भारत निर्वाचन आयोग की ओर से झारखंड में पांच चरणों में विधानसभा चुनाव कराने के फैसले पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाये हैं. पिछले दिनों राजधानी रांची में निर्वाचन आयोग के साथ हुई बैठकों में झामुमो, कांग्रेस, झाविमो, राजद समेत वाम दलों की ओर से झारखंड में एक चरण में चुनाव कराने की मांग की गयी थी. विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि जब झारखंड से बड़े राज्यों में एक चरण में चुनाव हो सकता है, तो फिर यहां क्यों नहीं? पांच चरणों में चुनाव कराने की घोषणा होने से सरकार के दावे की पोल खुल गयी है.
एक तरफ सरकार दावा करती है कि झारखंड से नक्सलवाद खत्म हो गया है. विधि व्यवस्था की स्थिति ठीक है. वहीं दूसरी ओर निर्वाचन आयोग ने पांच चरणों में चुनाव कराने की घोषणा कर यह साबित कर दिया है कि यहां अब भी नक्सलवाद व विधि व्यवस्था की समस्या है.
चुनाव आयोग ने भी सरकार पर नहीं जताया भरोसा : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि पार्टी ने भारत निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के समक्ष राज्य में एक चरण में चुनाव कराने की मांग की थी. कहा गया था कि जब महाराष्ट्र एवं हरियाणा में एक चरण में चुनाव हो सकते हैं, तो झारखंड में क्यों नहीं? राज्य में पांच चरणों में चुनाव की घोषणा से यह साफ हो गया कि निर्वाचन आयोग को सरकार की विधि व्यवस्था पर नियंत्रण, नक्सलवाद का खात्मा जैसे दावे पर भरोसा नहीं है.
इस बार झारखंड सरकार के सभी दावों की कलई खुल गयी : झाविमो
झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस में झारखंड सरकार की कलई खुल गयी. सरकार दावा करती थी कि झारखंड में लॉ एंड अॉर्डर ठीक है. नक्सल मुक्त राज्य हो गया है.
परंतु चुनाव आयोग ने कहा कि झारखंड के 24 में से 19 जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें भी 13 जिले अति संवदेनशील हैं. यह रिपोर्ट तो चुनाव आयोग को राज्य सरकार ने ही भेजी होगी. यही वजह है कि चुनाव आयोग ने पांच चरणों में चुनाव की तिथि घोषित की. यदि विधि-व्यवस्था ठीक होती, तो अन्य राज्यों की तरह यहां भी एक या दो चरणों में चुनाव होता.
राज्य से नक्सलवाद खत्म होने को लेकर सिर्फ दावे ही किये गये : झामुमो
झामुमो प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा कि आयोग से पार्टी ने एक चरण में चुनाव कराने का आग्रह किया था. लेकिन आयोग ने राज्य में नक्सलवाद व भौगोलिक स्थिति की हवाला देते हुए पांच चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की. इससे सरकार के दावे की पोल खुल गयी है. सरकार की ओर से बार-बार नक्सलवाद खत्म होने को लेकर दावे किये जाते रहे हैं. भाजपा को छोड़ कर सभी विपक्षी दलों ने राज्य में एक चरण में चुनाव कराने का आग्रह किया था.
नक्सलवाद व विधि व्यवस्था पर सरकार का नियंत्रण नहीं : राजद
राजद प्रवक्ता अनिता यादव ने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में पांच चरणों में चुनाव कराने का कोई औचित्य नहीं िदखायी देता है. देश के दूसरे बड़े राज्यों में जब एक चरण में िवधानसभा का चुनाव हो सकता है, तो फिर यहां क्यों नहीं. एक तरफ सरकार दावा करती है कि झारखंड से नक्सलवाद खत्म हो गया है. पांच चरण में चुनाव के फैसले से जाहिर होता है कि यह नक्सलवाद है और विधि व्यवस्था पर सरकार का नियंत्रण नहीं है.