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खुद हो रहीं आत्मनिर्भर, दूसरों का भी जीवन संवार रही हैं सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं

झारखंड को संवारने में अहम भूमिका निभा रही हैं सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं रांची : सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं आज झारखंड को संवारने में अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं. इससे न केवल महिलाएं खुद आर्थिक विकास कर रही हैं, बल्कि राज्य के विकास में भी अपना योगदान दे रही हैं. महिलाएं खुद […]

झारखंड को संवारने में अहम भूमिका निभा रही हैं सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं
रांची : सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं आज झारखंड को संवारने में अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं. इससे न केवल महिलाएं खुद आर्थिक विकास कर रही हैं, बल्कि राज्य के विकास में भी अपना योगदान दे रही हैं. महिलाएं खुद आत्मनिर्भर भी हो रही हैं. कई ऐसे उदाहरण हैं, जिसमें महिलाएं खुद भी प्रशिक्षण ले रही हैं और दूसरों का भी जीवन स्तर को ऊपर उठाने में मदद कर रही हैं.
उनके जीवन में बदलाव आया है. यह सब ग्रामीण विकास विभाग के झारखंड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की बदौलत ही संभव हो पाया है. सरिता, पिंकी या दीपा ही नहीं, बल्कि ऐसे सैकड़ों महिलाएं हैं, जिन्होंने सखी मंडल से जुड़ कर अपना और अपने परिवार के जीवन स्तर को ऊपर उठाया है.
दो लाख सखी मंडल का गठन : वर्ष 2009 में जिस आजीविका मिशन का बीज बाेया गया था, 10 वर्ष में वह वट वृक्ष का रूप ले चुका है. वर्ष 2014 में 43 हजार सखी मंडल का गठन हुआ था, जो आज बढ़कर 203589 हो गयी है. आज महिलाएं बेहतर जीवन जीने की ओर अग्रसर हैं.
दीदी के रूप में पहचान : सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं खुद के रोजगार के साथ-साथ दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने में भी भूमिका निभा रही हैं. हर प्रखंड में पशु दीदी और बैंक दीदी तैयार की गयी हैं. पशु दीदी पशुओं को होने वाले रोग की रोकथाम के लिए दवा और सलाह देती हैं, वहीं बैंक दीदी खाता खुलवाने और लेनदेन में सहयोग करती हैं.
प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र की स्थापना का उद्देश्य
प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र स्थापित कर विशेष रूप से महिलाओं को परिधान क्षेत्र में प्रशिक्षित करने एवं उत्पादन केंद्र का उपयोग करने के लिए एक विशेष स्थायी कौशल परियोजना की शुरुआत की गयी है. ग्रामीण आजीविका विकल्पों में सुधार करना.
गरीब ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में काम करना.
झारखंड में एक अॉपरेटर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना. परिधान क्षेत्र में प्रशिक्षित ग्रामीण युवाओं के लिए संपूर्ण झारखंड में सस्ते दर और बिक्री पर परिधान उत्पाद प्रदान करना. परिधान क्षेत्र में आधारभूत संरचना का विकास करना. उत्पादन में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी.
क्या कहती हैं महिलाएं
धनइसोसो की रहनेवाली शशि बताती हैं कि पढ़ाई के साथ-साथ यहां काम करने का भी बेहतर ऑप्शन है. शशि ने सखी मंडल के जरिये प्रशिक्षण ली और अब वह काम भी कर रही हैं. साथ ही अपने पढ़ाई का भी खर्च निकाल रही हैं.
चटकपुर की सरिता देवी प्रशिक्षण केंद्र में यूनिफॉर्म का कॉलर बनाती हैं. सरिता देवी बताती है कि उन्हें पहले मशीन चलाना भी नहीं आता था. लेकिन, अब वो खुद सक्षम है और दूसरों को भी बताती हैं. िजससे वह भी अपने पैरों पर खड़ा हो सके.
धनइसोसो की रहनेवाली किरण देवी बताती हैं कि प्रशिक्षण के बाद यहां काम कर जीवन में काफी बदलाव आया है. अब अच्छा लग रहा है. काम भी कर रही हूं और प्रशिक्षण केंद्र में आ रही महिलाओं को जानकारी दे रही हूं.

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