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सभी को राशन कार्ड नहीं दे सकी सरकार
सुस्त चाल. दो साल पहले शुरू हुई थी राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया रांची : सरकार के तय मापदंड के अाधार पर चयनित योग्य उपभोक्ता को जन वितरण प्रणाली की दुकान का राशन कार्ड दिया जाता है. राज्य सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग ने राज्य भर में कुल 54.71 लाख पीडीएस उपभोक्ता परिवारों को चिह्नित […]
सुस्त चाल. दो साल पहले शुरू हुई थी राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया
रांची : सरकार के तय मापदंड के अाधार पर चयनित योग्य उपभोक्ता को जन वितरण प्रणाली की दुकान का राशन कार्ड दिया जाता है. राज्य सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग ने राज्य भर में कुल 54.71 लाख पीडीएस उपभोक्ता परिवारों को चिह्नित किया था.
स्क्रूटनी के बाद इनमें से 51.70 लाख आवेदन वैध पाये गये. विभाग इतने ही परिवारों (अंत्योदय : 917751 तथा प्राथमिकता वाले परिवार : 4252408) को योग्य लाभुक मान रहा है.
अपुष्ट सूचना के मुताबिक इनमें से अब तक करीब 20-25 लाख परिवारों को ही राशन कार्ड उपलब्ध कराया जा सका है.शेष को राशन कार्ड मिलना बाकी है. दो कारणों से एेसा हो रहा है. एक तो कई योग्य लाभुकों के नाम उपभोक्ता सूची में नहीं हैं, वहीं कई अयोग्य व समृद्ध लोगों का भी कार्ड बन गया है. दरअसल उपभोक्ताअों को गत दो वर्ष से राशन कार्ड नहीं मिला है. पहले मैनुअल कार्ड का डिजिटाइजेशन किया जाना था. इससे ठीक पहले जारी मैनुअल कार्ड को सरकार ने रद्द कर दिया था. पर डिजिटाइजेशन का काम पूरा होने में काफी वक्त लग गया. यह कार्ड हैदराबाद से बन कर आता था. इस बीच देश में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू हो गया.
इसमें अलग तरह के मैनुअल कार्ड का ही प्रावधान किया गया. अंतर सिर्फ यह है कि नये कार्ड में परिवार की मुखिया के रूप में किसी महिला सदस्य का ही नाम होना चाहिए. वहीं पहले के अंत्योदय, बीपीएल, अतिरिक्त बीपीएल व एपीएल केटेगरी को खत्म करते हुए उपभोक्ताअों की सिर्फ दो केटेगरी को मान्यता दी गयी. एक अंत्योदय परिवार (एएवाइ) तथा दूसरा प्राथमिकता वाला परिवार (पीएच).
कैसे बनेगा कार्ड : किसी योग्य लाभुक का कार्ड शहरी क्षेत्र में वार्ड मेंबर तथा ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत सचिवालय से फॉर्म लेकर बनाया जा सकता है. ग्रामीण इलाके में फॉर्म मुखिया या संबंधित प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी के पास जमा कर देना है. शहरी इलाके में भरा हुआ फॉर्म वार्ड मेंबर को भी दिया जा सकता है.
ऐसे लोग लाभुक नहीं हो सकते
सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभुक होने की अर्हता पहले ही तय कर दी है. इसके अनुसार वैसे लोग या परिवार इस अधिनियम के तहत सस्ते अनाज के पात्र नहीं हो सकते
– जिस परिवार का कोई सदस्य केंद्र/राज्य सरकार, विवि, निगम या सरकार के किसी भी प्रतिष्ठान में कार्यरत हो
– जिस परिवार का कोई सदस्य आय कर, सेवा कर या वाणिज्य कर देता हो
– जिस परिवार के पास पांच एकड़ से अधिक सिंचित भूमि या 10 एकड़ से अधिक जमीन हो
– जिस परिवार के किसी भी सदस्य के नाम चार पहिया वाहन हो या परिवार के किसी सदस्य के पास रजिस्टर्ड उद्योग हो
– जिस परिवार के पास फ्रिज, एसी या वाशिंग मशीन हो
– जिस परिवार के पास तीन या अधिक कमरों वाला पक्का मकान हो, मशीन चालित कृषि उपकरण (ट्रैक्टर या अन्य) हो
केस स्टडी
सोनाराम को जरूरत है राशन कार्ड की पर है नहीं
टाटीसिलवे के पास महिलौंग में रहता है सोनाराम महतो. कहने को तो सोनाराम के पास दो एकड़ जमीन है. पर इसमें से आधी जमीन टांड़ है. बारिश अच्छी रहने पर सोनाराम करीब 30 मन धान उपजा लेता है.
पर अबकी बार धान की फसल खेत में ही भूसा बन गयी. अबकी तीन मन धान की भी उम्मीद सोनाराम को नहीं है. इससे खेती में लगा खर्च भी नहीं निकलने वाला. घर में बीमार पत्नी है. एक बेटा भी, जो मजदूरी करता है. सोनाराम को जल्द ही अनाज की जरूरत होगी. पर अभी तो उसके गांव में राशन कार्ड ही नहीं बंटा है. यह स्थिति राज्य में लाखों लोगों के साथ है.
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