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भारत की रेटिंग में बाधक हैं राजकोषीय घाटा

मुंबई. आम बजट से पहले वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टेंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने सोमवार को आगाह किया कि भारत के कमजोर राजकोषीय व ऋण संकेत और निम्न आय स्तर से इसकी सरकारी रेटिंग बाधित हो रही है. एसएंडपी ने एक नोट में कहा है कि भारत का निम्न आय स्तर तथा कमजोर राजकोषीय व ऋण […]

मुंबई. आम बजट से पहले वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टेंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने सोमवार को आगाह किया कि भारत के कमजोर राजकोषीय व ऋण संकेत और निम्न आय स्तर से इसकी सरकारी रेटिंग बाधित हो रही है. एसएंडपी ने एक नोट में कहा है कि भारत का निम्न आय स्तर तथा कमजोर राजकोषीय व ऋण संकेतक देश के साख प्रोफाइल में बाधक है. हालांकि, इसने यह भी कहा है कि पिछले साल के चुनाव परिणामों से राजनीतिक स्थिरता के साथ सुधारों के लिए अनुकूल माहौल बना है. एजेंसी ने प्रशासनिक दक्षता को तटस्थ साख कारक करार दिया है. एसएंडपी ने कहा है कि वास्तविक प्रति व्यक्ति जीडीपी में ऊंची वृद्धि, मजबूत राजकोषीय व ऋण संकेतक तथा सुधरी हुई बाह्य स्थिति के साथ-साथ मौद्रिक नीति की स्थिति मौजूदा बीबीबी रेटिंग के उन्नयन के लिए जरूरी है. एसएंडपी के ऋण विश्लेषक अगोस्त बेनार्ड ने कहा कि प्रमुख सुधारों पर अपने वादों को पूरा करने की सरकार की क्षमता बहुत महत्वपूर्ण होगी. उन्होंने कहा है कि सरकार की वित्तीय सुदृढीकरण योजना से ऋण व ब्याज बोझ कम होगा, लेकिन देश की कमजोर राजकोषीय बैलेंस शीट में सुधार क्रमिक रहने की संभावना है. सरकार ने वित्त वर्ष 2014-15 में राजकोषीय घाटे को 4.1 प्रतिशत तथा वित्त वर्ष 2015-16 में 3.6 प्रतिशत पर रखने का वादा किया है.

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