दंडित अधिकारियों में आठ सहायक आयुक्त और पांच वाणिज्यकर अधिकारी थे. लेकिन इनमें से सिर्फ तीन को निलंबित किया गया. आठ अधिकारियों को चेतावनी दी गयी. दो अधिकारियों को दी गयी चेतावनी उनकी सेवा पुस्तिका में लिखने का दंड दिया गया. पर अपरिहार्य कारणों से तीन दिनों बाद सेवा पुस्तिका में चेतावनी दर्ज करने के आदेश को समाप्त कर दिया गया.
विभाग ने सहायक आयुक्त स्तर के जिन तीन अधिकारियों को 29 अप्रैल को निलंबित किया, उनमें संजय कुमार राव, राम प्रवेश प्रसाद और निरंजन सिंह शामिल हैं. सरकारी आदेश में इन्हें राजस्व वसूलने के मामले में असंवेदनशील होने, संदेहास्पद लेखा-जोखा तैयार करने और उच्चाधिकारियों को दिगभ्रमित करने के आरोप में निलंबित करने का उल्लेख है.
शेष 10 अधिकारियों पर काम में लापरवाही बरतने, राजस्व संग्रह के मामले में असंवेदनशील होने और उच्चाधिकारियों को दिगभ्रमित करने का आरोप लगाया गया है. एक समान आरोप वाले इन अधिकारियों में से आठ को सिर्फ चेतावनी देने का दंड दिया गया. जबकि दो (अमरकांत ठाकुर, उमेश चंद्र दास) को दी गयी चेतावनी उनकी सेवा पुस्तिका में दर्ज करने का आदेश दिया गया. पर 29 अप्रैल को जारी इस आदेश में तीन मई को संशोधित करते हुए यह कहा गया कि इन अधिकारियों को दी गयी चेतावनी उनकी सेवा पुस्तिका में नहीं दर्ज की जायेगी.