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मोबाइल का अधिक प्रयोग किया, तो बहरेपन का खतरा

मोबाइल का अधिक प्रयोग किया, तो बहरेपन का खतरा रांची. मोबाइल का अधिक प्रयोग कान के परदे के लिए खतरनाक है. प्रतिदिन आठ घंटे से ज्यादा मोबाइल के प्रयोग से बहरापन का खतरा रहता है. इयर फोन आैर भी खतरनाक है. आज के युवा 12 से 13 घंटा तक इयर फोन का इस्तेमाल कर रहे […]

मोबाइल का अधिक प्रयोग किया, तो बहरेपन का खतरा रांची. मोबाइल का अधिक प्रयोग कान के परदे के लिए खतरनाक है. प्रतिदिन आठ घंटे से ज्यादा मोबाइल के प्रयोग से बहरापन का खतरा रहता है. इयर फोन आैर भी खतरनाक है. आज के युवा 12 से 13 घंटा तक इयर फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो खतरनाक है़ ये बातें बत्रा हॉस्पिटल, नयी दिल्ली के डॉ सुनील कठुरिया ने प्रभात खबर के संवाददाता राजीव पांडेय से बातचीत में कही. मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल कान पर कैसे असर डालता है? के सवाल पर डॉ बत्रा ने कहा कि मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल करने का असर तुरंत नहीं दिखता. यह धीरे-धीरे असर डालता है. कान के परदा को प्रभावित करने लगता है. हमारा कान निर्धारित समय तक ही आवाज को बर्दास्त करता है. युवाओं को इसकी जानकारी नहीं है, इसलिए वह इसको गंभीरता से नहीं लेते हैं. इससे बोलने की क्षमता भी प्रभावित होती है. सुनने की नस कमजाेर हो जाती है. ब्रेन पर विपरीत असर पड़ता है. बच्चों में बहरेपन की समस्या पर कहा कि कई बच्चों में बहरापन जन्मजात भी होता है. मां गर्भ के समय अगर संक्रमित हो जाये,तो कई बार बच्चे के कान का परदा भी प्रभावित होता है. जन्म के बाद नवजात आइसीयू में भरती रहा हो, तो भी उसके कान पर असर पड़ता है. देखा गया है कि एक हजार में छह बच्चों में हेयरिंग की समस्या होती है. 1000 में चार से पांच बच्चों को कोक्लियर इंप्लांट की आवश्यकता होती है. दो से पांच साल के अंदर बहरेपन की समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है.

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