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10 साल में खत्म हो जायेगा भूगर्भ जल
इस बार दिसंबर में ही झारखंड के लगभग सभी शहरों में जल संकट उत्पन्न हो गया है़ पानी की राशनिंग शुरू कर दी गयी है़ कई नदी और तालाब सूख गये हैं, कई सूखने के कगार पर हैं. वैसे भी पूरा राज्य सूखे की चपेट में है़ लगातार चौथे साल औसत से कम वर्षा हुई […]
इस बार दिसंबर में ही झारखंड के लगभग सभी शहरों में जल संकट उत्पन्न हो गया है़ पानी की राशनिंग शुरू कर दी गयी है़ कई नदी और तालाब सूख गये हैं, कई सूखने के कगार पर हैं.
वैसे भी पूरा राज्य सूखे की चपेट में है़ लगातार चौथे साल औसत से कम वर्षा हुई है़ फसल सूख गयी है, किसान परेशान हैं. न घर में पानी है और न ही खेतों में. यह अलार्मिंग स्थिति है़
अगर हम नहीं चेते, तो आनेवाले दिनों में हम पानी के लिए तरसेंगे़ इसका सबसे बड़ा कारण हमारी ही लापरवाही है़ हमने भूमिगत जल को रिचार्ज करने के सारे स्रोत बंद कर दिये हैं. भविष्य के खतरों को सोचे बिना भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं. इस कारण एक हजार फीट तक बोरिंग कराने के बाद भी पानी नहीं मिल रहा है़ स्थिति भयावह है. अौर बिगड़नेवाली है….
रांची : सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट (2013-14) में कहा गया है कि झारखंड में अगर वर्तमान रफ्तार से भूगर्भ जल का दोहन होता रहा, तो भविष्य में पानी मिलना मुश्किल हो जायेगा़ आनेवाले 10 सालों में रांची में भूगर्भ जल समाप्त हो जायेगा़ सिर्फ रांची ही नहीं, राज्य के लगभग सभी जिलों की यही स्थिति है़
बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में हर साल औसतन 1400 मिलीमीटर बारिश होती है़ इसके बाद भी जलस्तर औसतन छह फीट कम हो रहा है़ मात्र 4.46 फीसदी भूमिगत जल ही रिचार्ज हो रहा है. 80 फीसदी जल बेकार बह रहा है.
धनबाद और रामगढ़ क्रिटिकल जोन : भूमिगत जलस्तर के लगातार गिरने से शहरों का हाल बुरा हो गया है. कुएं और सप्लाई वाटर की व्यवस्था चौपट हो गयी है़ डीप बोरिंग ही एक सहारा रह गया है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि शहरों में भूमिगत जल को रिचार्ज करने का काम नहीं हो रहा है़ बोर्ड ने धनबाद और रामगढ़ को क्रिटिकल जोन के रूप में चिह्नित किया है. रांची, बोकारो, चास, जमशेदपुर, झरिया, गोड्डा के शहरी इलाके को सेमी क्रिटिकल जोन में रखा है.
भूगर्भ जल गिरावट के मुख्य कारण
मकान, अपार्टमेंट व ऊंची बिल्डिंग जैसे कंकरीट के जंगल बढ़ने से वर्षा जल रिचार्ज में 60 प्रतिशत तक कमी आयी है
बड़ी इमारत बनने से एक्यूफर जगह-जगह कट रहे हैं. इससे भूगर्भ जलवाली भूमंडलीय संरचना प्रभावित हो रही है
डीप बोरिंग की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है
बढ़ती आबादी के साथ पानी की खपत में भी लगातार वृद्धि हो रही है
भू-जल रिचार्ज के रास्ते बंद हो गये हैं. तालाब लुप्त होने के कगार पर हैं
भूगर्भ जल के दोहन में 50 प्रतिशत वृद्धि, अनुपात में रिचार्ज नहीं के बराबर
पीसीसी पथ बनाने से वर्षा जल का रिचार्ज नहीं हो पा रहा है
झारखंड की स्थिति
राज्य भर का भूगर्भ जल स्तर गिरा
चतरा में सिर्फ 15 मिनट मिलता है पानी, वह भी गंदा
साहेबगंज जिले में डीप बोरिंग से चौक-चौराहों में ही जलापूर्ति
धनबाद में 215 के बजाय 203 लाख गैलन जलापूर्ति
बेपानी हुई नदियां
गुमला : दक्षिणी कोयल नदी सूखी, शंख नदी में भी पानी नहीं
पलामू : कोयल नदी में सिर्फ दो-चार इंच पानी
लातेहार : औरंगा नदी के पाट पर सिर्फ 10 फीसदी पानी, सुकरी नदी सूखी
लोहरदगा : कोयल नदी में सिर्फ तीन फीट पानी, शंख नदी सूखी
दुमका : हिजला नदी नवंबर में ही सूखी
देवघर : डढ़वा नदी में पानी हुआ कम
जामताड़ा : अजय नदी नवंबर में ही सूखी
गोड्डा : कझिया नदी में सिर्फ छह इंच पानी
गढ़वा : दानरो नदी में सिर्फ चार इंच पानी, बांकी व तहले नदी सूखी, कनहर और पंडा नदी में काफी कम पानी
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