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स्थानीय प्रमाण पत्र में मांगा जा रहा है खतियान, अफसरों ने जांच में गुमराह किया, फिर आनन-फानन में बनाया गया प्रमाण पत्र
‘प्रभात खबर’ ने एक जनवरी को ‘स्थानीयता प्रमाण पत्र के लिए अब भी मांगी जा रही है खतियान की कॉपी’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी. अखबार ने खबर के साथ तथ्यों को रखने के लिए केस स्टडी के रूप में रातू प्रखंड के बानापीड़ी अपग्रेड स्कूल के शिक्षक जीवलाल मुंडा की आपबीती छापी, जिसमें […]
‘प्रभात खबर’ ने एक जनवरी को ‘स्थानीयता प्रमाण पत्र के लिए अब भी मांगी जा रही है खतियान की कॉपी’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी. अखबार ने खबर के साथ तथ्यों को रखने के लिए केस स्टडी के रूप में रातू प्रखंड के बानापीड़ी अपग्रेड स्कूल के शिक्षक जीवलाल मुंडा की आपबीती छापी, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे अपना सर्विस बुक दस्तावेज के रूप में देने के बावजूद अंचल कार्यालय द्वारा खतियान की प्रति मांगी जा रही है. खबर छपने के बाद कार्मिक सचिव निधि खरे ने गंभीरता दिखायी. विभागीय उपसचिव को जांच करने का निर्देश दिया. जांच में स्थानीय अधिकारियों ने अपने सचिव को भी गुमराह किया. जीवलाल मुंडा के पूर्व के आवेदन को रिजेक्ट करते रहे और फिर ऊपर से जांच होने पर आनन-फानन में प्रमाण पत्र बनाने में जुट गये. प्रभात खबर के खबर छापने का उद्देश्य था कि स्थानीयता बनाने के लिए कई दस्तावेज मान्य हैं, इसके बावजूद केवल खतियान की मांग की जा रही है. प्रभात खबर के पास वह दस्तावेज हैं, जिससे जीवलाल मुंडा ने स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदन भरा था. उनकी पत्नी शकुंतला और बेटे प्रकाश मुंडा ने स्थानीय प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए शपथ पत्र 28 नवंबर को ही भरा था. इसमें सर्विस बुक यानी सेवा पुस्तिका को आधार बना कर आवेदन पत्र भरा गया था.
रांची : जीवलाल मुंडा ने अपनी पत्नी शकुंतला देवी और बेटे प्रकाश मुंडा का स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने के लिए फॉर्म भरा था. जीवलाल दौड़ते रहे, लेकिन उन्हें परेशान किया जा रहा था. दस्तावेज बताते हैं कि जीवलाल ने 28 नवंबर को ही स्थानीयता प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए स्वीकृत शपथ पत्र भरा था. उन्होंने वंशावली का सत्यापन प्रपत्र भी भरा. इसमें प्रकाश मुंडा और दीपक कुमार मुंडा का नाम बेटे के रूप में दर्ज है. उनकी वंशावली प्रमाण पत्र को स्थानीय वार्ड नंबर 03, रातू पश्चिमी पंचायत की वार्ड पार्षद विमला देवी और मुखिया ने सात दिसंबर को अपनी अनुशंसा के साथ अग्रसारित कर दिया. वशांवली का प्रमाण पत्र भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा के साथ लगाया गया. दरअसल इनका आवेदन प्रज्ञा केंद्र स्वीकार ही नहीं कर रहा था. कार्मिक सचिव के हस्तक्षेप के बाद मामला बना. हालांकि, जिसकी गलती से जीवलाल मुंडा के घरवालों का स्थानीयता प्रमाण पत्र नहीं बना, वह अधिकारी चिह्नित नहीं हो सका.
खबर छपते ही बना प्रमाण पत्र
इस संबंध में प्रभात खबर ने एक जनवरी को खबर प्रकाशित की और विभागीय सचिव ने संज्ञान में लिया. दो जनवरी को ही जीवलाल का नया आवेदन लिया गया. प्रज्ञा केंद्र में ऑनलाइन लॉगिन बना. अब सरकार के काम की रफ्तार देखिए. एक ही दिन यानी दो अक्तूबर को ही राजस्व कर्मचारी ने इंट्री की. इसी दिन सीआइ ने भी आवेदन को स्वीकृत कर सीओ को भेज दिया. सीओ ने भी उसी दिन जीवलाल के आवेदन को एसडीओ के पास भेज दिया. एक दिन में सारी प्रक्रिया पूरी कर ली.
