28.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

गांव की सरकार : गुमला के ऊपर खटंगा और परसा पंचायत में नक्सल के छंट रहे बादल, दिखने लगी विकास की छटपटाहट

नक्सल प्रभावित गुमला जिला के ऊपर खटंगा और परसा पंचायत में नक्सलियों की गतिविधियां कम होने के बाद अब ग्रामीण विकास की बाट जोह रहे हैं. पंचायत चुनाव के सहारे अब ग्रामीणों को इस क्षेत्र में विकास की उम्मीद जगी है.

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: गुमला जिला अंतर्गत रायडीह प्रखंड के दो पंचायत ऊपर खटंगा और परसा पंचायत घोर नक्सल प्रभावित है. चारों ओर घने जंगल और पहाड़ों से घिरा यह इलाका भाकपा माओवादियों के रेड कॉरिडोर के रूप में जाना जाता है. छत्तीसगढ़ और लातेहार के बूढ़ा पहाड़ तक आने-जाने के लिए इस क्षेत्र की दुर्गम और जंगलों रास्तों का इस्तेमाल होता है. लेकिन, हाल के वर्षों में पुलिस की दबिश के बाद इस क्षेत्र से नक्सली गतिविधि कम हुई है.

Undefined
गांव की सरकार : गुमला के ऊपर खटंगा और परसा पंचायत में नक्सल के छंट रहे बादल, दिखने लगी विकास की छटपटाहट 4

कई बदलाव की उम्मीद

ग्रामीणों की मानें, तो इधर एक साल के अंदर कई गांवों में नक्सली नजर नहीं आये हैं. जिन गांवों में नक्सली कैंप लगाते थे या बैठक करते थे. उन गांवों से भी नक्सलियों का पलायन हो गया है. ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन नक्सल का बहाना बनाकर इस क्षेत्र का विकास करने से कतराते रहा है, लेकिन अब तो नक्सल गतिविधि कम हो गयी है. इसलिए प्रशासन अब इस क्षेत्र के विकास के लिए पहल करे. ग्रामीणों ने प्राथमिकता के तौर पर सड़क और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की मांग की है. ग्रामीणों के अनुसार, बिजली अधिकांश गांवों में पहुंच गयी है. सोलर जलमीनार से पानी मिल रहा है. अधिकांश घरों में शौचालय भी बन गया है. अब सड़क, स्वास्थ्य, रोजगार एवं पक्के घर की कमी है. हालांकि, यह क्षेत्र कृषि एवं बागवानी में आगे हैं. इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आम्रपाली एवं मालदा आम की पैदावर होती है. ग्रामीणों ने कहा कि पांच सालों में कई बदलाव हुए, तो कई बदलाव की अभी भी उम्मीद है.

Undefined
गांव की सरकार : गुमला के ऊपर खटंगा और परसा पंचायत में नक्सल के छंट रहे बादल, दिखने लगी विकास की छटपटाहट 5

90 प्रतिशत गांवों में पक्की सड़क नहीं

ऊपर खटंगा पंचायत में पांच मौजा में करीब 20 छोटा टोला एवं गांव है. वहीं, परसा पंचायत में नौ मौजा है. जिसके अंतर्गत 40 छोटे गांव और टोला है. इसमें 90 प्रतिशत गांवों तक पक्की सड़क नहीं है. बरसात के दिनों में परेशानी होती है. दोनों पंचायत मिलाकर करीब 15 हजार आबादी है जबकि परसा से होकर कांसीर पंचायत एवं चैनपुर प्रखंड का भी रास्ता जाता है. इसलिए यह क्षेत्र भौगोलिक एवं अर्थव्यवस्था की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. ग्रामीण कहते हैं कि अगर मुखिया एवं जिला परिषद के सदस्य रुचि लें, तो यह क्षेत्र कृषि में अव्वल होगा. सिर्फ इस क्षेत्र में आवागमन का साधन हो.

