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रांची : टेंडर फाइनल, कार्यादेश देने के लिए चुनाव आयोग से मांगी गयी अनुमति
एनएचएआइ. मामला रांची-जमशेदपुर एनएच-33 के फोर लेनिंग कार्य का रांची : हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची-जमशेदपुर राजमार्ग (एनएच-33) की दयनीय स्थिति व फोर लेनिंग कार्य में गड़बड़ी को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चाैधरी की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद संवेदक रांची […]
एनएचएआइ. मामला रांची-जमशेदपुर एनएच-33 के फोर लेनिंग कार्य का
रांची : हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची-जमशेदपुर राजमार्ग (एनएच-33) की दयनीय स्थिति व फोर लेनिंग कार्य में गड़बड़ी को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चाैधरी की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद संवेदक रांची एक्सप्रेस-वे, बैंक को नेशनल हाइवे अॉथोरिटी अॉफ इंडिया (एनएचएआइ) के शपथ पत्र पर जवाब देने का निर्देश दिया.
खंडपीठ ने कहा कि सीबीआइ द्वारा एनएच के फोरलेनिंग का कार्य करनेवाली संवेदक कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी, लेकिन बैंक अधिकारियों की भूमिका पर जांच शुरू नहीं की है. अगली सुनवाई दो मई को हाेगी. इससे पूर्व एनएचएआइ की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने शपथ पत्र दायर कर बताया कि एनएच-33 का शेष कार्य चार चरणों में पूरा होगा. सभी चरणों का टेंडर फाइनल हो चुका है. चयनित संवेदकों से एग्रीमेंट करना बाकी है.
इसके लिए 22 मार्च को चुनाव आयोग को अनुमति के लिए पत्र भेजा गया है. आयोग से अनुमति मिलते ही एग्रीमेंट कर कार्य शुरू कर दिया जायेगा. दो चरण मेसर्स रामकृपाल कंस्ट्रक्शन, एक चरण कोलकाता व एक चरण का कार्य अहमदाबाद के संवेदक को दिया गया है. लगभग 1300 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आयेगी.
रांची रिंग रोड फेज-वन व फेज-टू के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं मिला है. जमीन अधिग्रहण के कुछ काम बाकी हैं. वहीं बुंडू में कुछ अतिक्रमण अब तक नहीं हटाया जा सका है. सीबीआइ की अोर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा व अधिवक्ता राजीव नंदन प्रसाद ने खंडपीठ को बताया कि आर्थिक गड़बड़ी की फॉरेंसिक अॉडिट कराया जाना है.
इसके लिए सीबीआइ मुख्यालय को लिखा गया है. निर्देश का इंतजार किया जा रहा है. बैंक की ओर से वरीय अधिवक्ता जय प्रकाश ने पैरवी की, राज्य सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि एनएच-33 की दयनीय स्थिति को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. पूर्व में एनएचएआइ ने फोर लेनिंग कार्य की जिम्मेवारी संवेदक रांची एक्सप्रेस-वे को दी थी.
कार्य संतोषजनक नहीं होने पर एनएचएआइ ने संवेदक को हटा दिया था. साथ ही फोर लेनिंग को पूरा करने के लिए चार चरणों के लिए टेंडर निकाला था. चार चरणों के लिए संवेदक का चयन हो गया है, लेकिन कार्यादेश नहीं दिया गया है.
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