रांची : सरकारी स्कूलों के बच्चों को दिये जानेवाले मध्याह्न भोजन की 100 करोड़ की राशि बैंक ने जिस कंस्ट्रक्शन कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दिये थे, उसका नाम भानु कंस्ट्रक्शन है. मामले का खुलासा होने के बाद इस कंस्ट्रक्शन कंपनी के खाते से बैंक ने दो बार में 47.80 करोड़ रुपये वसूल कर मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के खाते (नं 33954815459) में डाले थे.
वसूली कम होने के कारण बाकी के 52.11 करोड़ रुपये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की हटिया शाखा ने अपने सस्पेंस एकाउंट से प्राधिकरण के खाते में जमा किये. हालांकि बाद में बैंक ने दावा किया है कि भानु कंस्ट्रक्शन से अब तक करीब 70 करोड़ की वसूली की जा चुकी है. कंपनी से और 30 करोड़ की वसूली अब तक नहीं हो पायी है. बैंक ने मामले में दो अफसरों को निलंबित कर दिया है.
100 करोड़ पांच अगस्त को भानु कंस्ट्रक्शन के खाते में ट्रांसफर किये गये थे. खुलासे के बाद 19 सितंबर को बैंक ने 47.6538 करोड़ व 22 सितंबर को 25 लाख भानु कंस्ट्रक्शन के खाते (नं 0036310149571) से वापस लेकर मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के खाते में डाले गये. 22 सितंबर को ही बैंक ने अपने सस्पेंस एकाउंट से 52.11 करोड़ रुपये प्राधिकरण के खाते में डाले. बैंक भानु कंस्ट्रक्शन से पूरे पैसे की अब तक वसूली नहीं कर पाया है.
बैंक ने सीबीआइ को लिखा पत्र
एसबीआइ के डीजीएम डीके पंडा ने बताया कि इस पूरे प्रकरण में दो बैंक अफसरों अनिल उरांव और कमलजीत खन्ना को निलंबित किया गया है. प्राथमिक तौर पर इन दोनों अधिकारियों को दोषी पाया गया है. उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारियों की गलती से पैसे बिल्डर के खाते में ट्रांसफर हो गये थे. बिल्डर से अब तक 70 करोड़ की वसूली की जा चुकी है. शेष राशि की वसूली के लिए प्रयास किये जा रहे हैं. मामले में जांच के लिए सीबीआइ को पत्र लिखा गया है.
…इधर सरकार भी गंभीर
शिक्षा मंत्री ने 15 दिन में मांगी जांच रिपोर्ट
स्कूली शिक्षा व साक्षरता मंत्री डॉ नीरा यादव ने सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान व मध्याह्न भोजन योजना की राशि की पूरी रिपोर्ट मांगी है. 15 दिन के अंदर मामले की विभागीय स्तर पर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है. उन्होंने इस संबंध में स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की सचिव को पत्र लिखा है. पूछा है कि क्या यह पहला मामला है या इससे पूर्व भी ऐसा हुआ है. मामला संज्ञान में आने के बाद विभाग की ओर से जांच करायी गयी है या नहीं. यदि नहीं करायी गयी है, तो 15 दिन के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट दी जाये. जांच में किसी के दाेषी पाये जाने पर उस पर कार्रवाई की जाये.
सरकार को ब्याज के 45 लाख का नुकसान
मिड डे मील प्राधिकरण के खाते में जमा राशि पर बैंक चार प्रतिशत की दर से सूद का भुगतान करता है. 40 दिनों तक यह पैसा सरकार के खाते में नहीं रहने से उसे करीब 45 लाख रुपये सूद के रूप में नुकसान हुआ है. वहीं बिल्डर को सरकार के पैसे से सूद के रूप में 45 लाख रुपये मिले हैं.