रतन टाटा, सुधा मूर्ति की श्रेणी में झारखंड की बेटी शुभांशी चक्रवर्ती, मिला ‘महात्मा अवार्ड 2025’
Mahatma Award 2025: झारखंड की बेटी शुभांशी चक्रवर्ती को बड़ा सम्मान मिला है. गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर उन्हें ‘महात्मा अवार्ड 2025’ से सम्मानित किया गया. जमशेदपुर में जन्मी और रजरप्पा में पली-बढ़ी शुभांशी ने आगे की पढ़ाई मुंबई में की. इसी दौरान उन्होंने एक किताब लिखी, जिसे महात्मा अवार्ड 2025 मिला है. इसके पहले रतन टाटा, सुधा मूर्ति और अजीम प्रेमजी जैसे लोगों को यह सम्मान मिल चुका है.
Table of Contents
Mahatma Award 2025| रजरप्पा (रामगढ़), सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार : झारखंड की धरती एक बार फिर गौरवान्वित हुई है. राजरप्पा की प्रतिभाशाली बेटी शुभांशी चक्रवर्ती को महज 18 वर्ष की उम्र में प्रतिष्ठित ‘महात्मा अवार्ड 2025’ से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान उन्हें सामाजिक सरोकार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है. गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर नयी दिल्ली के इंडिया इंटरनेशन सेंटर के सभागार में आयोजित भव्य समारोह में शुभांशी को ‘लीडरशिप इन सोशल गुड एंड इम्पैक्ट’ श्रेणी में यह पुरस्कार प्रदान किया गया.
शुभांशी का नाम पुकारते ही तालियों से गूंजा हॉल
कोंकण रेलवे के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संतोष कुमार झा ने यह पुरस्कार प्रदान किया. इस अवसर पर देश की प्रथम महिला आईपीएस ऑफिसर डॉ किरण बेदी और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के सचिव ए अन्नामलाई विशेष रूप से उपस्थित थे. जब इस युवा लेखिका का नाम मंच से पुकारा गया, तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा. रतन टाटा, सुधा मूर्ति, अजीम प्रेमजी, डॉ किरण बेदी और डॉ सोनल मान सिंह जैसी महान हस्तियों को को यह पुरस्कार मिल चुका है.
Mahatma Award 2025: ‘पास्ट इज फॉरवर्ड’ से मिली पहचान
शुभांशी को यह सम्मान उनकी प्रथम पुस्तक ‘Past is Forward : A Journey Back to Heal the Future’ के लिए मिला है. यह पुस्तक भारतीय संस्कृति – आदिवासी परंपराओं और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित है, जो अतीत से सीख लेकर भविष्य को संवारने का संदेश देती है. इस पुस्तक का विमोचन नयी दिल्ली में राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और मेजर जनरल जीडी बक्शी ने किया था. इस अवसर पर मौजूद गणमान्य व्यक्तियों ने शुभांशी की सोच और लेखन की सराहना की. पुस्तक की प्रशंसा डॉ एल सुब्रमणियम, कविता कृष्णमूर्ति, प्रो अन्विता अब्बी, बी मुथुरामन और जीएन देवी जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा भी की गयी है.
झारखंड की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
फिल्म के जरिये संस्कृति को सहेजने की कोशिश
लेखन के साथ शुभांशी एक संवेदनशील फिल्म निर्माता भी हैं. उनकी लघु फिल्म ‘नाटोक’ झारखंड की पारंपरिक लोकनृत्य शैली छऊ नृत्य पर आधारित है. यह फिल्म इस कला के संरक्षण और बदलते सामाजिक परिवेश में उसकी स्थिति पर गहरी दृष्टि प्रस्तुत करती है. अब तक यह फिल्म 17 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में प्रदर्शित हो चुकी है और 9 पुरस्कार जीत चुकी है. इनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशन और सांस्कृतिक संरक्षण के सम्मान शामिल हैं.
प्रकृति से जुड़ी सोच, युवाओं के लिए प्रेरणा
शुभांशी का बचपन झारखंड के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में बीता है. वहीं से उन्हें प्रकृति और संस्कृति के गहरे संबंध की समझ मिली. वर्तमान में वह पर्यावरण विज्ञान और स्थिरता (Environmental Science & Sustainability) विषय की पढ़ाई कर रही हैं. वह लेखन, फिल्म और संवाद के माध्यम से युवाओं को पर्यावरण संरक्षण और समाज के प्रति जिम्मेदारी का संदेश दे रही हैं. उनके लेख देश के प्रतिष्ठित अखबारों में प्रकाशित हो चुके हैं.
उम्र नहीं, विचारों से होता है बदलाव
‘महात्मा अवार्ड 2025’ में शुभांशी का नाम मल्लिका साराभाई, डॉ यूसुफ हमीद (Cipla) और संदीप कुमार गुप्ता (GAIL India) जैसी जानी-मानी हस्तियों के साथ लिया गया. इस सम्मान ने साबित कर दिया कि समाज में बदलाव लाने के लिए उम्र नहीं, बल्कि विचार और संकल्प की शक्ति मायने रखती है. रजरप्पा की यह होनहार बेटी आज पूरे झारखंड की शान बन चुकी हैं. शुभांशी चक्रवर्ती ने यह दिखाया है कि अगर सोच सकारात्मक और लक्ष्य स्पष्ट के साथ नीयत सच्ची हो, तो कोई भी उम्र बड़ी उपलब्धि हासिल करने में बाधा नहीं बन सकती.
जमशेदपुर में हुआ जन्म, रजरप्पा में पली बढ़ी
शुभांशी चक्रवर्ती का जन्म जमशेदपुर में हुआ. जमशेदपुर में शुभांशी का ननिहाल है. शुभांशी रजरप्पा प्रोजेक्ट में पली-बढ़ी हैं, क्योंकि उस समय शुभांशी के दादा टीके चक्रवर्ती और दादी एस चक्रवर्ती डीएवी रजरप्पा में शिक्षक और शिक्षिका थीं. शुभांशी की शुरुआती पढ़ाई जमशेदपुर के डीबीएमएस में हुई. इसके बाद दसवीं एवं बारहवीं की पढ़ाई मुंबई के हीरानंदानी फाउंडेशन स्कूल से हुई. वर्तमान में शुभांशी पर्यावरण विषय की पढ़ाई मुंबई की डीवाई पाटील यूनिवर्सिटी में नामांकन लिया है. इनके पिता शुभाशीष चक्रवर्ती सोशल साइंटिस्ट हैं.
इसे भी पढ़ें
टाटा मोटर्स में 31 मार्च 2026 तक ग्रेड रिवीजन समझौता होने पर कर्मियों को मिलेगा 20 हजार रुपए बोनस
जमशेदपुर में 8 अक्टूबर तक हर दिन होगी बारिश, जानें कैसा रहेगा झारखंड का मौसम
बोकारो की सबसे कम उम्र की महिला मुखिया 3 दिन से लापता, कहां गयीं सपना कुमारी?
