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नाबार्ड ने शुरू किया जल संरक्षण अभियान

रांची: नाबार्ड ने 22 मार्च से पूरे देश के एक लाख गांवों में जल संरक्षण अभियान की शुरुआत कर दी है. बुधवार को नाबार्ड के करमटोली रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में इस अभियान की शुररुआत हुई. नाबार्ड के मुख्यालय मुंबई से लेकर देश के तमाम क्षेत्रीय कार्यालय ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़ कर इस […]

रांची: नाबार्ड ने 22 मार्च से पूरे देश के एक लाख गांवों में जल संरक्षण अभियान की शुरुआत कर दी है. बुधवार को नाबार्ड के करमटोली रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में इस अभियान की शुररुआत हुई. नाबार्ड के मुख्यालय मुंबई से लेकर देश के तमाम क्षेत्रीय कार्यालय ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़ कर इस अभियान की शुरुआत की. नाबार्ड के सीएमडी हर्ष कुमार भनवाल ने अभियान को शुरू करने की घोषणा की.

इधर, नाबार्ड झारखंड के मुख्य महाप्रबंधक सुब्रतो मंडल ने बताया कि झारखंड के वैसे स्थान जहां भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन हुआ है, वहां ऐसे अभियान शुरू किये जा रहे हैं. पहले चरण में सात जिलों (रांची, दुमका, गोड्डा, गुमला, पलामू, पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम) में अभियान शुरू किया जा रहा है. अभियान में मूलत: सूक्ष्म सिंचाई, परंपरागत जल प्रबंधन प्रथाओं, उन्नत शस्य वैज्ञानिक प्रथाओं को अपनाने जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए विभिन्न स्तरों पर जल संरक्षण, उसे बचा कर रखने और उसके दक्षतापूर्ण उपयोग की पद्धतियों के बारे में ग्रामीणों में जागरूकता उत्पन्न करने पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा. उन्होंने बताया कि इस अभियान को स्थानीय और अधिक प्रभावी तरीके से चलाने के लिए गांवों में जल दूतों का चयन किया जायेगा. ये जल दूत सरकार/बैंकों की कार्यान्वित की जा रही योजनाओं के साथ समन्वय करते हुए जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण और जल के दक्षतापूर्ण उपयोग की प्रथाओं/ तकनीकों को अपनाने में सहयोग देने के साथ-साथ वर्षा जल के संचय, जल के दक्षतापूर्ण उपयोग, भूमिगत जल के पुनर्भरण और समन्वित कृषि प्रणालियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम करेंगे. प्रत्येक राज्य में पर्याप्त संख्या में मास्टर प्रशिक्षकों की पहचान कर उन्हें व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित किया जायेगा और उन्हें अप्रैल से जुलार्इ 2017 के दौरान जिला व गांव स्तर पर अभियान को चलाने के कार्य में नियोजित किया जायेगा.

वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान विकास आयुक्त अमित खरे ने कहा कि झारखंड राज्य में वर्षा जल संवर्धन के लिए गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में नामक अभियान चलाया गया, जिसके अंतर्गत छह लाख से अधिक डोभा का निर्माण किया गया. इसके साथ ही वर्षा जल के बेहतर उपयोग के लिए पुराने तालाबों, डैमों व नहरों का जीर्णोद्धार का कार्य जल संसाधन विभाग द्वारा कराया जा रहा है. शहरी क्षेत्रों में भी सरकारी भवनों व बड़े मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करायी जा रही है. जल संरक्षण के लिए उन्होंने चार बिंदुओं पर काम करने की जरूरत बतायी. पहला वर्षा जल संरक्षण सरकारी चाहे निजी भवन में हर हाल में हो. दूसरा कम-से-काम पानी की इस्तेमाल हो. खेतों में धान की ऐसी नस्लें लायी जाये जो कम पानी में भी बेहतर पैदावार दे सके. तीसरा रियूज अॉफ वाटर इसके तहत स्वर्णरेखा व हरमू जैसी नदियों में गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर प्रवाहित किया जा सके. ताकि खेती में इस पानी का इस्तेमाल हो सके. चौथा खदानों में जमा पानी को खेतों में इस्तेमाल करने लायक बनाया जा सके.

इसके पूर्व ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एनएन सिन्हा ने कहा कि आबादी बढ़ने के साथ ही पानी की स्थिति भयावह होगी. झारखंड सरकार जल संरक्षण की दिशा में काफी तेजी से काम कर रही है. बड़ी संख्या में डोभा का निर्माण किया गया है. जापान के सहयोग से ड्रीप इरिगेशन पर काम चल रहा है. अगले वर्ष भी एक हजार गांवों में वाटर शेड स्ट्रक्चर को भी बनाया जायेगा. नाबार्ड के सहयोग से 29 जलछाजन परियोजनाओं पर काम चल रहा है. कार्यक्रम में एसएलबीसी के महाप्रबंधक प्रसाद जोशी, आरबीआइ के सहायक महाप्रबंधक अमित सिन्हा, ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव बी निजलिंगप्पा समेत नाबार्ड, कृषि विज्ञान केंद्र, स्वयंसेवी संस्था तथा कृषक प्रतिनिधि भी उपस्थित थे.

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