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समिति समाज व देश की दशा व दिशा बदल सकती है

लोहरदगा़ : विद्या विकास समिति झारखंड द्वारा सुंदरी देवी सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित दो दिवसीय विभाग स्तरीय समिति सदस्य सम्मेलन संपन्न हुआ. समापन समारोह में बतौर मुख्य वक्ता उत्तर-पूर्व क्षेत्र के सह संगठन मंत्री शशिकांत फड़के ने कहा कि जिस शिक्षा प्रणाली में देश के प्रति कुछ करने का भाव मिले वह राष्ट्रीय शिक्षा […]

लोहरदगा़ : विद्या विकास समिति झारखंड द्वारा सुंदरी देवी सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित दो दिवसीय विभाग स्तरीय समिति सदस्य सम्मेलन संपन्न हुआ. समापन समारोह में बतौर मुख्य वक्ता उत्तर-पूर्व क्षेत्र के सह संगठन मंत्री शशिकांत फड़के ने कहा कि जिस शिक्षा प्रणाली में देश के प्रति कुछ करने का भाव मिले वह राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली है.
इसके अतिरिक्त जिस प्रणाली में यह भाव नहीं मिले वह अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली कही जायेगी. भारत वर्ष में पिछले कुछ वर्षों तक ऐसे अनेकों उदाहरण सीबीएसइ के पाठ्यक्रमों तक में देखने को मिले थे. जिनसे देश का अपमान होता था. विद्या भारती कुछ समान विचारधारा के संगठनों के साथ इस प्रकार की गड़बड़ियों को ठीक कर उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की श्रेणी में लाने का काम कर रही है. इसे लेकर अब तक ऐसे 155 अपमानजनक बातें सामने आयी है. ऐसे 80 मामलों पर विद्या भारती को जीत मिली है. पाठ्यक्रमों में धर्म, संस्कृति व देश के विरोध में गलत बात बताना देश के खिलाफ कदम माना जाना चाहिए. इससे देशभक्ति की भावना आहत होती है. इसलिए सभी बुद्धिजीवियों को मिल कर इन गलत कदमों का विरोध करना चाहिए.
उन्होंने सम्मेलन में भाग ले रहे गुमला, पलामू और रांची के विद्या भारती के विद्यालयों का संचालन करनेवाली प्रबंधकारिणी समितियों के प्रधानाचार्यों, अध्यक्षों, सचिवों सहित अन्य पदाधिकारियों और सदस्यों से कहा कि समिति का काम पंचों का काम होता है जिसका निर्णय सामूहिक होना चाहिए. समिति में सभी प्रमुख आयु वर्गों की पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. 30 से 40, 40 से 50, 50 से 60 और 60 से 70 सभी चार पीढ़ियां मिल कर चले तो समिति न सिर्फ विद्यालयों का बेहतर संचालन कर सकती है बल्कि समाज और राष्ट्र को भी बेहतर बना सकती है. प्रत्येक समिति में मातृ शक्ति को महत्व देते हुए न्यूनतम दो-दो महिलाओं को स्थान दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारी वंदना सभा विद्या भारती का परिचय देती है. हमारा लक्ष्य हमारी कार्यप्रणाली को बतलाता है.
हमारे जीवन का लक्ष्य सा विद्या या विमुक्तये है. यानि विद्या से हम विमुक्ति की ओर जा रहे हैं. लेकिन दुर्भाग्य है कि आज की शिक्षा प्रणालियां विद्या से नियुक्ति मात्र की ओर अग्रसर है. इसी कारण परिवार भी टूटते हैं क्योंकि नियुक्ति यानि नौकरी को प्राथमिकता देते हुए परिवार से दूर रहनेवाले बच्चे परिवार के लिए समय नहीं निकाल पाते. उन्होंने कहा कि स्मरण व विस्मरण ईश्वर के दो वरदान हैं. हमें नकारात्मक बातों को विष्मृत और सकारात्मक को स्मरित रखने की आवश्यकता है. इसकी अध्यक्षता करते हुए संघ के गुमला विभाग संघ चालक सच्चिदानंद लाल ने कहा कि समिति के सदस्य मिल कर प्रयास करें तो समाज और देश की दशा व दिशा बदल सकती है.
हम मिल कर विद्या भारती के आदर्शों और उद्देश्य के अनुकूल बालकों का निर्माण करते हुए सबल समाज व राष्ट्र बनाने का काम करें. अतिथियों का परिचय आतिथ्य कर रहे सुंदरी देवी सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य सुरेश चंद्र पांडेय ने किया. समारोह का संचालन विद्या विकास समिति के रांची विभाग प्रमुख अमरकांत झा और धन्यवाद ज्ञापन गुमला विभाग के प्रमुख डाॅ रमेशमनी पाठक ने किया. पलामू विभाग के प्रमुख पुष्पेंद्र कुमार सिंह ने देशभक्ति व्यक्तिगत गीत से सबको मोहित किया.
मौके पर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के संगठन मंत्री दिवाकर घोष, विद्या विकास समिति के अध्यक्ष रामावतार नारसलिया, सह मंत्री ज्वाला कुमार तिवारी, सचिव मुकेश नंदन, प्रांतीय पदाधिकारी, स्थानीय समिति के संरक्षक कृष्णा प्रसाद, उपाध्यक्ष वीरेंद्र मित्तल, सचिव अजय प्रसाद, विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य कुमार विमलेश, तीनों विभागों के विभिन्न विद्यालयों से आये सदस्य, शिशु मंदिर के सभी आचार्य व कर्मी उपस्थित थे.

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