रैक में कोयले के ओवर लोड से कंपनियों को हो रहा है भारी नुकसान
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केडीएच साइडिंग से कंपनियों को पौने दो करोड़ रुपये लगी पेनाल्टी
रैक में कोयले के ओवर लोड से कंपनियों को हो रहा है भारी नुकसान खलारी :रेलवे रैक में कोयले के ओवरलोड के कारण सरकारी पावर कंपनियों सहित लिंकेज व प्राइवेट कोयला इस्तेमाल करनेवाले उद्योगों को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. एनके एरिया क्षेत्र के केडीएच साइडिंग से पिछले एक से 20 दिसंबर के […]
खलारी :रेलवे रैक में कोयले के ओवरलोड के कारण सरकारी पावर कंपनियों सहित लिंकेज व प्राइवेट कोयला इस्तेमाल करनेवाले उद्योगों को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. एनके एरिया क्षेत्र के केडीएच साइडिंग से पिछले एक से 20 दिसंबर के बीच में इन कंपनियों काे 1.75 करोड़ रुपये का नुकसान ओवरलोड के कारण हुआ है.
इन कंपनियों में एनबीसीसी को 17,80,528 रुपये, रोसा को 11,37,588 रुपये, एमआइजीके 14,22,145 रुपये, पीएमआरएन को 1,48,323 रुपये, एमजीपीजी को 12,63,940 रुपये, डीइआर को 77,31,110 रुपये, एसएसपीएल को 3,37,792 रुपये, डीजीआर को 79,760 रुपये, टीपीएसएम को 19,87,866 रुपये, रूकनी को 28,516 रुपये, यूसीआर को 16,83,017 रुपये का पेनाल्टी कोयला ओवरलोड भेजने के कारण लगाया गया है.
इनमें सबसे ज्यादा दादरी पावर काे भेजे गये कोयला में 10 दिसंबर को 89.60 टन, दूसरे रैक में 51.80 टन,15 दिसंबर को 27.80 टन,18 दिसंबर को 186.60 टन, दूसरे रैक में 298.20 टन, 19 दिसंबर को 99.40 टन कोयला ओवरलोड लादा गया, जिसके एवज में 77,31,110 रूपये का पेनाल्टी रेलवे ने लगाया.
केडीएच से हरियाणा, यूपी, नवीनगर, दादरी, आसनसोल, दुर्गापुर, रोसा, एमजेपीजे के ताप विद्युत संयंत्रों सहित अन्य कारखानों के लिए कोयला प्रतिदिन जाता है.
इन कंपनियों को फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट यानि एफएसए का कम कीमत पर कोयला दिया जाता है. परंतु सीसीएल की अनदेखी के कारण इन पावर कंपनियों को लाखों रुपये पेनाल्टी के रूप में रेलवे को जुर्माना देना पड़ रहा है. पावर कंपनी के खलारी स्थित प्रतिनिधि सोनू कुमार ने बताया कि सीसीएल की ऐसी स्थिति रहने पर कंपनी यहां से कोयला लेना बंद कर देगी.
उन्होंने बताया कि कंपनी करोड़ों रुपये लगाकर कोयला खरीदती है, लेकिन उन्हें मुनाफा की जगह प्रति रैक 8 से 10 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है. उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी कई बार सीसीएल के अधिकारियों को कंपनी ने लिखित व मौखिक दी है. बावजूद उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा है.
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