कंपनी को टर्मिनेट करने पर नगर निगम ने मांगा था मार्गदर्शन
रांची : रांची नगर निगम ने एस्सेल इंफ्रा के टर्मिनेशन का प्रस्ताव नगर विकास विभाग को भेज कर मार्गदर्शन मांगा था. इसके जवाब में विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए निगम ने अपने स्तर से कंपनी को चुना था.
एकरारनामा की शर्तों के अनुसार निगम निर्धारित प्रक्रिया के तहत कंपनी के साथ हुए एकरारनामा को रद्द करने में सक्षम है. विभाग के जवाब से यह साफ हो गया है कि राजधानी के 33 वार्डों में सफाई व्यवस्था का काम देख रही कंपनी एस्सेल इंफ्रा की विदाई लगभग तय है.
अपने जवाब में नगर विकास विभाग ने निगम को यह हिदायत भी दी है. कहा है कि वह एस्सेल इंफ्रा के साथ एकरारनामा रद्द होने के बाद शहर में सफाई और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए अपने स्तर से तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था भी सुनश्चिति करे.
इसके अलावा अब तक कंपनी द्वारा किये गये कार्यों और बचे हुए कार्यों का आकलन करते हुए संशोधित डीपीआर तैयार करे. इसके बाद शहर की सफाई और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए नये सिरे से नयी कंपनी का चयन करे. ऐसा माना जा रहा है कि नगर विकास विभाग की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद नगर निगम जल्द ही की कंपनी को टर्मिनेट कर सकती है. साथ ही उसे उपलब्ध कराये गये सभी संसाधनों को अपने अधीन ले लेगी.
विभाग ने हिदायत भी दी है रांची नगर निगम को
एस्सेल इंफ्रा को हटाने के बाद शहर में सफाई के लिए अपने स्तर से तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था भी सुनश्चिति करें
अब तक कंपनी द्वारा किये गये कार्यों और बचे हुए कार्यों का आकलन करते हुए संशोधित डीपीआर भी तैयार करें
राजधानी की सफाई और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को सुचारु रखने के लिए नये सिरे से नयी कंपनी का चयन करें
02 अक्तूबर 2016 को राजधानी रांची में सफाई का काम शुरू किया था एस्सेल इंफ्रा ने
09 मार्च 2019 को निगम बोर्ड की बैठक में हुआ कंपनी को टर्मिनेट करने का फैसला
02 साल 08 महीने और 04 दिन हो चुके हैं एस्सेल इंफ्रा को इस शहर में काम करते हुए
नगर निगम और कंपनी के बीच चली लंबी खींचतान
एस्सेल इंफ्रा ने दो अक्तूबर 2016 को राजधानी में सफाई का काम शुरू किया था. जैसे-जैसे कंपनी का कार्य क्षेत्र बढ़ा, अव्यवस्थाएं सामने आने लगीं. कभी सफाई कर्मी हड़ताल करते, तो कभी कचरा उठाने वाले वाहनों में डीजल नहीं होता. कंपनी के अधिकारी कहते कि नगर निगम पैसे के भुगतान नहीं कर रहा है, वहीं नगर निगम के अधिकारी कंपनी पर आरोप लगाते.
इन दोनों की खींचतान में शहर से कचरा उठाने का काम गौण हो गया. इसके बाद पार्षदों की मांग और लोगों की परेशानी का हवाला देते हुए नगर निगम ने कंपनी को हटाने की कवायद शुरू की. नौ मार्च 2019 को निगम बोर्ड की बैठक में कंपनी को टर्मिनेट करने का फैसला लिया गया और नगर विकास विभाग को पत्र लिखकर कंपनी को हटाने के मामले में मार्गदर्शन मांगा था.
शहर में फैली अव्यवस्था के लिए नगर निगम भी कम जिम्मेदार नहीं
राजधानी की सफाई व्यवस्था में लगी कंपनी ने पिछले छह माह से शहर को भगवान भरोसे छोड़ दिया था. वेतन की मांग काे लेकर कंपनी के कर्मचारी पिछले छह माह में आठ बार से अधिक हड़ताल पर जा चुके थे. लेकिन, निगम ने कंपनी को हटाने के संबंध में कभी गंभीरता नहीं दिखाई. इस कारण पिछले छह माह से शहर के लोग कचरा के बीच रहने को विवश हैं. हालत यह है कि शहर में जिस ओर निकल जाइए, हर तरफ कचरे का अंबार मिलेगा.