क्या हुआ : जीवलाल की जुबानी
खबर प्रकाशित होने के बाद कार्मिक विभाग के अधिकारी रातू पहुंचे और हमे फोन कर बुलाया. हमसे सारे दस्तावेज ले लिये. अपर सचिव फोटोकॉपी कर सारे दस्तावेज ले गये. आवेदन के वक्त हमें रिसीविंग भी नहीं मिली थी, लेकिन रिकॉर्ड में इंट्री थी. सीओ ने सभी कर्मचारियों को समझाया. सहयोग नहीं कर रहा था, तो हम क्या करें? कार्मिक विभाग द्वारा जारी पत्र में साफ-साफ दिया गया है. हिंदी में लिखा हुआ है. साधारण व्यक्ति भी समझ सकता है. ज्चाइनिंग के बाद से रातू प्रखंड में ही हैं. ज्वाइंनिंग लेटर है? सीओ ने पूछा, क्या नहीं है मेरे पास? सारे दस्तावेज हैं. हमने आवेदन के साथ सर्विस बुक दिया था, लेकिन कर्मचारी नहीं समझ पा रहा था.
अगस्त में ही दिया आवेदन अब तक नहीं बना प्रमाण पत्र हर जगह खतियान की मांग
अपर बाजार निवासी विनय कुमार चौधरी ने अपनी दो बेटियों अंजली चौधरी और विभा चौधरी के लिए रातू रोड प्रज्ञा केंद्र में 29 अगस्त को ऑनलाइन आवेदन किया है. प्रज्ञा केंद्र की पावती रसीद भी है. श्री चौधरी पिछले चार महीनों से परेशान हैं. हर टेबल पर इनसे खतियान की कॉपी मांगी जा रही है. इनके बच्चे झारखंड में ही जन्मे और पढ़े-बढ़े हैं. मैट्रिक का प्रमाण पत्र सहित दूसरे मान्य दस्तावेज इनके पास हैं. कर्मचारियों के बोलने पर इन्होंने खतियान की कॉपी लगा दी. अब पिछले महीने जब इन्होंने प्रज्ञा केंद्र में संपर्क किया, तो इनको अंचल कार्यालय भेजा गया. विनय कुमार चौधरी बताते हैं कि अंचल कार्यालय में उनसे मूल खतियान ही ला कर देने को कहा गया. कहा गया कि यहां स्कैन करना है. मूल कॉपी दिखाने के बाद भी अब तक प्रमाण पत्र नहीं बना है. श्री चौधरी हर टेबल पर दौड़ रहे हैं.
जरा प्रखंडों में जा कर देखिए, कितनी परेशानी हो रही है छात्रों को
स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने में दूर-दराज के इलाके में परेशानी हो रही है. प्रभात खबर से दर्जनों छात्रों ने संपर्क किया है कि प्रज्ञा केंद्र, अंचल कार्यालय में दौड़ाया जा रहा है. टेबल-टेबल घुमाया जा रहा है. कई छात्रों ने बताया है कि प्रमाण पत्र बनाने के लिए बार-बार खतियान ही मांगा जाता है. कर्मचारी, सीआइ से लेकर सीओ तक को इसमें आसानी है. खतियान और वशांवली प्रमाण पत्र देख कर काम कर रहे हैं. मैट्रिक और दूसरे प्रमाण पत्र की जांच नहीं की जा रही है. इसकी जांच में कर्मचारी से लेकर सीओ तक रिपोर्ट भेजने में आना-कानी की जा रही है. एक-एक प्रखंड में सैकड़ों की संख्या में आवेदन लंबित हैं. हाल में सरकार ने कई नियुक्तियों की घोषणा की है. इसके लिए स्थानीयता प्रमाण पत्र मांगे गये हैं. छात्रों के सामने संकट है कि फॉर्म भरने तक उनका प्रमाण पत्र कैसे बने.
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