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बॉर्डर एरिया में उत्पाद विभाग कमजोर
कोडरमा में अवैध शराब का गोरखधंधा अवैध शराब के धंधे पर शिकंजा कसने के दावे का सच, कम कर दी गयी विभाग की शक्तियां पहले से भी कम कर दिये गये पदाधिकारी व कांस्टेबल, उत्पाद अधीक्षक व प्रशिक्षु एसआइ के भरोसे विभाग विकास कोडरमा : जिले का नाम अवैध शराब के धंधे को लेकर पिछले […]
कोडरमा में अवैध शराब का गोरखधंधा
अवैध शराब के धंधे पर शिकंजा कसने के दावे का सच, कम कर दी गयी विभाग की शक्तियां
पहले से भी कम कर दिये गये पदाधिकारी व कांस्टेबल, उत्पाद अधीक्षक व प्रशिक्षु एसआइ के भरोसे विभाग
विकास
कोडरमा : जिले का नाम अवैध शराब के धंधे को लेकर पिछले कई माह से सुर्खियों में है. राज्य सरकार को इस जगह उत्पाद विभाग को मजबूत करते हुए पदाधिकारियों व कर्मियों की संख्या बढ़ानी चाहिए थी, पर हाल ही में विभाग द्वारा किये गये फेरबदल में कोडरमा के सभी पदाधिकारियों व कर्मियों को तो बदला ही गया, यहां पहले से भी कम पदाधिकारी व कर्मी अब रखे गये हैं.
ऐसे समय में जब सीमावर्ती राज्य बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है और लगातार शराब तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं, तो इस तरह नयी व्यवस्था लागू कर विभाग के स्ट्रेंथ को कम करना कई सवाल उठा रहे हैं. चर्चा है कि अगस्त माह में डोमचांच इलाके में पकड़ी गयी नकली शराब फैक्ट्री मामले के बाद दबाव बढ़ा है और इस तरह की फेरबदल कर दी गयी है. यही हाल राज्य के अन्य सीमावर्ती जिलों में भी है. वर्तमान में जो स्थिति है, उससे कोडरमा में उत्पाद विभाग से बड़ी कार्रवाई की उम्मीद नहीं बन रही.
जानकारी के अनुसार कोडरमा में पहले उत्पाद अधीक्षक थे रामलीला रवानी. उन्हें रामगढ़ में अतिरिक्त प्रभार दिया गया, तो यहां पर बतौर इंस्पेक्टर कार्यरत कमल नयन सिन्हा को प्रभारी उत्पाद अधीक्षक बना दिया गया था. विभाग की ओर से किये गये तबादले के पहले कोडरमा में प्रभारी उत्पाद अधीक्षक के पद पर इंस्पेक्टर कमल नयन सिन्हा के अलावा एक एसआइ ललित सोरेन, प्रशिक्षु एसआइ शहनवाज, उत्पाद लिपिक के पद पर अरविंद तिवारी, बतौर कांस्टेबल कुमोद सिंह, विजय बारिक, विंदेश्वर सिंह कार्यरत थे. तबादला के बाद इनमें से कमल नयन सिन्हा, अरविंद तिवारी, कुमोद सिंह व विंदेश्वर सिंह को धनबाद, ललित सोरेन को गिरिडीह, विजय बारिक को बोकारो भेजा गया है. इसके विपरीत कोडरमा में नयी व्यवस्था के तहत बतौर उत्पाद अधीक्षक एके गौड़ भेजे गये हैं.
इसके अलावा उत्पाद लिपिक के रूप में वेद प्रकाश व रंधीर कुमार सिंह, कांस्टेबल कैलाश वर्मा, अनिल कुमार चौधरी को नियुक्त किया गया है. इधर, विभागीय जानकार इसमें कुछ गलत नहीं बता रहे हैं. उनका तर्क है कि पूरे राज्य में एक साथ सभी जिलों में पदाधिकारी से लेकर कर्मी तक बदले गये हैं. पिछले 22 दिसंबर को एक साथ कई पदाधिकारी व कर्मी बदले गये. इसमें कोडरमा के भी पदाधिकारियों, कर्मियों का तबादला हुआ है. हालांकि इसके पूर्व अवैध शराब के मामले में प्रभात खबर ने बड़ा खुलासा किया था और राजनीतिक संरक्षण की बातें खुलकर सामने आयी थी.