Undefined
गांव की सरकार : गुमला के ऊपर खटंगा और परसा पंचायत में नक्सल के छंट रहे बादल, दिखने लगी विकास की छटपटाहट 6

परसा और लुरू में 60 लाख का अस्पताल भवन बेकार

परसा में प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र एवं लुरू गांव में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर है. पांच साल पहले दोनों भवन बना है. ग्रामीणों के अनुसार, दोनों भवन बनाने में करीब 60 लाख रुपये खर्च हुआ है. लेकिन, गुमला के प्रशासनिक लचर कहे या स्थानीय प्रतिनिधियों की काम के प्रति अरूचि. ये दोनों भवन बेकार है और खंडहर होने लगा है. जब से भवन बना है. इसका उपयोग नहीं हुआ. जबकि जनता के पैसा को भवन में खर्च कर दिया गया. 60 लाख रुपये बहुत बड़ी रकम होती है. इंजीनियर, ठेकेदार व जिला के अधिकारी भवन बनाकर निकल लिये. लेकिन, भवन की उपयोगिता पर ध्यान नहीं दिया.

Also Read: गांव की सरकार : गिरिडीह की खुखरा पंचायत के पूर्व मुखिया बिंदेश्वरी आज भी लोगों को दे रहे कानूनी सलाह

कारीकाटा नाला का ध्वस्त पुलिया से परेशानी

हेसाग और पोगरा गांव के जाने वाले रास्ते पर कारीकाटा नाला है. तीन साल पहले तेज बारिश में यहां बना पुलिया ध्वस्त हो गया. इसके बाद से बीच सड़क से पुल गायब हो गया. लोगों ने श्रमदान कर बगल में लकड़ी का छोटा पुलिया बनाया है. जिससे आवागमन करते हैं. हेसाग बैरटोली के वृद्ध राजेंद्र कुजूर ने कहा कि 50 साल पहले कारी नामक व्यक्ति का गला काटकर हत्या कर दी गयी थी. तब से उक्त स्थान को कारीकाटा कहा जाता है. यहां बड़ा नाला है. जहां पुलिया कर जरूरत है.

ग्रामीणों की क्या है राय

इस संबंध में हेसाग गांव के ग्रामीण राजेंद्र कुजूर ने कहा कि 30 पहले मेरे गांव की सड़क बनी थी. लेकिन, कुछ महीनों बाद सड़क उखड़ गयी. इसके बाद नहीं बनी. बरसात में घर से नहीं निकलते हैं. मेरी उम्र 62 वर्ष हो गयी है. लेकिन, अभी तक वृद्धावस्था पेंशन शुरू नहीं हुआ है. वहीं, बैरटोली गांव के गणेश सिंह ने कहा कि ऊपर खटंगा में स्वास्थ्य एवं सड़क सबसे बड़ी समस्या है. इस क्षेत्र में डॉक्टर नहीं आते. मरीजों को रायडीह या गुमला ले जाना पड़ता है. सड़क खराब होने के कारण रास्ते में गर्भवती महिलाओं का प्रसव हो जाता है.

ग्रामीणों ने बतायी समस्या

इसके अलावा लुरू गांव के राजदेव सिंह ने कहा कि लुरू गांव में पांच साल पहले हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना. उम्मीद थी कि स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार होगा. परंतु जब से भवन बना है. बेकार पड़ा है. अगर इसे चालू नहीं किया गया तो खंडहर हो जायेगा. पोगरा गांव की कृष्णा दास ने कहा कि करमटोली से लेकर कांसीर तक सड़क खराब है. सड़क उखड़ गयी है. बोल्डर पत्थर बिछा हुआ है. दुगाबांध व लालगढ़ा के पास दो साल पहले डायवर्सन बह गया. इसके बाद से नहीं बना. आवागमन में दिक्कत है.

Also Read: हजारीबाग की पिंडारकोण पंचायत बनी राज्य की सर्वश्रेष्ठ पंचायत,सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव थीम पर हुआ चयन

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें