कैरो/लोहरदगा : कैरो प्रखंड मुख्यालय हरिजन दलित बस्ती में लगभग 120 से 125 घरों के 1200 से 1300 परिवार रहते हैं. कैरो को प्रखंड का दर्जा मिले नौ वर्ष हो गये. बावजूद इसके यहां बेरोजगारी, पलायन लोगों की पहचान बनी हुई है. यहां के लोग हर वर्ष पलायन कर दूसरे राज्य जाते हैं और ईट भठ्ठा जैसी अन्य जगहों पर काम कर अपना गुजारा करते हैं.
मुहल्ला में शिक्षा के नाम पर एक आंगनबाड़ी केंद्र है, जिस में नामांकित बच्चों की संख्या 35 है, जबकि 3 वर्ष से 6 वर्ष के 71 बच्चे हैं. परंतु आंगनबाड़ी पूरी तरह जर्जर हो चुकी है, आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों के लिए न तो पीने का पानी का व्यवस्था है और न खिचड़ी पकाने के लिए कोई सुविधा ही है. आंगनबाड़ी केंद्र के पास खराब पड़ा एक चापानल, एक कुआं है जिसमें पानी ही नहीं है. आंगनबाड़ी केंद्र में बीते दो वर्ष पूर्व शौचालय का निर्माण हुआ था. जिसमें अभी तक दरवाजा नहीं लगा है. जिससे बच्चों को शौचालय जाने में परेशानी होती है. शौचालय आज गिरने के कगार पर है.
मौके पर सेविका सुचित्रा उरांव का कहना है आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर होने के साथ सड़क से नीचे लेबल पर बना हुआ है जिस कारण बरसात के दिनों में मुहल्ले का गंदा पानी आंगनबाड़ी केंद्र में घुसने लगती है, जिससे बच्चों को बैठाने में काफी परेशानी होती है. साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र के आस-पास असमाजिक तत्वों द्वारा गंदगी फेंके जाने से दुर्गंध के कारण बच्चों का स्वास्थ्य खराब होने की आशंका बनी रहती है. ग्रामीणों का कहना है कि यह आंगनबाड़ी केंद्र में हमारे बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मिलती है, परंतु यह आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर हो गया है हमेशा खतरा बना रहता है. आंगनबाड़ी का चहारदीवारी, पीने का पानी, शौचालय और नयेभवन का निर्माण होता तो हमारे बच्चे निर्भीक हो कर आंगनबाड़ी जाते और परिवार वाले भी निश्चित रहते कि बच्चा सुरक्षित है.
125 घरों के लगभग 1200 से 1300 परिवार वाले दलित बस्ती में आज इस चुनावी दौर में एक से एक बड़े नेता अपने पक्ष में वोट मांगने आते हैं और बड़े-बड़े वादे कर चले जाते हैं और हरिजन मुहल्ला के भोले भाले जनता वोट करते हैं और पार्टी को जिताते हैं. परंतु चुनाव बीतते ही न कोई नेता और न कोई कार्यकर्ता इस बस्ती का हाल चाल जानने आते हैं, परंतु इस बार युवा वर्ग जगरूक हो चुके हैं. युवा वर्ग क्षेत्र के विकास करने वाले प्रत्याशी को वोट देंगे.