– राकेश/अजीत –
मेदिनीनगर : राइस इज लाइफ. पलामू के संदर्भ में कृषि वैज्ञानिकों की यह राय है. राय इसलिए बनी कि चावल के बिना खाना अधूरा है या फिर इस लिहाज से कि जिस गरीब के पास चावल है और भले ही उसके पास सब्जी, दाल न हो. वह आराम से माड़–भात खाकर अपना पेट भर लेता है.
आज देश महंगाई की चपेट में है. पिछले दो वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो चावल के दाम में प्रति किलो चार से छह रुपये की बढ़ोतरी हुई है. चावल व्यवसायियों की मानें तो आनेवाले दिनों में इसके दाम और भी बढ़ेंगे, क्योंकि इस बार झारखंड में सुखाड़ की स्थिति है.
खासकर पलामू प्रमंडल में. जहां के किसान खरीफ फसल पर अधिक निर्भर हैं, वहां इस बार धान की खेती नहीं के बराबर हुई है. इसका असर आनेवाले नवंबर से देखने को मिलेगा. इस समय धान की फसल कटने के साथ नया चावल भी बाजार में आना शुरू हो जाता था, पर इस बार जिले में सुखाड़ की स्थिति है. ऐसे में स्वाभाविक है कि दूसरे राज्यों से चावल आयेगा, तो मूल्य और बढ़ेगा.