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कार्यस्थलों पर महिलाओं की संख्या बढ़ाने की वकालत

एजेंसियां, नयी दिल्लीकार्यस्थल पर लैंगिंक विविधता का समर्थन करते हुए मानव संसाधन विशेषज्ञों ने कहा है कि कंपनियों को अपने यहां और अधिक महिला कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए ‘सचेत व संतुलित’ रवैया अपनाना चाहिए तथा 3 से 5 साल के अनुभव वाली ऐसी कर्मचारियों को अपने यहां बनाये रखने के लिए अधिक प्रयास करने […]

एजेंसियां, नयी दिल्लीकार्यस्थल पर लैंगिंक विविधता का समर्थन करते हुए मानव संसाधन विशेषज्ञों ने कहा है कि कंपनियों को अपने यहां और अधिक महिला कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए ‘सचेत व संतुलित’ रवैया अपनाना चाहिए तथा 3 से 5 साल के अनुभव वाली ऐसी कर्मचारियों को अपने यहां बनाये रखने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए.अध्ययनों के अनुसार, भारत में लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं बीच में ही करियर छोड़ देती हैं, जबकि एशिया भर में यह आंकड़ा सिर्फ 29 प्रतिशत है. पीडब्ल्यूसी के इंडिया कैपिटल लीडर जगजीत एस हूमन ने कहा, कंपनी में और अधिक महिला कर्मचारियांे को शामिल करने के लिए सचेत व संतुलित रुख की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तीन से पांच साल का अनुभव रखने वाली महिलाओं को करियर में बनाये रखने के लिए अपनी क्षमता बढ़ानी होगी.विशेषज्ञों की रायअनुसंधान फर्म कैटालिस्ट की एक अनुसंधान रिपोर्ट के अनुसार पद व वेतन के हिसाब से महिलाओं की शुरुआत पुरूष कर्मचारियों के समान ही होती है लेकिन 12 साल में ही महिलाओं का वेतन पुरुष कर्मचारियों की तुलना में लगभग 3.80 लाख रुपये कम हो जाता है और उनके लिए कार्यस्थल पर विकास के अवसर भी घट जाते हैं. कैटालिस्ट इंडिया की कार्यकारी निदेशक शाची इरडे ने कहा कि कंपनियों को सभी स्तरों पर लैंगिक विविधता व समावेशन को जोर देने वाली प्रणाली बनानी चाहिए. वहीं, एक्शनएड का अनुमान है कि असमान वेतन आदि के कारण विकासशील देशों में महिला कर्मचारियों को हर साल 9,000 अरब डॉलर की लागत झेलनी पड़ती है.

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