इसके पीछे वाजिब कारण भी है. पहला कि अचानक यातायात के सबसे महत्वपूर्ण साधन माने जानेवाले ऑटो का परिचालन बंद कर देने से बड़ी संख्या में लोग परेशान हो जायेंगे. दूसरा यह कि जिला प्रशासन, रांची नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस यह मानकर चल रही है कि शहर में 8000 ऑटो हैं, जिनमें से 2335 के पास ही विभिन्न रूटों पर चलने का परमिट है. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि शहर में कुल 18000 ऑटो चलते हैं. यानी अगर परमिटवाले सभी ऑटो को शहर से बाहर कर दिया गया, तो उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न होगी ही, क्योंकि शहर के बाहर के जो 24 रूट तय किये गये हैं, उन पर उनकी कमाई नहीं होगी. इसके अलावा बिना परमिटवाले 15665 ऑटोवाले भी बेरोजगार हो जायेंगे.
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रांची : साहब! पहले चार लाख लोगों के यातायात की व्यवस्था तो कर लेते
राजधानी रांची की सड़कों को जाम से मुक्त बनाने के लिए ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक बीते दिनों हुई. इसमें कमेटी ने परमिटवाले ऑटो को भी शहर के बाहर चलाने की योजना बनायी है. इसके लिए 24 रूट भी तय कर दिये गये हैं. वहीं, तय किया गया है कि शहर के अंदर की सड़कों […]
राजधानी रांची की सड़कों को जाम से मुक्त बनाने के लिए ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक बीते दिनों हुई. इसमें कमेटी ने परमिटवाले ऑटो को भी शहर के बाहर चलाने की योजना बनायी है. इसके लिए 24 रूट भी तय कर दिये गये हैं. वहीं, तय किया गया है कि शहर के अंदर की सड़कों पर केवल ई-रिक्शा और सिटी बसों का ही परिचालन होगा. तर्क दिया गया कि इससे जाम नहीं लगेगा और लोगों को सहूलियत होगी. संभवत: अप्रैल के शुरुआती हफ्ते में यह योजना लागू भी हो जायेगी. लेकिन, ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी की इस योजना की सफलता पर संदेह है. क्योंकि, परमिटवाले ऑटो को शहर से बाहर करने के बाद आमलोगों को यातायात के वैकल्पिक साधन मुहैया कराने की तैयारी अब तक नहीं हुई है. प्रस्तुत है करीब चार लाख शहरवासियों और 15000 ऑटो चालकों से जुड़ी इस समस्या की पड़ताल करती अजय दयाल की रिपोर्ट.
रांची. राजधानी रांची की आबादी 16 लाख के आसपास है. गैर सरकारी संगठनों द्वारा किये गये सर्वे बताते हैं कि राजधानी में रोजाना चार लाख लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए यातायात के विभिन्न साधनों का प्रयोग करते हैं. इनमें से 50 फीसदी लोग केवल ऑटो से सफर करते हैं. ऐसे में अगर अचानक सभी ऑटो का परिचालन बंद कर दिया जायेगा, जाहिर है कि स्थिति विकट हो जायेगी.
इसके पीछे वाजिब कारण भी है. पहला कि अचानक यातायात के सबसे महत्वपूर्ण साधन माने जानेवाले ऑटो का परिचालन बंद कर देने से बड़ी संख्या में लोग परेशान हो जायेंगे. दूसरा यह कि जिला प्रशासन, रांची नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस यह मानकर चल रही है कि शहर में 8000 ऑटो हैं, जिनमें से 2335 के पास ही विभिन्न रूटों पर चलने का परमिट है. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि शहर में कुल 18000 ऑटो चलते हैं. यानी अगर परमिटवाले सभी ऑटो को शहर से बाहर कर दिया गया, तो उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न होगी ही, क्योंकि शहर के बाहर के जो 24 रूट तय किये गये हैं, उन पर उनकी कमाई नहीं होगी. इसके अलावा बिना परमिटवाले 15665 ऑटोवाले भी बेरोजगार हो जायेंगे.
