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15 साल में 10 गुणा बढ़े वाहन, सड़कें वही

सुरजीत सिंह मुद्दा. शहर में लाइलाज होती जा रही है ट्रैफिक की समस्या, सुधार के करने होंगे उपाय वर्ष 2012 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक रांची शहर में हर दिन 28.12 लाख लोग सड़क पर निकलते हैं. 85 हजार लोग कार से सफर करते हैं, जबकि 5.69 लाख लोग बाइक से. 11.31 लाख लोग […]

सुरजीत सिंह
मुद्दा. शहर में लाइलाज होती जा रही है ट्रैफिक की समस्या, सुधार के करने होंगे उपाय
वर्ष 2012 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक रांची शहर में हर दिन 28.12 लाख लोग सड़क पर निकलते हैं. 85 हजार लोग कार से सफर करते हैं, जबकि 5.69 लाख लोग बाइक से. 11.31 लाख लोग ऑटो से, 96 हजार लोग रिक्शा से चलते हैं. सिर्फ 22 हजार लोग बस में सफर करते हैं. राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति दयनीय है. राज्य गठन के बाद से रांची में वाहनों की संख्या 10 गुणा बढ़कर करीब चार लाख पहुंच गयी है.
लेकिन इस दौरान सड़कें नहीं बढ़ीं. फ्लाइ ओवर नहीं बने. कई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकी. सड़कों की चौड़ाई पहले के मुकाबले डेढ़ गुणा ही बढ़ायी जा सकी. इन वजहों से शहर में जाम की समस्या बढ़ गयी है. हम नये साल में कदम रख चुके हैं, तो लगातार लाइलाज होती जा रही इस समस्या का समाधान हमें खोजना ही होगा. इस मुद्दे को प्रभात खबर अभियान के रूप में ले रहा है. हम लागातर इस समस्या की वजहों और इसके समाधान की ओर लोगों का ध्यान खींचेंगे.
रांची : रांची शहर 173 स्क्वायर किमी में फैला हुआ है. इसमें 120 स्क्वायर किमी रांची नगर निगम क्षेत्र का है. राज्य गठन के बाद यहां सचिवालय खुला. रोज हजारों लोग शहर में आते हैं.
रांची और आसपास करीब 540 इंडस्ट्रियल यूनिट चल रही हैं. वर्ष 2001 में रांची जिले की जनसंख्या 23.50 लाख थी. तब शहर की जनसंख्या 9.78 लाख थी. वर्ष 2011 में रांची जिले की जनसंख्या बढ़ कर 29.14 लाख हो गयी. इसमें रांची शहरी क्षेत्र की आबादी 12.57 लाख है. शहर में मकान बढ़ते गये, पर सड़क व अन्य आधारभूत संरचना का विकास नहीं हुआ. आज भी वर्ष 1983 की पुरानी व्यवस्था में थोड़ा-बहुत बदलाव कर ही काम चल रहा है. इसका परिणाम यह है कि शहर की सड़कें ट्रैफिक जाम का शिकार बन गयी हैं.
मेन रोड, ओल्ड एजबी रोड, सर्कुलर रोड, कचरी रोड, रातू रोड, हरमू रोड, डोरंडा समेत सभी सड़कों, चौक-चौराहों पर सुबह से रात तक जाम लगा रहता है. वाहन रेंगते हैं. इसके चलते पेट्रोल-डीजल की खपत डेढ़ से दो गुणा बढ़ जाती है. शहर में वाहनों की बढ़ोतरी की वजह से प्रदूषण की समस्या भी बढ़ रही है. हालात खराब होने से पहले हमें चेतना होगा. सड़कें चौड़ी करनी होंगे. ओवरब्रिज बनाने होंगे. पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को दुरुस्त करना होगा.
कितनी बदली सड़कों की सूरत
सड़क वर्ष 2000 में चौड़ाई अब
बरियातू रोड 7.5 मीटर 14 मीटर
मेन रोड 10 मीटर 20 मीटर
हरमू रोड 14 मीटर 18 मीटर
कांके रोड 7.00 मीटर 15 मीटर
सरकुलर रोड 10 मीटर 12 मीटर
कोकर रोड 7.5 मीटर 12 मीटर
डोरंडा-बिरसा चौक रोड 13 मीटर 22 मीटर
पुरुलिया रोड 7.00 मीटर 7से 9मीटर
कचहरी रोड 12 मीटर 14 मीटर
बूटी मोड़-खेलगांव 7.00-8.00 मीटर 9 मीटर
खेलगांव-कांटाटोली 6.00 मीटर 7 मीटर
कांटाटोली-सिरमटोली 7.00 मीटर 13 मीटर
हर दिन शहर की सड़कों पर निकलते हैं 28.12 लाख लोग
इंस्टीच्यूट ऑफ ट्रांसपोर्ट एंड डेवलपमेंट पॉलिसी (आइटीडीपी) ने वर्ष 2012 में रांची की ट्रैफिक व्यवस्था पर एक अध्ययन किया था. इसमें यह तथ्य सामने आया कि रांची की सड़कों पर हर दिन 28.21 लोग गुजरते हैं. इनमें सिर्फ 22 हजार लोग (01 प्रतिशत से भी कम) बस सेवा का इस्तेमाल करते हैं. 11.31 लाख लोग (करीब 40 प्रतिशत) ऑटो का इस्तेमाल करते हैं.
5.69 लाख (करीब 20 प्रतिशत) लोग दो पहिया, 3.06 लाख लोग (करीब 11 प्रतिशत) साइकिल और 96 हजार लोग (करीब 22 प्रतिशत) पैदल चलते हैं. 85 हजार लोग कार से सफर करते हैं. कम से कम 60 हजार कारें हर रोज सड़क पर उतरती है. इस आंकड़े से साफ है कि अगर शहर में बसों की संख्या व्यवस्थित तरीके से बढ़ायी जाये, तो लोगों को जाम से निजात दिलायी जा सकती है.
हालात : ढाई किमी तय करने में लगता है आधा घंटा
रांची के ढाई किमी लंबे मेन रोड को कार से पार करने में 25-30 मिनट लग जाते हैं. रातू रोड सुबह से ही जाम रहता है.
कांटाटोली-बहू बाजार-क्लब रोड, सर्कुलर रोड, पुरुलिया रोड, ओल्ड एचबी रोड, बरियातू रोड, हरमू रोड, हिनू रोड समेत तमाम सड़कें दिन भर जाम रहती हैं. कांटटोली चौक को पार करने में 15-20 मिनट समय लग जाता है. लालपुर चौक, अल्बर्ट एक्का चौक, रातू रोड न्यू मार्केट चौराहा चौक, पुरानी रांची चौक, सर्जना चौक भी दिन भर जाम ही रहते हैं.

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