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धोती-साड़ी-लुंगी खरीद में फिर धांधली!

कुछ शर्तों पर आपत्तिवित्त की सलाह नहीं मानीवरीय संवाददाता रांचीखाद्य आपूर्ति विभाग की लगभग सौ करोड़ वाली सोना-सोबरन धोती, साड़ी, लुंगी योजना पर फिर सवाल उठ रहे हैं. पहली बार रद्द होने के बाद दूसरी बार निकाले गये टेंडर में भी कंपोजिट मिल (धागा निर्माण से लेकर बुनाई तक करने वाली) की शर्त जोड़ी गयी […]

कुछ शर्तों पर आपत्तिवित्त की सलाह नहीं मानीवरीय संवाददाता रांचीखाद्य आपूर्ति विभाग की लगभग सौ करोड़ वाली सोना-सोबरन धोती, साड़ी, लुंगी योजना पर फिर सवाल उठ रहे हैं. पहली बार रद्द होने के बाद दूसरी बार निकाले गये टेंडर में भी कंपोजिट मिल (धागा निर्माण से लेकर बुनाई तक करने वाली) की शर्त जोड़ी गयी है. इससे यह संभावना बन रही है कि फिर से बड़े मिल को ही इसका लाभ मिलेगा. टेंडर में यह शर्त भी जोड़ी गयी है कि यदि आपूर्तिकर्ता ठीक तरीके से आपूर्ति करता है तथा कोई शिकायत नहीं मिलती है, तो अगले वर्ष भी वहीं आपूर्ति करेगा. आम तौर पर टेंडर में यह शर्त जोड़ी नहीं जाती है. इससे किसी कंपनी विशेष को दोहरा लाभ देने का शक होता है. एक तीसरी शर्त पर सवाल उठ रहे हैं. प्रदूषण से जुड़े प्रमाण पत्र 9001 के साथ 2008 भी जोड़ दिया गया है. यानी यह प्रमाण पत्र संबंधित कंपनी को वर्ष 2008 में ही मिला होना चाहिए. यह सब शक पैदा करनेवाली शर्तें हैं. उधर खाद्य आपूर्ति विभाग ने वित्त विभाग की दो सुझाव को नहीं माना है. पहला सुझाव यह था कि एक ही साथ लुंगी, साड़ी व धोती की आपूर्ति के अलावा इनकी अलग-अलग आपूर्ति के लिए भी टेंडर में शर्त हो. इससे इनकी प्रतियोगी कीमत को बढ़ावा मिलेगा. यदि एक साथ आपूर्ति करनेवाली पार्टी से अकेला आइटम सप्लाई करनेवाली पार्टी की कीमत कम होगी, तो विभाग उसी से खरीद कर सकता है, पर यह सुझाव विभाग ने नहीं माना. वहीं वित्त का यह सुझाव भी नहीं माना गया, जिसमें कहा गया था कि धोती, साड़ी व लुंगी के नीचे के पार में योजना का नाम सोना-सोबरन धोती, साड़ी, लुंगी योजना लिखा हो. इससे ब्लैक मार्केटिंग व अनियमितता की गुंजाइश कम होगी. वर्जन : कंपोजिट वाला शर्त तो केंद्र सरकार की चिट्ठी में भी है. वहीं प्रदूषण संबंधी प्रमाण पत्र के आधार के लिए भी मेरे पास कागजात है. आप चाहें, तो मैं दोनों पेपर दे सकता हूं. टेंडर फाइनल होने पर यह 12 महीने तक के लिए प्रभावी होता है, इसलिए अगले वर्ष आपूर्ति वाली बात जोड़ी गयी है. इसके बदले टेंडर भी निकाला जा सकता है, ऐसी कोई खास बात नहीं है. डॉ प्रदीप कुमार, सचिव खाद्य आपूर्ति विभाग

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