उन्होंने कहा कि इस विषय पर रांची में 14 नवंबर को हुए राष्ट्रीय सेमिनार में भील, गाेंड, संथाल, उरांव, मुंडा, हो, चेरो, मीणा जैसी बड़ी आबादी वाली जनजातियों के लोग शामिल हुए थे, जिसमें आदिवासी धर्म, आदि धर्म व प्रकृति धर्म जैसे नाम के सुझाव आये़ दिल्ली में होने वाले सेमिनार में देश की 50 बड़ी जनजातियों के प्रतिनिधियाें को आमंत्रित किया गया है, ताकि किसी एक नाम पर सहमति बन सके़ 2001 की जनगणना में झारखंड के संदर्भ में श्रेणी अन्य धर्म व धारणाएं के तहत सरना सहित 50 धर्म पंजीकृत किये गये थे़ 2011 की जनगणना में आदिवासी समुदाय ने अपने धर्म का 83 तरह का नाम लिखा था़.
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अलग धर्म कोड के मुद्दे पर फरवरी में राष्ट्रीय सम्मेलन
रांची. आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड के मुद्दे पर 10 व 11 फरवरी को दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में किसी एक नाम पर सहमति बनायी जायेगी़ यह बात आदिवासी सरना महासभा के मुख्य संयोजक, पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने कही है़. उन्होंने कहा कि इस विषय पर रांची में 14 नवंबर को […]
रांची. आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड के मुद्दे पर 10 व 11 फरवरी को दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में किसी एक नाम पर सहमति बनायी जायेगी़ यह बात आदिवासी सरना महासभा के मुख्य संयोजक, पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने कही है़.
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