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टीवी चैनलों के कारण मीडिया बदनाम, भविष्य प्रिंट मीडिया का

रांची : जहां तक पत्रकार व पत्रकारिता की बदनामी की बात है, तो टीवी चैनलवालों के कारण सबकी बदनामी हो रही है. अाम लोग भी इन्हीं की शिकायत ज्यादा करते हैं. प्रिंटवालों के खिलाफ ज्यादा नहीं कहा जाता. उक्त बातें वरिष्ठ पत्रकार पद्मभूषण प्रभु चावला ने कही. उन्होंने कहा कि टीवी चैनलों में होस्ट अब […]

रांची : जहां तक पत्रकार व पत्रकारिता की बदनामी की बात है, तो टीवी चैनलवालों के कारण सबकी बदनामी हो रही है. अाम लोग भी इन्हीं की शिकायत ज्यादा करते हैं. प्रिंटवालों के खिलाफ ज्यादा नहीं कहा जाता. उक्त बातें वरिष्ठ पत्रकार पद्मभूषण प्रभु चावला ने कही. उन्होंने कहा कि टीवी चैनलों में होस्ट अब मेहमान वक्ता से ज्यादा बोलने लगे हैं.

इन्हें लगता है कि यही बड़े ज्ञानी है. ज्यादा बोलने के चक्कर में ये लोग खुद को एक्सपोज कर देते हैं. इन टीवी चैनलों के कारण ही मीडिया बदनाम हो रही है. उन्होंने कहा कि भविष्य हिंदी प्रिंट मीडिया का है. पत्रकारिता आज भी सबसे स्वतंत्र है.
वरिष्ठ पत्रकार संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि आज का ज्यादातर मीडिया किसी बात के एक पहलू पर बात करता है. उसे एहसास भी नहीं रहता कि उसके पाठक, दर्शक या श्रोता यह सब समझते हैं. अंध भक्ति या घोर विरोध के बजाय एक संतुलनवाली पत्रकारिता जरूरी है. आप किसी आइडियोलॉजी में बंध कर बात नहीं कर सकते. जो सही है उसे सही व जो गलत है उसे गलत कहना चाहिए.
वरिष्ठ पत्रकार, पद्मश्री आलोक मेहता ने कहा कि अखबारों के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती अपनी विश्वसनीयता को बनाये रखना है.अखबार पर बाजार व विज्ञापन का दबाव शुरुआती दौर से रहा है. पहले भी पहले पेज पर समाचार के बीच में विज्ञापन छपते थे.
संपादक व प्रबंधन हमेशा से चुनौती का सामना करता रहा है. ऐसे में यह कहना कि पत्रकारिता व प्रबंधन के समक्ष आज ही बड़ी चुनौती है, सही नहीं होगा.
वरिष्ठ पत्रकार आर राजगोपालन ने कहा कि आज खोजी पत्रकारिता समाप्त हो गयी है. इससे पत्रकारिता कमजोर हो रही है . एक समय था जब प्रिंट मीडिया में छपी खबरों पर सरकार गिर गयी थी. जब पत्रकारों को कोई सीक्रेट सूचना ही नहीं मिलेगी, तो प्रिंट मीडिया का भविष्य क्या होगा?
इससे पहले प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि खबरों के स्रोत व फेक न्यूज के साथ-साथ पत्रकार व पत्रकारिता के समक्ष साख की भी चुनौती है. प्रभात खबर के प्रबंध निदेशक केेके गोयनका ने विज्ञापन पर पूरी तरह आश्रित अखबार के बिजनेस मॉडल को चुनौती बताते हुए इससे निबटने के उपाय ढ़ूंढ़ने की अपील की.
भविष्य हिंदी प्रिंट मीडिया का है. पत्रकारिता आज भी सबसे स्वतंत्र -प्रभु चावला
अखबारों के समक्ष विश्वसनीयता बनाये रखना चुनौती-आलोक मेहता
अखबारों की भूमिका सीमितहोती जा रही है-आर राजगोपालन
अंध भक्ति या घोर विरोध के बजाय संतुलनवाली पत्रकारिता जरूरी -संजीव श्रीवास्तव
Prabhat Khabar Digital Desk
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यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

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