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हाइकोर्ट का आदेश : जल्द भरें शिक्षकों के 40 हजार पद

हाइकोर्ट का आदेश : हर हाल में नियुक्ति की प्रक्रिया पांच से छह माह में पूरी करें रांची : हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य भर के स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात में शिक्षकों की कमी व बुनियादी सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की […]

हाइकोर्ट का आदेश : हर हाल में नियुक्ति की प्रक्रिया पांच से छह माह में पूरी करें
रांची : हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य भर के स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात में शिक्षकों की कमी व बुनियादी सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को स्कूलों में वर्षो से रिक्त पड़े शिक्षकों के 40,000 से अधिक पदों पर शीघ्र बहाली की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया. नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया पांच से छह माह के अंदर पूरी की जाये.
खंडपीठ ने सरकार की दलील को खारिज करते हुए कहा कि नये शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में 20 अप्रैल तक बच्चों को पाठय़ पुस्तकें उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाये. अगली सुनवाई के पूर्व शिक्षकों की नियुक्ति व पाठय़ पुस्तकों की उपलब्धता के विषय में शपथ पत्र के माध्यम से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया जाये. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तिथि निर्धारित की. सरकार के जवाब को देखने के बाद खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की. कहा कि सरकार के स्कूलों में गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं. बिना शिक्षक और बिना पुस्तक के बच्चों कीपढ़ाई कैसे हो रही है. लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है. इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है.
क्या गरीब के बच्चे भी पांच हजार रुपये देकर संत मेरी जैसे स्कूलों में पढ़ेंगे अथवा सरकार अपने स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करायेगी. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि झारखंड में नौकरी के अवसरों की कोई कमी नहीं है. राज्य के पास पर्याप्त संसाधन है. यहां के लोगों को बाहर जाने की क्या जरूरत है. राज्य सरकार को चाहिए कि वह लोगों को फटाफट नौकरी दे. रोजगार सृजित करे. इतनी नौकरी दे, ताकि यहां के लोगों को दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़े. युवाओं को बाहर के विज्ञापन देखने की जरूरत तक नहीं पड़े.
खंडपीठ ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को जुलाई 2012 तक नियुक्ति पूरी करनी थी, लेकिन उसकी प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं की गयी है. इससे प्रतीत होता है कि नियुक्ति के प्रति सरकार के अधिकारियों में कोई गंभीरता नहीं है. अधिकारी माइंडसेट बदलें, काम करें, ताकि कोर्ट को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं पड़े. हरहाल में नियुक्ति की प्रक्रिया पांच से छह माह में पूरी करें. इस मामले की मॉनिटरिंग की जरूरत होगी, तो कोर्ट वह भी करेगा.
समय सीमा के अंदर नियुक्ति नहीं की गयी, तो अधिकारियों को कोर्ट आना पड़ेगा. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार ने खंडपीठ को बताया कि 12,999 प्राथमिक शिक्षकों के पद के विरुद्ध 4,552 शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है. प्रक्रिया जारी है. उर्दू विषय के 3,914 पद के विरुद्ध 487 की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी भीम प्रभाकर ने जनहित याचिका दायर की है.
प्रार्थी ने स्कूलों में शिक्षकों व बुनियादी सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है. साथ ही प्रार्थी सुशील कुमार तिवारी व अन्य ने भी जनहित याचिका दायर की है. उक्त मामलों की सुनवाई एक साथ हो रही है.

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