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टुंडी में खुला था पहला एकल विद्यालय

धनबाद: सुदूर ग्रामीण इलाके में अनुसूचित जनजाति के बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से उग्रवाद प्रभावित टुंडी प्रखंड से शुरू एकल विद्यालय आज पूरे दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुका है. आज देश के अंदर 50 हजार से अधिक एकल विद्यालय संचालित हैं. लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थी एकल विद्यालय से पंचमुखी शिक्षा ले […]

धनबाद: सुदूर ग्रामीण इलाके में अनुसूचित जनजाति के बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से उग्रवाद प्रभावित टुंडी प्रखंड से शुरू एकल विद्यालय आज पूरे दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुका है. आज देश के अंदर 50 हजार से अधिक एकल विद्यालय संचालित हैं. लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थी एकल विद्यालय से पंचमुखी शिक्षा ले रहे हैं. एकल विद्यालय के जरिये जंगल एवं सुदूर इलाका जहां शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, साक्षरता का अलख जगाया जा रहा है.

वर्ष 1987 में कोयलांचल के प्रसिद्ध उद्योगपति व समाजसेवी स्व. मदन लाल अग्रवाल ने ग्रामीण आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए एकल विद्यालय की शुरुआत की. धनबाद जिले के उग्रवाद प्रभावित टुंडी प्रखंड के सिंदवारी एवं लाइड़वारी गांव में एकल विद्यालय की नींव पड़ी थी. दूरदराज के इलाकों में मदन लाल अग्रवाल दवाई व भोजन की निरंतर व्यवस्था किया करते थे. छोटे-छोटे गांवों में मॉडल विद्यालय खोलना उस वक्त संभव नहीं था.

इधर उन्हें प्रयोग के रूप में एक शिक्षक एक विद्यालय शुरू करने की जिम्मेवारी भी सौंपी गयी. इसे सहर्ष स्वीकारते हुए उन्होंने एकल विद्यालय शुरू किया. यहां के सबसे पहले एकल विद्यालय के शिक्षक नारायण मरांडी थे, जो 15 वर्षों तक पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में रहे. कुछ वर्षों बाद उन्हें 100 रुपये प्रति माह मानदेय भी दिया जाने लगा. इसके बाद धीरे-धीरे 1991 तक झारखंड प्रांत में 900 एकल विद्यालय चलने लगे. वर्ष 2001 में एकल अभियान ने अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया.

विद्यालय की खासियत
एकल विद्यालयों में बाकी विद्यालय से भिन्न शिक्षा दी जाती है. यहां संस्कार शिक्षा का भी अहम स्थान है. एक गुणवान नागरिक होने के लिए उत्तम संस्कार भी होना चाहिए. एकल अभियान के तहत प्राथमिक शिक्षा के साथ आरोग्य शिक्षा, विकास शिक्षा, जागरण शिक्षा भी दी जाती है. इस तरह एक विद्यालय में पंचमुखी शिक्षा से जिंदगी की सही राह दिखायी जाती है.

पंचमुखी शिक्षा पंचमुखी गतिविधि
इसमें बाल शिक्षा (श्रमादान विद्यालय), आरोग्य शिक्षा (आरोग्य योजना), विकास शिक्षा (ग्रामोत्थान योजना), जागरण शिक्षा (ग्राम स्वराज योजना), संस्कार शिक्षा (व्यसन मुक्ति दीक्षा) शामिल है. श्रमादान विद्यालय में पांचवीं-दसवीं तक की पढ़ाई होती है और साथ में प्रतिदिन अतिरिक्त समय में खेती एवं स्किल ट्रेनिंग दी जाती है. पढ़ाई पूर्ण करने पर प्रमाणपत्र भी मिलता है. वहीं आरोग्य योजना में स्वास्थ्य शिविर, चिकित्सा सेवा केंद्र, एनिमिया रोकथाम, आरोग्य स्वास्थ्य केंद्र संचालित होते हैं. ग्रामोत्थान योजना में जीआरसी के माध्यम से पोषण वाटिका का प्रशिक्षण दिया जाता है. यह गाय आधारित खेती व खेती आधारित ग्रामोद्योग का प्रशिक्षण है. वहीं ग्राम स्वराज्य योजना में सरकार की वेल्फेयर स्कीम के बारे में जागरूक किया जाता है. सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करने को कहा जाता है. इसके अलावा पौधरोपण भी होते हैं. व्यसन मुक्ति दीक्षा में शराब के नशे से मुक्ति के उपाय किये जाते हैं. इसमें लोगों में भगवत भक्ति के नशे से शराब के नशे को दूर करने का प्रयास होता है. हरिकथा योजना के सत्संग प्रशिक्षण प्रमुखों द्वारा अन्य ग्राम सत्संग प्रमुखों को प्रशिक्षण दिया जाता है. व्यास एवं कथाकार के माध्यम से यह होता है.

मार्च में हुआ था परिणाम कुंभ
एकल विद्यालय अभियान के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक, दो एवं तीन मार्च 2015 को धनबाद में परिणाम कुंभ का आयोजन वनबंधु परिषद की ओर से किया गया था. इसमें आरएसएस के सरसंघचालक मोहन राव भागवत, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संस्थापक अशोक सिंघल, दीदी मां साध्वी ऋतंभरा, चंपत राय, एकल अभियान के केंद्रीय संगठन प्रभारी श्याम जी गुप्त, जी नेटवर्क हेड जगदीश चंद्रा जैसी हस्तियां शामिल हुई. एकल अभियान धनबाद चैप्टर के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल व आयोजन समिति के अध्यक्ष केएन मित्तल ने दिन-रात मेहनत कर इसका सफल आयोजन किया. मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित राज्य के कई कैबिनेट मंत्री व राज्य के कई सांसद, विधायक भी परिणाम कुंभ में शामिल हुए थे.

एक लाख विद्यालय का लक्ष्य
एकल अभियान धनबाद चैप्टर के कार्यकारी अध्यक्ष केएन मित्तल ने बताया कि अगले 25 वर्षों में एक लाख एकल विद्यालय खोलने का लक्ष्य रखा गया है. अभियान की खासियत है कि यहां ग्रामीणों को जैविक खाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाता है. एक एकड़ भूमि में जितनी फसल पहले होती थी, अब डेढ़ गुणा होती है. इससे न केवल अधिक फसल का लाभ होता है, बल्कि उसमें रसायन बिल्कुल नहीं होता है. गौ माता को केवल दूध देनेवाला पशु समझा जाता है, लेकिन उसके गोबर व मूत्र बहुत गुणकारी हैं. इसलिए अभियान में गोबर गैस प्लांट तैयार करने की भी ट्रेनिंग दी जाती है.

धनबाद चैप्टर में कौन-कौन : अध्यक्ष महेंद्र कुमार अग्रवाल, केदार नाथ मित्तल -कार्यकारी अध्यक्ष, सचिव केशव हड़ोदिया, कोषाध्यक्ष दीपक रुइया आदि.

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