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बैंक से धोखाधड़ी करनेवाली महिला व्यवसायी और पुत्र की गिरफ्तारी का आदेश

कोतवाली डीएसपी ने जांच में आरोप सही पायाबैंक अफसरों की संलिप्तता की जांच का आदेशरांची. कोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ठ ने इंडियन ओवरसीज बैंक से 70 लाख 96 हजार रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में महिला व्यवसायी जयंती तिवारी और उनके पुत्र विक्रम तिवारी की गिरफ्तारी का आदेश दिया है. जांच के दौरान इन पर […]

कोतवाली डीएसपी ने जांच में आरोप सही पायाबैंक अफसरों की संलिप्तता की जांच का आदेशरांची. कोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ठ ने इंडियन ओवरसीज बैंक से 70 लाख 96 हजार रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में महिला व्यवसायी जयंती तिवारी और उनके पुत्र विक्रम तिवारी की गिरफ्तारी का आदेश दिया है. जांच के दौरान इन पर लगाया आरोप सही पाया गया है. गिरफ्तारी का आदेश डेली मार्केट थाना के एएसआइ त्रिभुवन प्रसाद शर्मा को दिया गया है. डीएसपी ने यह भी निर्देश दिया है कि दोनों के फरार रहने पर कुर्की जब्ती की कार्रवाई की जाये. उल्लेखनीय है कि बैंक के वरीय क्षेत्रीय प्रबंधक निरंजन पंडा ने दोनों के खिलाफ बैंक से ऋण लेकर धोखाधड़ी करने संबंधी मामला डेली मार्केट थाना में दर्ज कराया था. शिकायत 11 सितंबर 2014 को दर्ज करायी गयी थी.मामले में जांच के दौरान कोतवाली डीएसपी ने पाया कि 26 अगस्त 2011 को कचहरी रोड स्थित मेसर्स परदे ही परदे की संचालिका जयंती तिवारी को बैंक के तत्कालीन क्षेत्रीय मुख्य प्रबंधक पीके महापात्रा ने कैश क्रेडिट संख्या सीसी 2961 में 70 लाख रुपये स्वीकृत किये थे. जिसमें गारंटर के रूप में जयंती तिवारी के पुत्र विक्रम तिवारी थे. उक्त खाता खोलते समय जयंती तिवारी ने चिरौंदी स्थित खाता संख्या 74, प्लॉट संख्या 193 पर बने सात हजार स्क्वायर फीट के मकान को गिरवी रखा था. जिस जमीन पर मकान बना है वह जमीन विक्रम तिवारी के नाम पर है. डीएसपी ने जांच में पाया कि जयंती तिवारी द्वारा खाता का संचालन नहीं करने एवं बैंक को ऋण की वापसी नहीं करने पर बैंक ने 31.12. 2013 को उक्त खाता को एनपीए घोषित कर दिया. इसके बाद बैंक अधिकारियों ने बैंक में बंधक रखे गये संपत्ति की जब जांच की, तब बैंक के अधिकारियों को पता चला कि जिस संपत्ति को इंडियन ओवरसीज बैंक में गिरवी रख कर जयंती तिवारी ने ऋण लिया था. उसी संपत्ति को जीइएल चर्च कॉम्प्लेक्स स्थित इलाहाबाद बैंक में गिरवी रख कर विक्रम तिवारी ने 2008 में 50 लाख रुपये ऋण लिया था. जब विक्रम तिवारी ने बैंक से ऋण लिया था, तब जमीन पर कोई घर नहीं बना था. जमीन वर्तमान में इलाहाबाद बैंक के कब्जे में है. लेकिन विक्रम तिवारी ने उस पर घर का निर्माण करवा लिया. इसके बाद विक्रम तिवारी ने जमीन पर बने मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के प्रथम और दूसरे तल्ले को अपनी मां के नाम पर निबंधित केवाला के नाम पर बिक्री कर दिया.बैंक अफसरों और कर्मचारियों की संलिप्तता की जांच का आदेशकोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ठ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस केस में ऋण स्वीकृत करनेवाले बैंक अफसरों और कर्मचारियों की संलिप्तता हो सकती है. इसलिए ऋण स्वीकृत करनेवाले बैंक के अफसरों और कर्मचारियों को चिह्नित कर जांच की जाये.

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