मैं इस बारे में पता लगाता हूं. जहां तक बात सहिया को भुगतान की है, तो भुगतान करना है या नहीं, यह सहिया के ऊपर की सहिया साथी, एसपीटी या पीपीटी तय करती हैं. दरअसल कई सहिया गलत तरीके से भुगतान लेना चाहती हैं. शिकायत उन्हीं को है.
डॉ सुजीत कश्यप, चिकित्सा प्रभारी, सीएचसी रातू
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