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पीड़ितों ने सुनायी आपबीती, छलक पड़े आंसू

डेढ़ सौ पीड़ित परिवार के सदस्यों को किया गया सम्मानित रांची-सिमडेगा : कार्यक्रम के दौरान उग्रवादी घटना में मारे गये लोगों के परिवार के सदस्यों ने इस खुले मंच पर अपनी समस्याओं से पुलिस पदाधिकारियों एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों को अवगत कराया. उन्होंने आपबीती भी सुनायी. इस दौरान कई पीड़ितों के आंखों से आंसू छलक आये. […]

डेढ़ सौ पीड़ित परिवार के सदस्यों को किया गया सम्मानित
रांची-सिमडेगा : कार्यक्रम के दौरान उग्रवादी घटना में मारे गये लोगों के परिवार के सदस्यों ने इस खुले मंच पर अपनी समस्याओं से पुलिस पदाधिकारियों एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों को अवगत कराया. उन्होंने आपबीती भी सुनायी. इस दौरान कई पीड़ितों के आंखों से आंसू छलक आये. नम आंखों से पीड़ितों ने घटना की कहानी सुनायी और प्रशासन से मदद की गुहार लगायी.
भेड़ीकुदर निवासी मीना देवी ने बताया कि उसके पति सिलाई का काम करते थे. किंतु उग्रवादियों ने पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाते हुए वर्ष 2008 में हत्या कर दी. पति की हत्या के बाद काफी समस्या उत्पन्न हो गयी थी. किंतु बाद उन्हें नौकरी मिली और मुआवजा भी मिला.
इसके बाद उनकी स्थिति सुधर गयी. अब वह अपने बच्चों को पढ़ा लिखा रही हैं और जीवन यापन सुचारू रूप से चल रहा है. लीला देवी ने नम आंखों से कहा कि उनके पति दीनबंधु को पुलिस मुखबिर बता कर उग्रवादियों ने मार दिया. उनके समक्ष काफी समस्याएं हैं. बच्चों को पढ़ाना लिखाना चाहती हैं, किंतु समस्या बरकरार है.
विवयाना ने कहा कि उनके पति चमरा लोहरा को वर्ष 2003 में उग्रवादियों द्वारा मार दिया गया था. तीन बच्चे हैं. किसी प्रकार बच्चों को पढ़ा- लिखा रही हूं. किंतु आगे पढ़ाने की चिंता है. उन्हें सहायता की जरूरत है. लसिया निवासी संजय कुमार ने कहा कि उनके भाई पारा शिक्षक मनोज कुमार की पीएलएफआइ उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी. इससे उनका परिवार बिखर गया. बोलबा निवासी मीरा देवी ने कहा कि उनके पति की 2009 में उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी. उन्हें अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला और ना ही नौकरी मिली. उनकी स्थिति
काफी दयनीय है. उन्हें सहायता की जरूरत है.
कोलेबिरा के बोंबोटोली निवासी शेख मुस्तफा ने कहा कि वर्ष 2011 में उसके पुत्र शेख शमीम की हत्या उग्रवादियों ने कर दी थी. उग्रवादियों ने एक लाख लेवी मांगी थी, नहीं देने पर उसकी हत्या कर दी गयी.
ठेठइटांगर निवासी ललिता ने बताया कि वर्ष 2013 में उनके पति विनोद केसरी की हत्या उग्रवादियों ने कर दी थी, किंतु अब तक उन्हें कोई मुआवजा मिला और न ही नौकरी मिली. मौके पर बानो की पुष्पा देवी, सुलोचना देवी, फरहीन बेगम, सुषमा देवी, बसंती देवी ने भी आपबीती सुनायी और प्रशासन े मदद की गुहार लगायी.

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