रांची : ओरमांझी स्थित बिरसा मुंडा चिड़ियाघर लुप्तप्राय जानवरों की ब्रीडिंग के लिए तैयार हाे रहा है. यहां पिछले दो साल में कई ऐसे जानवरों ने जिस तरह बच्चों को जन्म दिया, वह दूसरे चिड़ियाघर में संभव नहीं है. यहां देश में पहली बार प्राकृतिक अवस्था में देसी भालू और ऑस्ट्रिच ने बच्चों को जन्म दिया.
पिछले साल 15 दिसंबर को यहां सफेद शेर ने जन्म लिया. दिसंबर में ही ऑस्ट्रिच ने यहां खुद अंडा सेव कर एक साथ छह बच्चों को जन्म दिया. सभी बच्चे स्वस्थ हैं. इससे पहले ऑस्ट्रिच ने अप्रैल में भी दो बच्चों को जन्म दिया था.
2014 में लाये गये थे ऑस्ट्रिच : ऑस्ट्रिच को पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च इंस्टीट्यूट, कट्टुपक्कम (तमिलनाडु) से लाया गया था. 2014 में कुल दो जोड़े ऑस्ट्रिच के बच्चे लाये गये थे. दो साल में ये ब्रीडिंग के लायक तैयार हो गयेे. शुरू में इनके अंडे से मशीन के सहारे बच्चे पैदा करने की कोशिश की गयी. पर यह सफल नहीं हो सका. इसके बाद ऑस्ट्रिच के अंडे को प्राकृतिक अवस्था में सेंकने के लायक माहौल तैयार किया गया. परिणाम यह हुआ कि अप्रैल 2016 में दो और दिसंबर में छह बच्चे का जन्म हुआ. दिसंबर में जन्मे बच्चों का वजन करीब आठ किलो हो गया है. देश में प्राकृतिक अवस्था में किसी भी जू में ऑस्ट्रिच ने बच्चे को जन्म नहीं दिया है.
बिरसा मुंडा जू में लुप्तप्राय जानवरों को बच्चा देने के अनुकूल तैयार किया गया है. इस कारण कई लुप्तप्राय जनवरों के बच्चे हो रहे हैं. इस पर वन विभाग की लगातार नजर है. यहां जरूरत पड़ने पर और सुविधाएं बढ़ायी जायेंगी.
– एलआर सिंह, पीसीसीएफ, वन्य प्राणी
पिछले दो साल में कई जानवरों ने दिये बच्चे को जन्म
जू के पशु चिकित्सक डॉ अजय कुमार बताते हैं कि 2015 में लोमड़ी ने भी यहां बच्चे को जन्म दिया था. ऐसा पूरे देश में कहीं नहीं हुआ है.
घड़ियाल ने लगातार तीसरी बार बच्चे को जन्म दिया है
दिसंबर 2015 में देसी भालू ने बच्चे को जन्म दिया था. पूरे देश के जू में अब तक कहीं भी देसी भालू ने बच्चे को जन्म नहीं दिलाया गया है
पिछले साल 15 दिसंबर को सफेद शेर ने जन्म लिया. उस पर नजर रखने के लिए जू प्रबंधन ने शेरनी के बाड़े में कैमरा लगाया था. पर्यटकों के लिए प्रबंधन ने बाड़े के सामने एलसीडी टीवी लगा दी है. पर्यटक शेर और उसके बच्चे की गतिविधि भी देख रहे हैं.