बधिर पति की पहली पत्नी के दो बच्चों को भी पाल रही रानी
धनेश्वर प्रसाद
जन्म से ही दायें हाथ से दिव्यांग रानी ने अपनी इस अक्षमता को अपने बुलंद हौसले से मात दी है. सिलाई का पेशा अपना कर परिवार का भरण-पोषण करती हैं और लोगों के लिए प्रेरणा बन गयी हैं. उन्हें आकर्षक महिला परिधान बनाने में महारत है. भुरकुंडा थाना क्षेत्र से 17 वर्ष पूर्व रानी के माता-पिता कुजू आ गये, क्योंकि यहां केशरी समाज के लोगों की संख्या बहुत अधिक है.
रानी बड़ी हुई, तो पिता श्यामलाल को उसकी शादी की चिंता सताने लगी. ऐसे में मुंबई में रहनेवाले बधिर श्यामलाल, जो बाद में कुजू में डीओ होल्डर के कार्यालय में नौकरी करने लगा, ने वर्ष 2004 में रानी का हाथ थामा. रानी शंकर की दूसरी पत्नी है. पहली पत्नी से शंकर को एक पुत्र व पुत्री है. शादी के बाद से ही रानी सिलाई का काम करने लगी. रानी अपने सात वर्षीय पुत्र अनमोल, बधिर पति, वृद्ध पिता के अलावे शंकर की पहली पत्नी के दो बच्चों का भी भरण पोषण कर रही है.
रानी को शुरू में तीन महीने प्रतिमाह 200 रुपये पेंशन मिली. बाद में बंद हो गया. काफी जद्दोजहद के बाद जनवरी, 2016 से 400 रुपये मेंशन मिल रही है. शंकर की पहली पत्नी की दो संतानें 19 व 17 वर्ष की हैं. वहीं, रानी का सात वर्षीय बेटा भी अब स्कूल जाने लगा है. सभी की जिम्मेवारी उसी पर है.