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डीसी के निर्देश पर पहुंचे सिविल सर्जन
किस्को-लोहरदगा : नक्सल प्रभावित देवदरिया पंचायत अंतर्गत ग्राम उलदाग सोपारंग में डायरिया का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रभात खबर में इसकी खबर छपने के बाद डीसी विनोद कुमार ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए सिविल सर्जन डॉ पैट्रिक टेटे को प्रभावित इलाके में भेजा, जहां पहुंच कर सिविल सर्जन ने पूरे […]
किस्को-लोहरदगा : नक्सल प्रभावित देवदरिया पंचायत अंतर्गत ग्राम उलदाग सोपारंग में डायरिया का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रभात खबर में इसकी खबर छपने के बाद डीसी विनोद कुमार ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए सिविल सर्जन डॉ पैट्रिक टेटे को प्रभावित इलाके में भेजा, जहां पहुंच कर सिविल सर्जन ने पूरे मामले की जानकारी ली और पीड़ित परिवारों से मिलकर राहत कार्य चलाया. गांव के दर्जनों भुइयां परिवार डायरिया जैसी जानलेवा बीमारी के चपेट में पड़ कर जिंदगी और मौत का सामना कर रहे हैं.
ग्राम सोपारंग में डायरिया जैसी जानलेवा बीमारी से ग्रसित भुइयां परिवारों को झारखंड अलग राज्य होने के बाद ये आस जगी था कि अब हमारे भी दिन बहुत जल्द बहुरेंगे, लेकिन इन बेबस परिवारों के लिए अलग झारखंड से मिलनेवाला सपना अबतक सपना ही बनकर रह गया है. गांव में न तो पेयजल की व्यवस्था है और न ही स्वास्थ्य की व्यवस्था. कोई भूलचूक बीमार पड़ जाते हैं तो काफी परेशानी होती है. सड़क नाम का चीज गांव में जाने के लिए है ही नहीं साथ ही बिजली इनके लिए तो सोचना भी बेमानी है. यदि कोई बीमार पड़ जाते हैं तो चार किलोमीटर दूर पैदल चलकर उप स्वास्थ्य केंद्र खरचा जाना पड़ता है परंतु स्वास्थ्य केंद्र में विभागकी लापरवाही का नतीजा है कि ओआरएस का घोल पाउडर तक व्यवस्था नहीं रहती है.
ग्रामीण फूलचंद भुइयां ,सरिफा भुइयां, संतोष भुइयां, प्रदीप भुइयां , राजेन्दर भुइयां, सुखलाल भुइयां एवं सिकन्दर भुइयां का कहना है कि सोपारंग के भुइयां परिवार भगवान भरोसे जीवन यापन करने को विवश हैं. गांव के लोग स्वास्थ्य सुविधा, पेयजल संकट, सड़क की सुविधा, बिजली की सुविधा के लिए तरस रहे हैं, लेकिन झारखंड अलग राज्य के बाद से दर्जनों मुख्यमंत्री तो बदले पर सोपारंग बस्ती में भेड़ बकरी की तरह जी रहे भुइयां परिवार का तस्वीर व तकदीर अबतक नहीं बदली.
मात्र एक बार लगा है शिविर : प्रखंड के देवदरिया पंचायत के सोपारंग गांव में अलग झारखंड के पहले स्वास्थ्य शिविर लगा था, उसके बाद से अबतक स्वास्थ्य शिविर लगाना तो दूर, गांव में स्वास्थ्य विभाग के अलावा किसी भी विभाग की ओर से जागरूकता अभियान तक नहीं चलाया गया है.
शुद्ध क्या होता है, नहीं मालूम
देवदरिया के उलदाग सोपारंग निवासी भुइयां परिवार को शुद्ध क्या होता है ये अबतक मालूम नहीं है. ग्रामीण नदी का पानी पीने को मजबूर हैं. गांव में दो चापानल नाम मात्र के लिए तो है, लेकिन सालों भर खराब पड़ा रहता है जिससे पीने का पानी के लिए इन परिवारों को काफी भागदौड़ भरी जिंदगी गुजारनी पड़ रही है. अबतक डायरिया जैसी जानलेवा बीमारी की चपेट में उलदाग सोपारंग गांव के नौ लोग गंभीर रूप से पीड़ित हैं.
यहां पिछले 20 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कोइ्र शिविर नहीं लगाया गया है. यहां न तो डीडीटी और न ही बिलीचिंग पाउडर का हुआ है गांव में अबतक छिड़काव. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि उक्त गांव में अब तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई सुविधा नहीं दी गयी है.
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