सिटी बसों की संख्या पर्याप्त नहीं
ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में नगर आयुक्त प्रशांत कुमार ने कहा था कि ऑटो को शहर से बाहर करने के बाद शहरवासियों की सहूलियत के लिए करीब 350 सिटी बसों की जरूरत पड़ेगी. जबकि पहले से ही शहर में 70 सिटी बसें मौजूद हैं. नगर आयुक्त ने 250 नयी बसों की खरीदारी फेज वाइज करने की बात कही. इसके तहत नगर निगम ने 3.25 करोड़ की लागत से हाल ही में टाटा मोर्टस से 26 नयी बसें खरीदी भी हैं, जो जल्द ही शहर में दौड़ने लगेंगी. लेकिन फेजवाइज बसें खरीदने का मतलब यह हुआ कि जब तक बसों की खरीद होगी, तब तक लोग परेशानी झेलेंगे. खास बात यह है कि नगर आयुक्त मौजूदा समय में जिन 70 बसों की बात कर रहे हैं, उनमें से 30 खराब हैं. यानी अभी केवल 40 बसें ही शहर के विभिन्न रूटों पर चल रही हैं.
जो लगाते हैं जाम, उन पर नहीं है लगाम
फिलहाल शहर में 2300 ई-रिक्शा चलते हैं. ये बीच सड़क में रुक कर यात्रियों को बैठाते और उतारते हैं, जिसकी वजह से जाम लगता है. हालांकि, ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने इनके लिए रूट निर्धारित कर दिया है. अब तक 900 ई-रिक्शों को रूट पास जारी किया गया है. सभी ऑटो को शहर से बाहर कर देने के बाद अगर शहर के हर रूट पर ई-रिक्शा चलाने का निर्देश जारी कर दिया जाये तब भी लोगों की समस्या का समाधान नहीं होगा. साथ ही जब तक ई-रिक्शों के लिए यातायात के सख्त नियम नहीं बनाये जायेंगे तब तक जाम की समस्या से मुक्ति नहीं मिलने वाली है.
नयी व्यवस्था से लोगों को नहीं होगी परेशानी : ट्रैफिक एसपी
रांची. ट्रैफिक एसपी संजय रंजन सिंह ने कहा कि नयी व्यवस्था को लागू करने के लिए गहन अध्ययन चल रहा है. इसके लागू होने के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए पेट्रोल ऑटो, रजिस्टर्ड 1200 ई- रिक्शा और 75 सिटी बसें उपलब्ध रहेंगी. फिलहाल 45 सिटी बसें चल रही हैं. पहले चरण में 30 सिटी बसें खरीदी जायेंगी. वहीं, सभी परमिट वाले ऑटो को इस महीने के अंत तक शहर के बाहर का रूट पास दे दिया जायेगा. इनके लिए जो 24 रूट तय किये गये हैं, वे सभी शहर के मुख्य स्थानों से जुड़े हुए हैं. बिना परमिटवाले ऑटो का परिचालन किसी भी हालत में नहीं होगा़ रिम्स, सदर अस्पताल और रांची व हटिया रेलवे स्टेशन के लिए अलग से ऑटो और ई-रिक्शा की विशेष व्यवस्था की जायेगी, ताकि यात्रियों को परेशानी नहीं हो. रिजर्व ऑटो के लिए अलग व्यवस्था की जायेगी. इसमें शेयर में यात्री नहीं बैठ सकेंगे.
..तो बेरोजगार हो जायेंगे चालक : संघ
राजधानी में तीन ऑटो चालक महासंघ है. प्रदेश डीजल ऑटो चालक महासंघ में अर्जुन यादव गुट, लंकेश गुट, दिनेश गुट तथा पेट्रोल ऑटो चालक संघ के शमीम अख्तर गुट परमिट वाले ऑटो के शहर से बाहर परिचालन का विरोध कर रहे हैं. इसके लिए सभी संघ अलग-अलग प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि ट्रैफिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी के इस फैसले से हजारों चालक बेरोजगार हो जायेंगे. उनके परिवार के समक्ष भुखमरी की स्थिति आ जायेगी़ वहीं, शहर से बाहर किये जानेवाले ऑटो चालकों की कमाई कम हो जायेगा. इन संघों के नेता आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन, नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस के अाला अधिकारियों को आमलोगों की परेशानी और ऑटो चालकों की रोजी-रोटी से कोई लेना देना नहीं है. ये लोग सरकार की नजर में अपनी छवि बनाने के लिए अनाप-शनाप फैसले ले रहे हैं.
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