रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि राजू कुमार गुप्ता ने 19 अप्रैल को टाटीसिलवे थाना में दर्ज केस में न्यायालय में सरेंडर कर दिया था. टाटीसिलवे थाना में 29 मार्च को केस दर्ज हुआ था. पुलिस की जांच रिपोर्ट से अब यह सवाल उठने लगा है कि अगर टाटीसिलवे पुलिस ने समय रहते केस में राजू कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया होता, तब शायद व्यवसायी सुरेंद्र जायसवाल की जान बच सकती थी. यह भी सवाल उठने लगा कि कहीं राजू गुप्ता ने सोची-समझी साजिश के तहत सुरेंद्र जायसवाल को गोली तो नहीं मारी थी, क्योंकि उसने व्यवसायी को गोली मारने के दूसरे दिन ही न्यायालय में सरेंडर कर दिया था.
जानकारी के अनुसार स्क्रैप व्यवसायी सुरेंद्र जायसवाल की दुकान भी टाटीसिलवे थाना क्षेत्र के हरिनगर में थी. वह घटना की रात दुकान बंद कर स्कूटी से कोकर ढेलाटोली स्थित घर लौट रहे थे. इसी दौरान बाइक सवार दो अपराधियों ने पीछा कर उन्हें गोली मार दी थी.
घटना के बाद गंभीर अवस्था में व्यवसायी को इलाज के लिए पहले रिम्स में भरती कराया गया था. पुलिस ने घटना के दूसरे दिन सुरेंद्र जायसवाल के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की थी. प्राथमिकी में आरोप था कि राजेंद्र के बेटे राजू को लगता था कि सुरेंद्र जायसवाल के कारण ही उसके पिता के व्यापार में घाटा हो रहा था. इसलिए राजेंद्र कबाड़ी वाले के बेटे ने ही षड्यंत्र रच कर हत्या की नीयत से फायरिंग करायी. प्राथमिकी दर्ज कराने के कुछ दिन बाद व्यवसायी की मौत इलाज के दौरान हो गयी थी.