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पानी के लिए आपस में होती है तू-तू, मैं-मैं

अहले सुबह ही कुआं पर पानी लेने के लिए लग जाती है लाइन कैरो/लोहरदगा : कैरो प्रखंड क्षेत्र के गजनी पंचायत का गराडीह गांव टोंगरी पर स्थित है. यहां लगभग दो हजार अल्पसंख्यक तथा एक सौ आदिवासी रहते हैं. इस गांव में दो चापकल है लेकिन दोनों खराब पड़ा हुआ है. गांव में पीने की […]

अहले सुबह ही कुआं पर पानी लेने के लिए लग जाती है लाइन

कैरो/लोहरदगा : कैरो प्रखंड क्षेत्र के गजनी पंचायत का गराडीह गांव टोंगरी पर स्थित है. यहां लगभग दो हजार अल्पसंख्यक तथा एक सौ आदिवासी रहते हैं. इस गांव में दो चापकल है लेकिन दोनों खराब पड़ा हुआ है. गांव में पीने की पानी वाला कुआं दो है. सिंचाई के लिए खेतों में बनाये गये कुओं की संख्या लगभग 20 है़ लेकिन पथरिला स्थान होने के कारण कुआं मई महीने में ही सुख चुका है.
यहां विधायक मद से निर्मित सोलर संचालित प्याऊ भी खराब पड़ा है. आदिवासी मुहल्ले का एक कुआं तथा मुस्लिम मुहल्ले का एक कुआं है़ जिससे लोग पानी पीते हैं. इन कुओं में भी पानी इतना कम है कि यहां से पानी लेने के लिए महिलाएं पहले नंबर लगा कर खड़ी हो जाती है. दिन भर का पानी सुबह में ही इकट्ठा करने के जुगाड़ में महिलाएं घर का डब्बा और डेगची भरने में लगी रहती है. लोगों का कहना है कि मुस्लिम मुहल्ला स्थित कुएं में सुबह चार बजे से ही पानी लेने वालों की लाइन लग जाती है.
जो पहले आता है वह अपने साथ लाये गये डेगची और डब्बे को जब भर लेा है तब दूसरे का नंबर आता है. पानी की इस परेशानी में सिर्फ महिलाएं ही शामिल नहीं होती अपने घर के छोटे बच्चों को भी साथ में रखती हैं. कभी-कभी अपनी बारी का इंतजार कर रही महिलाओं और पहले से नंबर में लगी महिलाओं के बीच तू-तू, मैं-मैं की स्थिति भी आ जाती है़ रमजान महीने में पानी की अधिक खपत के कारण लोगों को रतजगा करना पड़ता है. पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां चापाकल भी सक्सेस नहीं होता. जिसके कारण बराबर यहां के लोगों को पानी के लिए परेशानी उठानी पड़ती है.
गो पालन के लिए प्रसिद्ध है गराडीह गांव : गराडीह गांव गो पालन के लिए प्रसिद्ध है. यहां गर्मी के मौसम को छोड़ कर सालों भर हजारों लीटर दूध डेयरी तथा खुले बाजारों में बेचा जाता है. यहां के गो पालक किसान गर्मी पहुंचने के पूर्व दुधारू गायों को पानी की समस्या को देखते हुए बेच देते हैं. गो पालक कम गाय रखना पसंद करते हैं.
गो पालक रांची से ले जाते हैं पानी : गराडीह गांव के अधिकांश लोग डेयरी को दूध देते हैं. कुछ गो पालक नकद पैसे के लिए दूध रांची ले जाकर बेचते हैं. इस गांव में पानी की समस्या इतनी विकराल है कि जिस केन में दूध लेकर जाते हैं उसी केन में रांची से भर कर पानी गराडीह लाते हैं. लोगों ने बताया कि ऐसा करने में उन्हें काफी परेशानी होती है लेकिन पानी की समस्या के आगे यह परेशानी कुछ भी नहीं लगती है.
यहां के लोग नगजुआ स्टेशन से ट्रेन से रांची जाते हैं और उसी ट्रेन में केन में भर कर पानी नगजुआ लेकर आते हैं. नगजुआ से लगभग चार किलोमीटर गराडीह केन में भरा पानी लेकर पहुंचना इन लोगों के लिए काफी कठिनाई भरा काम साबित होता है. लोगों का कहना है कि गराडीह गांव के लोग पानी की समस्या से स्थानीय जनप्रतिनिधि तथा प्रशासन को भी अवगत करा चुके हैं लेकिन इसका कोई फायदा उन्हें नहीं मिला है.

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