रांची/मांडऱ : मांडर प्रखंड में मनरेगा में सप्लायरों को लाभ पहुंचाने के लिए मजदूरी से अधिक सामग्री मद में भुगतान की जांच का मामला अब तक ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. मनरेगा की राशि का 60 प्रतिशत मजदूरी व 40 प्रतिशत सामग्री मद में खर्च करने के स्पष्ट प्रावधान के बावजूद निजी स्वार्थ को लेकर खुलेआम अनदेखी की गयी है.
वित्तीय वर्ष 2017-18 में रांची जिला के 18 प्रखंड में सबसे अधिक करीब 24 करोड़ की राशि खर्च कर यहां सामग्री मद में 15 करोड़ का भुगतान कर 40 प्रतिशत के अनुपात को (62.25) प्रतिशत तक पहुंचा दिया गया है, जबकि सिर्फ 09 करोड़ के भुगतान के कारण मजदूरी के 60 प्रतिशत का आंकड़ा (37.58) प्रतिशत में ही अटका हुआ है. हैरानी यह है कि ऑनलाइन आंकड़े में रांची जिला के 18 प्रखंडों में मनरेगा में खर्च की गई कुल राशि 64 करोड़ 44 लाख है.
जिसमे मांडर को छोड़ 17 प्रखंडों में 15 नवंबर तक सामग्री मद में कुल 23 करोड़ 17 लाख का ही भुगतान किया गया है. जबकि अकेले मांडर प्रखंड को मिले 24 करोड़ में से सामग्री मद में 15 करोड़ रुपये की राशि सप्लायरों को दे दी गई है. गड़बड़ी की भनक मिलने के बाद रांची डीडीसी ने 30 मई को सामग्री मद की राशि का भुगतान सप्लायरों को देने पर रोक लगा दी थी.
इसके बाद भी सामग्री आपूर्ति के नाम पर अक्तूबर में छुट्टी होने के बावजूद सप्लायरों के खाते में 1.81 करोड़ का भुगतान कर दिया गया. जिसको लेकर नाजिर को निलंबित करने व चार कंप्यूटर ऑपरेटरों को काम से हटा िदया गया था.