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केंद्रीय एजेंसियों ने बिना क्षमता देखे बांट दिये ठेकेदारों को काम

पीएमजीएसवाइ की असफलता पर करायी गयी जांच रांची : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की असफलता के मामले में हुई जांच में केंद्रीय एजेंसियों के क्रियाकलापों को सीधे तौर पर जिम्मेवार माना गया है. जेएसआरआरडीए के मुख्य अभियंता राजीव कुमार वासुदेव ने यह जांच की थी. उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दिये गये ठेके के तुलनात्मक विवरण […]

पीएमजीएसवाइ की असफलता पर करायी गयी जांच
रांची : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की असफलता के मामले में हुई जांच में केंद्रीय एजेंसियों के क्रियाकलापों को सीधे तौर पर जिम्मेवार माना गया है. जेएसआरआरडीए के मुख्य अभियंता राजीव कुमार वासुदेव ने यह जांच की थी. उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दिये गये ठेके के तुलनात्मक विवरण की जांच की. इसमें पाया कि बिना ठेकेदार की क्षमता-योग्यता देखे ही काम आवंटित किया गया. यह पाया कि एचएससीएल ने तो चतरा में एक ही ठेकेदार को 60 काम आवंटित कर दिया है. एनपीसीसी ने एक-एक ठेकेदार को 20 काम दिया है.
कई ठेकेदारों ने काम लेकर उसे पूरा भी नहीं किया, फिर उसे काम आवंटित किया गया है. एनपीसीसी के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़ेकिये गये हैं. यह लिखा गया है कि एनपीसीसी द्वारा समय से काम पूरा नहीं करनेवाले ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं की गयी और न ही कार्रवाई के लिए जेएसआरआरडीए से अनुशंसा की गयी.
उद्देश्य नहीं हुआ पूरा : जांच में लिखा गया है कि जिस उद्देश्य से पीएमजीएसवाइ का काम केंद्रीय एजेंसियों को दिया गया था, वह पूरा नहीं हो पाया. लक्ष्य की प्राप्ति हुई ही नहीं. जिला स्तर पर इन एजेंसियों द्वारा पर्याप्त तकनीकी बल भी नहीं रखा गया. वहीं जिन तकनीकी बल को प्रतिनियुक्त किया गया था, वे अनुभवी व दक्ष नहीं थे.1094 करोड़ वहन करना पड़ेगा राज्य को : पेंडिंग योजनाअों से राज्य सरकार को नुकसान होने जा रहा है.
सारी पेंडिंग योजनाअों का आकलन करने के बाद यह पता चला है कि कुल 1094 करोड़ रुपये का वहन राज्य को करना होगा. यानी राज्य सरकार अपना 1094 करोड़ रुपये लगायेगी, तभी सारी योजनाएं पूरी होगी. पहले पीएमजीएसवाइ में शत-प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती थी. अब केंद्र केवल 60 फीसदी ही देगा. 40 फीसदी राशि राज्य सरकार को लगानी होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर समय से काम पूरा हो जाता, तो राज्य को यह पैसा लगाना नहीं पड़ता. इस पूरी राशि में से 744 करोड़ रुपये केंद्रीय एजेंसियों की वजह से वहन करना पड़ेगा, जबकि 350 करोड़ विभागीय प्रमंडलों के कारण वहन करना पड़ेगा.
मुख्य सचिव ने करायी थी जांच : मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने पीएमजीएसवाइ की समीक्षा के बाद केंद्रीय एजेंसियों के क्रियकलापों के प्रति काफी नाराजगी व्यक्त की थी. इसके बाद ही उन्होंने इसकी जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था. इसके आलोक में जेएसआरआरडीए के मुख्य अभियंता ने टीम गठित कर इसकी जांच की.
नये अभियंताअों को बना दिया था प्रोजेक्ट मैनेजर
जांच में पाया गया कि एचएससीएल व एनपीसीसी ने बिल्कुल नये डिग्रीधारी अभियंताअों को प्रोजेक्ट मैनेजर बना दिया था. यानी पूरे प्रोजेक्ट की देखरेख की जिम्मेदारी इनके ही ऊपर थी. इनको कार्य का अनुभव भी नहीं था. इसका परिणाम हुआ कि बड़ी संख्या में योजनाएं पेंडिंग रह गयीं.

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