रांचीः रिम्स में टैक्स कटौती में हुई गड़बड़ी से संबंधित मामले को इंटरनेशनल टैक्स डिवीजन को भेजा गया है. इसकी वजह विदेशी कंपनी से मशीन व उपकरण के भुगतान के समय स्नेत पर टैक्स की कटौती (टीडीएस) नहीं करना है.
प्रबंधन की इस गलती से रिम्स पर करीब सात करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की आशंका है. रिम्स ने आंकोलॉजी विभाग के लिए मशीन व उपकरणों की खरीद के लिए मेसर्स इलेकटा लिमिटेड (यूके) के साथ एकरारनामा किया था. रिम्स को आपूर्ति की जानेवाली मशीन व उपकरणों के बदले सप्लायर कंपनी को 20 करोड़ रुपये का भुगतान करना था. रिम्स प्रबंधन ने कंपनी को दो किस्तों में बतौर अग्रिम 16 करोड़ 83 हजार रुपये का भुगतान किया. हालांकि रिम्स ने भुगतान के समय स्नेत पर टैक्स की कटौती नहीं की. नियमानुसार विदेशी कंपनियों को किसी भी मद में किये जानेवाले भुगतान पर 20 प्रतिशत की दर से टैक्स की कटौती करने का प्रावधान है.
इसके तहत कंपनी को किये गये 16 करोड़ 83 हजार रुपये की भुगतान पर टैक्स के रूप में 3.20 करोड़ की कटौती की जानी चाहिए थी. विदेशी कंपनियों को किये भुगतान पर कटौती में गड़बड़ी के मामले में दंड और कर वसूली का अधिकार इंटरनेशनल टैक्स डिवीजन को है. रांची में इंटरनेशनल टैक्स डिवीजन की शाखा नहीं होने की वजह से इस मामले को कोलकाता स्थित इंटरनेशनल टैक्स डिवीजन के हवाले कर दिया गया है, जहां रिम्स पर दंड लगाने और टैक्स की वसूली के लिए आगे की कार्रवाई की जायेगी. इस मामले में रिम्स की ओर से यह तर्क दिया गया था कि कंपनी को अंतिम भुगतान के समय टैक्स की कटौती कर ली जायेगी. हालांकि आयकर की टीडीएस शाखा ने इस यह कहते हुए अमान्य कर दिया है कि विदेशी कंपनी को किसी भी तरह के भुगतान के समय भुगतान की जानेवाली राशि पर टैक्स कटौती का प्रावधान है.