रांची : झारखंड के बिहार से सटे सभी जिलों में उत्पाद विभाग के अधिकारियों और कर्मियों की संख्या कम कर दी गयी है. बिहार की सीमा से लगनेवाले सभी 10 जिलों में उत्पाद निरीक्षक, दारोगा, जमादार और सिपाहियों को वहां से हटा कर अन्यत्र पदस्थापित कर दिया गया है. दिसंबर 2016 में बड़े पैमाने पर उत्पाद अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला किया गया. उस दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में पदस्थापित कर्मियों की संख्या कम कर दी गयी. बिहार से सटे 10 जिलों में से केवल तीन गिरडीह, दुमका और हजारीबाग में ही नियमित रूप से उत्पाद निरीक्षकों को पदस्थापित किया गया. पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा व देवघर समेत पांच जिले प्रभारी उत्पाद निरीक्षकों के हवाले हैं. कई जिले ऐसे हैं, जहां पूर्व में पदस्थापित नियमित उत्पाद अधीक्षक को हटा कर जिला प्रभारी के भरोसे छोड़ दिया गया है. वहीं, साहेबगंज और चतरा में उत्पाद निरीक्षक का पद रिक्त कर दिया गया है. पलामू और कोडरमा में दारोगा और जमादारों की संख्या में भी कमी कर दी गयी है.
चार में से तीन उत्पाद अधीक्षक हटाये गये
राजस्व की दृष्टि से बड़ा और बिहार से सटा इलाका होने के बावजूद हजारीबाग जिले से उत्पाद अधिकारियों की संख्या घटा दी गयी. हजारीबाग में पूर्व से पदस्थापित चार उत्पाद अधीक्षकों में से तीन को हटा दिया गया. अब वहां केवल एक उत्पाद अधीक्षक का पदस्थापन किया गया है. हजारीबाग में उत्पाद सिपाहियों की संख्या भी कम कर दी गयी है. पूर्व में पदस्थापित आठ सिपाहियों की संख्या कम करते हुए उसे पांच कर दिया गया है.
केवल एक प्रभारी के भरोसे छोड़ा गया चतरा
बिहार की सीमा से छूने के बावजूद समूचे चतरा जिले की जिम्मेवारी केवल एक उत्पाद अधिकारी को दी गयी है. वह भी प्रभार में. चतरा में केवल एक प्रभारी उत्पाद निरीक्षक का पदस्थापन किया गया है. वहां दारोगा, जमादार और सिपाहियों के सभी पद रिक्त छोड़ दिये गये हैं. इसी तरह पलामू में भी उत्पाद अधिकारियों की संख्या में कमी की गयी. पलामू में नियमित उत्पाद अधीक्षक को हटा कर प्रभारी बना दिया गया. पांच दारोगा का पदस्थापन कम कर तीन कर दिया गया. पलामू में इंस्पेक्टर एक था. अब उसे हटा कर प्रभारी बनाया गया है. पांच एसआइ को कम कर तीन एसआइ कर दिया गया.
कम कर दिये गये सिपाही
राज्य के सभी सीमावर्ती जिलों में उत्पाद सिपाहियों की संख्या भी घटा दी गयी है. गढ़वा में पांच सिपाही का तबादला कर दो को ही पदस्थापित किया गया है. गिरिडीह और दुमका में चार सिपाहियों को हटा कर उनकी जगह केवल एक सिपाही दिया गया है. देवघर में पूर्व से पदस्थापित नौ सिपाहियों में से चार और साहेबगंज में तीन सिपाहियों में से दो को हटा दिया गया है.
उठ रहे हैं सवाल
उत्पाद विभाग द्वारा बिहार की सीमा से सटे जिलों में अधिकारियों व कर्मचारियों की संख्या में कमी करने से सवाल उठ रहे हैं. बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद झारखंड के रास्ते शराब तस्करी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. उत्पाद विभाग भी लगातार राज्यभर में छापेमारी का दावा कर रहा है. ऐसे में सीमावर्ती जिलों के कार्यबल में कमी लाना सवाल खड़ा कर रहा है.
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