ज्ञात हो कि प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर व जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर कुड़ू- लोहरदगा मुख्य पथ के किनारे वन विभाग के लगभग 200 एकड़ में फैले सुरक्षित वन क्षेत्र में हिरण पार्क बनाने की मांग अविभाजित बिहार सरकार के कार्यकाल से हो रही है.
वर्ष 1992 में पहली बार मांग जोर पकड़ी थी. बिहार सरकार के कार्यकाल में झारखंड के दो स्थानों खूंटी के कलामाटी हुलहुंडू व लोहरदगा के चीरी में हिरण पार्क बनाने का प्रस्ताव बिहार सरकार को दिया गया था. कालामाटी में हिरण पार्क बनाने का प्रस्ताव पारित हो गया, जबकि चीरी में सर्वे कराने की बात कही गयी. वर्ष 1994 में कालामाटी में हिरण पार्क का उद्घाटन हो गया व चीरी का मामला ठंडे बस्ते में चला गया. वर्ष 2000 में झारखंड अलग राज्य बनने के बाद मामला फिर से जोर पकड़ा. तत्कालीन डीसी अाराधना पटनायक ने चीरी जंगल का निरीक्षण करते हुए हिरण पार्क बनाने का प्रस्ताव सरकार के पर्यटन मंत्रालय को भेजा था. इस बीच अाराधना पटनायक का तबादला हो गया. वर्ष 2011 में नि:वर्तमान विधायक कमल किशोर भगत ने चीरी में हिरण पार्क बनाने का मामला विधानसभा में उठाया. तत्कालीन पर्यटन मंत्री बैजनाथ राम ने हिरण पार्क बनाने का आश्वासन दिया. इस बीच सरकार गिर गयी और मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया. दोबारा सरकार बनने के बाद नि:वर्तमान विधायक कमल किशोर भगत ने एक बार पुनः मामला उठाते हुए बताया कि चीरी मे हिरण पार्क बनने की सभी संभावना है.
हिरण पार्क बनने से क्षेत्र का नाम पर्यटन के क्षेत्र में विकसित होगा, साथ ही रोजगार के साधन बढ़ेंगे. सरकार ने आश्वस्त किया कि चीरी मे हिरण पार्क बनेगा. इस दौरान वर्ष 2014 में चुनाव की घोषणा के बाद मामला दफन हो गया. चीरी में हिरण पार्क बनने से चीरी सुरक्षित वन क्षेत्र के जंगल बचते व ग्रामीणों को रोजगार मिलता व आसपास के क्षेत्र विकसित होते. इस संबंध में चीरी पंचायत के उपमुखिया एनुल अंसारी ने कहा कि चीरी में हिरण पार्क नहीं बनना कुड़ू वासियों के लिए दुखद है. कुड़ू बीडीओ संतोष कुमार ने बताया कि मुझे कोई जानकारी नहीं है. जानकारी मिलेगी या प्रस्ताव मांगा जायेगा, तो जांच के बाद प्रस्ताव भेज देंगे. हिरण पार्क बनने से क्षेत्र का विकास होता.