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डॉ नरेश त्रेहन ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कहा, लालच में हो रही 20 से 30 फीसदी एंजियोप्लास्टी

देश में कुछ ऐसे हृदय रोग विशेषज्ञ हैं जो अपने पेशे के साथ धोखा कर रहे हैं. यह छोटे शहरों में ज्यादा दिख रहा है. मरीजों के साथ धोखा हो रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि मरीज जागरूक नहीं हैं. बिना जरूरत के एंजियोग्राफी एवं एंजियोप्लास्टी हो रही है. देश में 20 से […]

देश में कुछ ऐसे हृदय रोग विशेषज्ञ हैं जो अपने पेशे के साथ धोखा कर रहे हैं. यह छोटे शहरों में ज्यादा दिख रहा है. मरीजों के साथ धोखा हो रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि मरीज जागरूक नहीं हैं. बिना जरूरत के एंजियोग्राफी एवं एंजियोप्लास्टी हो रही है. देश में 20 से 30 प्रतिशत एंजियोप्लास्टी तो बेवजह हो रही है. यू कहें यह लालच के कारण किया जा रहा है. हृदय को स्वस्थ रखना है तो खुद संयमित होना होगा. अस्पताल जाने की स्थिति कम हो जायेगी. उक्त बातें देश के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ व मेदांता के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहन ने रविवार को रांची आगमन पर प्रभात खबर संवाददाता बातचीत में कही.
देश में हृदय की बीमारी से लाखों लोगों की मौत होती है, क्या कारण है इसका?
हमारे रहन-सहन के तरीकों में बदलाव आया है. खान पान बदला है. हम रीच खाना खा रहे हैं. हाई कैलोरी के खाद्य पदार्थ की भरमार है. इस कारण शरीर में चर्बी जमा हो रही है. रोज पार्टी एवं होटल का खाना खा रहे हैं. घर के पारंपरिक खाना से हम दूर हो गये हैं. मीठा भी लोग खूब खाते हैं, इसके कारण डायबिटीज एवं हृदय की बीमारी ज्यादा हो रही है. तनाव भी लोगों में बढ़ गया है, हर छोटी बात पर हम तनाव में आ जाते हैं. यह भी बीमारी का कारण है. आप सेकेंड ओपिनियन भी अवश्य लें. हमारे पास सेकेंड ओपिनियन लेने के लिए जो आते हैं उनका स्वागत करता हूं. फीस भी नहीं लेता हूं.
आप हमेशा कहते हैं कि सभी तेल खराब हैं, क्या तेल खाना छोड़ दिया जाये?
ऐसा नहीं है. तेल हमारे शरीर के लिए जरूरी भी है. शरीर के ल्युब्रिकेशन के लिए एवं ब्रेन को विटामिन की पूर्ति के लिए तेल जरूरी है. मैं देशी घी एवं जमने वाले तेल को खाने से मना करता हूं. हर व्यक्ति को प्रतिदिन 15 मिली लीटर तेल की आवश्यकता है. आप सरसो तेल, ओलीवायल तेल एवं राइसब्रान तेल का उपयोग कर सकते हंै. इनका उपयोग करें, लेकिन हर छह माह बाद तेल को बदल-बदल कर. आपको बताता हूं बंगाल एवं कश्मीर में सबसे ज्यादा सरसो तेल का उपयोग किया जाता है, लेकिन वहां सबसे ज्यादा हार्ट की बीमारी होती है. वहां सबसे ज्यादा पेस मेकर लगाया जाता है, इसलिए कहता हूं समय-समय पर तेल बदलें.
डायबिटीज एवं हार्ट की बीमारी अनुवांशिक बीमारी है, ऐसे लोगों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
जिनके माता पिता को डायबिटीज एवं हार्ट की बीमारी है उनको जीवन भर संभल कर रहना चाहिए. ऐसे लोगों को यह बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है. अगर मां-पिता में किसी एक को यह बीमारी है तो उनके बच्चे को यह बीमारी 25 प्रतिशत होने की संभावना होती है. वहीं दोनों को है तो 50 प्रतिशत संभावना होती है. 25 साल की उम्र से अपनी जांच करायें. 1998 में मैं भारत आया. उस समय जिनका ऑपरेशन किया आज उनके नाती पोता का भी ऑपरेशन कर रहा हूं, क्योंकि वह जागरूक नहीं हुए.
सामान्य व्यक्ति अपने हृदय को कैसे स्वस्थ रखे, क्या सरल उपाय है?
अगर हृदय को स्वस्थ रखना है तो संतुलित खाना खाएं. साइकिल चलाने से परहेज नहीं है तो साइकिल चलायें. 45 मिनट तेज चलें. योग करें, क्योंकि योग से मन एवं शरीर दोनों स्वस्थ रहता है. ये बीमारी शहर के लोगों में ज्यादा हो रही है, क्योंकि हम छोटे-छोटे काम में वाहन का उपयोग करते हैं.
नेचुरोपैथी से इलाज करने की बात कुछ लोग करते हैं, कहते है नेचुरल तरीके से ब्लॉकेज को ठीक किया जा सकता है, क्या यह सही है?
देखिये हार्ट की बीमारी में री-वर्सेवल तकनीक भी सहायक होती है, लेकिन यह सहयोगी होती है. ज्यादा ब्लाकेज होने पर यह कारगर नहीं है. अगर कुछ लोग ऐसा कहते है तो वह गुमराह कर रहे हैं. ऐसा करने पर मरीज की जान भी जा सकती है. हां दवा, व्यायाम एवं संतुलित भोजन से हम स्वस्थ रह सकते है.

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