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नि:शक्त ता नहीं अभिशाप वंदना ने किया साबित

रांची: बुलंद हौसला जिंदगी की राह को आसान कर देता है. इसकी जीती जागती मिसाल हैं वंदना सिंह. पोलियो से दोनों पैर खराब होने के बावजूद वंदना ने हिम्मत नहीं हारी. आज वह 300 बच्चों को शिक्षा दे रही है. अपने स्कूल में वंदना ने 11 शिक्षकों को रोजगार भी दिया है. वंदना जब दो […]

रांची: बुलंद हौसला जिंदगी की राह को आसान कर देता है. इसकी जीती जागती मिसाल हैं वंदना सिंह. पोलियो से दोनों पैर खराब होने के बावजूद वंदना ने हिम्मत नहीं हारी. आज वह 300 बच्चों को शिक्षा दे रही है. अपने स्कूल में वंदना ने 11 शिक्षकों को रोजगार भी दिया है.

वंदना जब दो वर्ष की थी, तब पोलियो से ग्रसित हो गयी. उसके दोनों पैरों ने काम करना बंद कर दिया. उसके पिता ने स्कूल में दाखिला दिलवाने का प्रयास किया, लेकिन विकलांगता बाधक बनी. एचइसी परिसर के आधा दर्जन से अधिक स्कूलों में नामांकन के लिए प्रयास किया गया, लेकिन सभी स्कूलों ने ठुकराया दिया. अंत में एचइसी गल्र्स हाई स्कूल में नामांकन हुआ. इसी दिन से वंदना ने ठान लिया कि वह विकलांग बच्चों के लिए काम करेगी.

एचइसी गल्र्स स्कूल से वर्ष 1998 में 10वीं, जेएन कॉलेज से वर्ष 2000 में इंटर और वर्ष 2003 में स्नातक पास किया. इसके बाद घर पर ही टय़ूशन पढ़ाने लेगी. धीरे-धीरे छात्रों की संख्या बढ़ने लगी. घर के पास ही खाली जमीन पर ज्ञान ज्योति विद्या मंदिर स्कूल की स्थापना की. उस समय विद्यालय में महज एक ही क्लास रूम था. पिता एचइसी से सेवानिवृत्त हो चुके थे. पिता ने क्लास रूम बनाने के लिए थोड़ी आर्थिक मदद की. स्कूल की आय से ही पांच क्लास रूम बनाया. आज स्कूल में 300 बच्चे, 12 शिक्षक और दो आया है. वंदना कहती है स्कूल में 40 छात्र ऐसे हैं, जो गरीब परिवार से आते हैं, उन्हें वह नि:शुल्क शिक्षा, किताब, ड्रेस देती है.

नहीं मिली सरकारी मदद
वंदना कहती है कि सरकारी मदद के लिए उसने 2004-05 में कल्याण विभाग में आवेदन दिया. प्रोजेक्ट बना कर दिया. कई बार विभाग से आवेदन के बाबत जानकारी भी मांगी, अंत में थक कर छोड़ दिया.

क्या है सपना
वंदना कहती है कि स्कूल से आमदनी बहुत कम होती है. अगर उसके पास जमीन और पैसा हो, तो वह नि:शक्त बच्चों के लिए प्रशिक्षण संस्था खोलना चाहती है, जिससे बच्चे बड़े होकर खुद रोजगार कर सकें.

घर के साथ स्कूल भी चलाती है
वंदना कहती है जून 2010 में धीरज सिंह से प्रेम विवाह हुआ. पति प्राइवेट में काम करते हैं. आज दो बच्चे हैं. लड़की जिया तीन वर्ष व लड़का सक्षम डेढ़ वर्ष का है. दोनों बच्चों की देखभाल वह खुद करती है.

परिवार की स्थिति
वंदना कहती है उनका परिवार मध्यमवर्गीय है. घर में पिता, चार बहन और एक भाई है. सभी भाई-बहनों की शादी हो चुकी है. पिता एचइसी से वर्ष 1997 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं. मां का देहांत वर्ष 2009 में हो गया है.

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