रांची: नीति आयोग की बैठक में झारखंड को विकास के पैमाने पर राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे बताया गया है. आयोग ने राज्य को विकास की गति तेज करते हुए राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने पर सुझाव दिया है. शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में हुई बैठक के बाद नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने बताया, झारखंड को शिक्षा, स्वास्थ्य और सिंचाई के क्षेत्र में केंद्र से सर्वाधिक मदद की जरूरत है. कोयले का वैल्यू एडिशन करने के उद्देश्य से 100 टन प्रतिदिन उत्पादन क्षमता वाला मिथिनॉल प्लांट लगाया जायेगा. राज्य के विश्वविद्यालय स्वायत्तता की मांग को स्वीकृति प्रदान की जा सकती है. लेकिन, विश्वविद्यालयों को भी अपनी डिलिवरी क्षमता बेहतर करनी होगी.
कई क्षेत्रों में बेहतर काम : आयोग की बैठक दिन भर चली. वीके सारस्वत ने बताया, झारखंड कई क्षेत्रों में बेहतर कर रहा है. पर शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सिंचाई, ऊर्जा सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत से पीछे चल रहा है. राज्य सरकार को इन क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने के लिए केंद्र सरकार की मदद की जरूरत है. सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण झारखंड में एक फसलीय खेती ही संभव हो पा रही है. नीति आयोग इन क्षेत्रों के लिए राज्य सरकार को केंद्र से आर्थिक मदद सहित अन्य सभी प्रकार की सहायता दिलाने का प्रयास करेगा. आयोग ने इन क्षेत्रों में लक्ष्य प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार को समेकित योजना बना कर काम करने का सुझाव दिया गया है.
तीन वर्षों में प्लांट लगाने का प्रयास : वीके सारस्वत ने बताया, कोयले के वैल्यू एडिशन के लिए मिथिनॉल उत्पादन प्लांट लगाने का फैसला किया गया है. अगले तीन वर्षों में यह प्लांट झारखंड में स्थापित करने की कोशिश होगी. इस क्षेत्र में ज्यादातर अधिक राख की मात्रावाला कोयला मिलता है. इससे मिथिनॉल बना कर वैल्यू एडिशन करना कोयला बेचने के मुकाबले ज्यादा लाभप्रद है. मिथिनॉल प्लांट लगाने के लिए कोल इंडिया के साथ मिल कर एक स्पेशल परपस व्हीकल बनाया जायेगा. पहले चरण में 100 टन प्रतिदिन उत्पाद क्षमता का प्लांट लगाया जायेगा. बाद में इसका विस्तार किया जायेगा. उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालय स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. आयोग उनकी मांगों से सहमत है, लेकिन इसके लिए उन्हें एकाउंटेबुल होते हुए अपने दायित्वों का निर्वाह करना होगा.
झारखंड सरकार ने विकास के लिए तय की 11 प्राथमिकताएं : विकास आयुक्त अमित खरे ने नीति आयोग को बताया कि राज्य सरकार ने विकास के लिए 11 प्राथमिकताएं निर्धारित की हैं. इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी कम करने, रोजगार सृजन और कौशल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य शामिल हैं. इनके अलावा मूलभूत सुविधाओं में परिवहन, ऊर्जा, पेयजल, स्वच्छता व आवास, कृषि के क्षेत्र में किसानों की आमदनी दोगुनी करने, महिला एवं बाल विकास, शहरी क्षेत्रों में गरीबी कम करने और आधारभूत संरचना विकसित करना, औद्योगिक विकास, पारदर्शी सरकार और पिछड़े क्षेत्रों के लिए समेकित विकास की योजनाएं शामिल हैं.
राज्य सरकार की नजर प्राथमिकताओं पर : सीएम
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बैठक में कहा कि नीति आयोग का राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है. राज्य सरकार कठिनाइयों और प्राथमिकताओं का अवलोकन कर रही है. पिछले 70 साल में झारखंड का विकास अपेक्षित नहीं रहा. 14 वर्षों की राजनीतिक अस्थिरता के कारण भी राज्य का विकास प्रभावित रहा.उन्होंने कहा, पिछले ढाई वर्षों की स्थिर सरकार ने विकास के क्षेत्र में नयी ऊंचाइयों को छुआ है. राज्य को केंद्र से शिक्षा, स्वास्थ्य आदि महत्वपूर्ण इंडिकेटर में सहायता और सहयोग की आवश्यकता है. झारखंड विकास के कई पायदानों में अव्वल राज्यों की श्रेणी में है. मुख्यमंत्री ने कहा, 2018 तक सभी घर में विद्युत सुविधा और सभी जिलों को ओडीएफ करने का लक्ष्य है. महिला साक्षरता दर में भी सुधार आया है. बालिका शिक्षा एवं जनजातीय समुदायों के शिक्षा एवं समग्र विकास पर राज्य सशक्त प्रयास कर रही है.
राष्ट्रीय औसत से अधिक ग्रोथ रेटवाले राज्यों में झारखंड भी
राज्य की स्थिति पर पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए वीके सारस्वत ने कहा, आर्थिक मामलों में झारखंड की प्रगति राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. जीडीपी ग्रोथ का राष्ट्रीय औसत 6.8 प्रतिशत है. वहीं, झारखंड का जीडीपी ग्रोथ रेट 8.6 प्रतिशत है. यह गुजरात के बाद देश में सबसे ज्यादा है.
राष्ट्रीय औसत से अधिक ग्रोथ…
हालांकि, मिजोरम का जीडीपी ग्रोथ रेट 10 और त्रिपुरा का 9.3 प्रतिशत है. लेकिन, इन दोनों राज्यों को केंद्र सरकार से 90 प्रतिशत अनुदान मिलता है. इसलिए इन दोनों राज्यों की तुलना झारखंड से नहीं की जा सकती है. नया राज्य होने के बावजूद जीडीपी में इतनी वृद्धि तारीफ के काबिल है. उन्होंने कहा, जीडीपी के साथ-साथ झारखंड के प्रति व्यक्ति आय में भी उसी अनुपात में वृद्धि जरूरी है. राज्य के पिछड़े जिलों को दूसरे जिलों के बराबरी पर लाने के लिए एफआरएमबी में छूट दिलाने के लिए भी नीति आयोग वित्त मंत्रालय से बात करेगा.