Advertisement
आदिवासी समुदाय में न बाल विवाह है व न ही विधवा विवाह पर मनाही : डीसी
कोडरमा बाजार : चाइल्डलाइन, समर्पण व राष्ट्रीय झारखंड सेवा संस्थान की ओर से बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिलास्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि उपायुक्त संजीव कुमार बेसरा, विशिष्ठ अतिथि एसपी सुरेंद्र कुमार झा, डीडीसी आदित्य कुमार आनंद, महामंडलेश्वर श्रीश्री सुखदेव दास जी महाराज, नपं अध्यक्ष कांति देवी, उपाध्यक्ष कुलवीर सलूजा, जिला […]
कोडरमा बाजार : चाइल्डलाइन, समर्पण व राष्ट्रीय झारखंड सेवा संस्थान की ओर से बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिलास्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि उपायुक्त संजीव कुमार बेसरा, विशिष्ठ अतिथि एसपी सुरेंद्र कुमार झा, डीडीसी आदित्य कुमार आनंद, महामंडलेश्वर श्रीश्री सुखदेव दास जी महाराज, नपं अध्यक्ष कांति देवी, उपाध्यक्ष कुलवीर सलूजा, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी रेणु बाला आदि उपस्थित थे. मौके पर उपायुक्त ने कहा कि हमारे आदिवासी समुदाय में न बाल विवाह है और न ही विधवा विवाह पर मनाही है.
हमारे समुदाय में महिलाओं व बच्चियों को उतना ही अधिकार, मान-सम्मान और निर्णय की प्रक्रिया में सहभागिता है, जितना एक पुरुष को है. इस कारण हमें अपने आदिवासी समुदाय पर गर्व महसूस होता है.
गैर आदिवासी समुदाय को आज हमारे आदिवासी समुदाय से सीखने की जरूरत है. कहा कि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सिर्फ बाल विवाह रोकने मात्र से भला नहीं होने वाला है. इसके लिए हमें स्त्रियों के मान-सम्मान व निर्णय की प्रक्रिया में शामिल करने के साथ-साथ संवैधानिक हकों के लिए हर दृष्टिकोण से काम करने की जरूरत है. एसपी सुरेंद्र कुमार झा ने कहा कि बाल विवाह से लड़कियां छोटी उम्र में ही मां बन जा रही है. इससे जच्चा-बच्चा दोनों को खतरा रहता है. कहा कि लड़कियों को कमतर आंकना, आर्थिक बोझ समझना या ब्याह करा कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेना सही नहीं है.
उन्होंने कहा कि कम उम्र में शादी होने से बेटियां पूरी तरह परिपक्व नहीं हो पाती है. लिहाजा, घरेलू हिंसा, शारीरिक ज्यादतियों व अनेक किस्म की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है. महामंडलेश्वर सुखदेव दास जी महाराज ने कहा कि पृथ्वी पर जन्म लिये है, तो दूसरों की भलाई के बारे में भी सोचना हम सबका फर्ज है. उन्होंने कहा कि कम उम्र में शादी होने से ही सारी विपत्ति उत्पन्न होती है. उन्होंने ध्वजाधारी धाम को नोटिस बोर्ड लगा कर बाल विवाह मुक्त मंदिर बनाने की घोषणा की.
डीडीसी आयुक्त आदित्य कुमार ने कहा कि घर-घर जाकर या कानून का डंडा दिखा कर बाल विवाह को रोकने की जरूरत न पड़े, ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है. सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने जिले में चाइल्डलाइन व संस्थाओं के प्रयास से हासिल उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि तीव्र आर्थिक विकास, बढ़ती जागरूकता व शिक्षा अधिकार कानून लागू होने के बाद भी यदि इस तरह की कार्यशाला का आयोजन करने की जरूरत पड़ रही है, तो जाहिर है कि बालिकाओं के अधिकारों और कल्याण के दिशा में अभी काफी कुछ किया जाना शेष है.
चाइल्डलाइन के निदेशक इंद्रमणि साहू ने कहा कि बाल विवाह का सबसे बड़ा कारण लिंग भेद, अशिक्षा व कानून का भय न होना है. उन्होंने कहा कि 47 फीसदी शादियां अभी भी 18 साल से पहले हो रही है. 22 फीसदी बालिकाएं 18 वर्ष से पहले मां बन जाती है. उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, पहले पढ़ाई फिर विदाई, शिक्षा अधिकार कानून की सार्थकता तभी है, जब हम इस प्रथा को अपने समाज से हटायेंगे.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement