सीबीआइ का सतर्कता सप्ताह समारोह हर पत्नी को इस बात की जानकारी होती है कि उसके पति की कितनी है वैध आमदनी नोट- फोटो कौशिक देंगेसंवाददातारंची. महिलाएं चाहें तो भ्रष्टाचार रोक सकती हैं. सिर्फ कानून बनाने से भ्रष्टाचार पर काबू पाना संभव नहीं है. इसके लिए यहां सदाचार आंदोलन की जरूरत है. वरिष्ठ पत्रकार बलवीर दत्त ने सीबीआइ द्वारा आयोजित सतर्कता सप्ताह समारोह में उक्त बातें कही. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार एक विश्वव्यापी समस्या है. देश में आजादी के बाद विभिन्न प्रकार की विकास योजनाओं के साथ इसका जन्म हुआ. अब इसका आकार बहुत बड़ा हो गया है. सामान्य तौर पर जहां जितना कानून होता है, वहां उतना ही भ्रष्टाचार होता है. सिर्फ कानून बनाने से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा. इसके लिए सदाचार आंदोलन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगर महिलाएं चाहें तो इसलिए भ्रष्टाचार पर काबू पा सकती हैं, क्योंकि हर पत्नी को इस बात की जानकारी होती है कि उनके पति की वैध आमदनी कितनी है. अगर पति के पास इससे ज्यादा पैसे मिले, तो पैसों के स्रोत से संबंधित सवाल उठा कर उसे रोक सकती हैं. उन्होंने सीबीआइ की चर्चा करते हुए कहा कि सीबीआइ का पूर्व इतिहास बहुत गौरवपूर्ण था. पर हाल की घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसे पिंजरे का तोता कहा है. इसके बावजूद जब कोई गंभीर मामला सामने आता है, तो आम आदमी सीबीआइ जांच की मांग करता है. इसका अर्थ यह है कि जनता को अब भी सीबीआइ पर भरोसा है. प्रोफेसर एसपी सिंह ने इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार का इतिहास बहुत पुराना है. चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थ शास्त्र में इसका उल्लेख किया है. उन्होंने खनिज, राजस्व और निर्माण कार्य में जुड़े अधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात लिखी भी. साथ ही इस बात का सुझाव भी दिया था कि इन विषयों से जुड़े अधिकारियों पर नजर रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों को आजीवन कारावास या मृत्यु दंड की सजा दी जानी चाहिए. इसके लिए संविधान और कानून में आवश्यक संशोधन किया जाना चाहिए. सीबीआइ को पूरी तरह स्वतंत्र किया जाना चाहिए. क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी श्री सनातन ने कहा कि भ्रष्टाचार का मुख्य कारण किसी काम को करने या नहीं करने से संबंधित अधिकारियों को मिला विशेष अधिकार है. अगर इस अधिकार को विकेंद्रीकृत या समाप्त कर दिया जाये, तो भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है. सीबीआइ(एसीबी) के शाखा प्रभारी एसके खरे ने भ्रष्टाचार रोकने में तकनीकी की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. सीबीआइ(आर्थिक अपराध शाखा) के प्रभारी विनय कुमार ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया में कोई भी जांच एजेंसी पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. मंत्रालय के अधीन रहते हुए भी सबीआइ ने राजनीतिज्ञों, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के विरुद्ध कार्रवाई की है.
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महिलाएं रोक सकती हैं भ्रष्टाचार
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