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जमाबंदी रद्द करने का मामला: तय हो सकती है 30 वर्ष की समय सीमा
रांची : सरकार लंबे समय से जमाबंदी करा कर रहनेवाले गरीब परिवारों को राहत दे सकती है. इसके लिए 30 वर्ष की समय सीमा तय की जा सकती है. यानी 30 वर्ष या उससे अधिक समय की जमाबंदी रद्द नहीं करने का फैसला ले सकती है. सरकार ऐसे मामलों को चिह्नित करेगी. मुख्यमंत्री रघुवर दास […]
रांची : सरकार लंबे समय से जमाबंदी करा कर रहनेवाले गरीब परिवारों को राहत दे सकती है. इसके लिए 30 वर्ष की समय सीमा तय की जा सकती है. यानी 30 वर्ष या उससे अधिक समय की जमाबंदी रद्द नहीं करने का फैसला ले सकती है. सरकार ऐसे मामलों को चिह्नित करेगी. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जमाबंदी रद्द करने के मामले में कैटेगरी तय करे़ं अलग-अलग वर्ग बना कर जमीन चिह्नित करे़ं वर्षों से रहनेवालों को राहत दी जाये. गैर मजरुआ जमीन की बड़े पैमाने पर जमाबंदी करानेवालों को अलग से चिह्नित किया जाये. आवास या मामूली खेती बारी की जरूरत से अधिक जमीन की जमाबंदी करनेवालों पर सरकार कार्रवाई भी करेगी़.
क्या था मुख्य सचिव का आदेश : मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने 13 मई को उपायुक्तों को पत्र लिख कर अवैध, संदेहास्पद जमाबंदी रद्द करने के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया था.
शिविर लगा कर खतियान की गैर मजरुआ मालिक, आम जमीन का ब्योरा तैयार करने को कहा था.
उन्होंने कहा था कि मात्र सरकारी लगान रसीद के आधार पर किसी के दावा को नहीं माना जाये़ इसका चौतरफा विरोध हो रहा है. राजद ने मुख्य सचिव के आदेश का सबसे पहले विरोध किया था. विपक्ष का कहना है कि इससे गरीब परिवार उजड़ जायेंगे़ वर्षों से रहनेवाले भूमिहीन, गरीब परिवारों की जमीन चली जायेगी़ विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायक भी इस फैसले के विरोध में थे़
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